بد شگونی نہ لینے کی فضیلت:
بد شگونی وبدفالی نہ لینا عقیدہ وعمل کی پاکیزگی، یقین وایمان کی پختگی، توکل واعتماد کی مضبوطی، عزم وارادے کی بلندی، حسن ظن کی علامت اور صبر ورضا کی نشانی ہے۔
بد شگونی وبدفالی نہ لینے والے مسلمان ان خوش نصیب لوگوں میں سے ہیں جو بغیر کسی حساب وکتاب کے جنت میں داخل ہوں گے، جیساکہ رسول صادق وامین صلی اللہ علیہ وسلم کا ارشاد گرامی ہے:
[[يدخل الجنة من أمتي سبعون ألفا بغير حساب؛ هم الذين لا يسترقون، ولا يتطيرون، وعلى ربهم يتوكلون]]
میری امت میں سے ستر ہزار افراد بغیر حساب کے جنت میں داخل ہوں گے؛ یہ وہ لوگ ہوں گے جو نہ دم کرواتے ہیں، اور نہ بد شگونی لیتے ہیں، بلکہ صرف اپنے رب پر توکل کرتے ہیں۔(صحیح بخاری:6472)
آپ کا بھائی: افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سنٹر جبیل سعودی عرب
بد شگونی وبدفالی نہ لینے والے مسلمان ان خوش نصیب لوگوں میں سے ہیں جو بغیر کسی حساب وکتاب کے جنت میں داخل ہوں گے، جیساکہ رسول صادق وامین صلی اللہ علیہ وسلم کا ارشاد گرامی ہے:
[[يدخل الجنة من أمتي سبعون ألفا بغير حساب؛ هم الذين لا يسترقون، ولا يتطيرون، وعلى ربهم يتوكلون]]
میری امت میں سے ستر ہزار افراد بغیر حساب کے جنت میں داخل ہوں گے؛ یہ وہ لوگ ہوں گے جو نہ دم کرواتے ہیں، اور نہ بد شگونی لیتے ہیں، بلکہ صرف اپنے رب پر توکل کرتے ہیں۔(صحیح بخاری:6472)
آپ کا بھائی: افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سنٹر جبیل سعودی عرب
अपशगुन न मानने की फ़ज़ीलत:
अपशगुन न मानना अक़ीदा व अमल की पाकीज़गी, यक़ीन व ईमान की पुख्तगी, तवक्कुल व एतिमाद की मज़बूती, अज़म व इरादे की बुलंदी, हुस्ने-ज़न की अलामत और सब्र व रिज़ा की निशानी है |
अपशगुन न मानने वाले मुसलमान उन ख़ुशनसीब लोगों में से हैं जो बिना किसी हिसाब व किताब के जन्नत में दाख़िल होंगे, जैसाकि रसूले सादिक़ व अमीन सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशादे गिरामी है:
[[يدخل الجنة من أمتي سبعون ألفا بغير حساب؛ هم الذين لا يسترقون، ولا يتطيرون، وعلى ربهم يتوكلون]]
मेरी उम्मत में से सत्तर हज़ार अफ़राद बिना हिसाब के जन्नत में दाख़िल होंगे, यह वह लोग होंगे जो न दम करवाते हैं और न अपशगुन मानते हैं, बल्कि सिर्फ़ अपने रब पर भरोसा रखते हैं. (सहीह बुख़ारी:६४७२)
आप का भाई: इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
अपशगुन न मानना अक़ीदा व अमल की पाकीज़गी, यक़ीन व ईमान की पुख्तगी, तवक्कुल व एतिमाद की मज़बूती, अज़म व इरादे की बुलंदी, हुस्ने-ज़न की अलामत और सब्र व रिज़ा की निशानी है |
अपशगुन न मानने वाले मुसलमान उन ख़ुशनसीब लोगों में से हैं जो बिना किसी हिसाब व किताब के जन्नत में दाख़िल होंगे, जैसाकि रसूले सादिक़ व अमीन सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशादे गिरामी है:
[[يدخل الجنة من أمتي سبعون ألفا بغير حساب؛ هم الذين لا يسترقون، ولا يتطيرون، وعلى ربهم يتوكلون]]
मेरी उम्मत में से सत्तर हज़ार अफ़राद बिना हिसाब के जन्नत में दाख़िल होंगे, यह वह लोग होंगे जो न दम करवाते हैं और न अपशगुन मानते हैं, बल्कि सिर्फ़ अपने रब पर भरोसा रखते हैं. (सहीह बुख़ारी:६४७२)
आप का भाई: इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
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