Madarso Ke Syllabus Me Kaisi Kitabein Hoti Hai?
मदरसों में क्या सिखाया जाता है?*(3)
मदरसों के पाठ्यक्रम में आदर्श नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाता है और सिखाया जाता है कि सदाचार, शिष्टाचार एवं सद्व्यवहार ही अस्ल नेकी है, और संतोष, संयम, धीरज एवं क्षमा से काम लेना ही बेहतर विकल्प है। यहां शुभचिंता, सहानुभूति, प्रेम, भाईचारा, सहायता, कृपा, दया, उपकार एवं दानशीलता की भावना पैदा की जाती है। यहां एक दूसरे के सम्मान, बड़ों के अदब, छोटों पर शफ़क़त, बुराई से नफ़रत और भलाई से मुहब्बत की शिक्षा दी जाती है।
✍ यहां सत्य एव न्याय का पाठ पढ़ाया जाता है और ताकीद की जाती है कि हर हाल में सच्चाई का साथ देना और इंसाफ़ का दामन थामे रहना कयोंकि यह नेकी व परहेज़गारी के भी ज़्यादा क़रीब है, सामाजिक ताना बाना बने रहने में भी काफ़ी सहायक है और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा में भी बहुत उपयोगी है।
✍ यहां सामाज सेवा एवं लोक कल्याण के कामों में बढ़ चढ़ कर भाग लेने की प्रेरणा दी जाती है। यहां रचनात्मक एवं सुधारात्मक अभियान का हिस्सा बनने तथा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, यहां तक कि जन विकास योजनाओं को सफ़ल बनाने एवं सार्वजनिक सुविधाओं से लाभ उठाने के प्रति भी जागरुरकता पैदा की जाती है।
✍ यहां समाज शांती भंग न होने पाए इस बारे में हमेशा सतर्क एवं सावधान रहने की हिदायत की जाती है। यहां अपराध मुक्त मानव समाज के निर्माण में हर प्रकार के सहयोग एवं योगदान हेतु मार्गदर्शन कराया जाता है। यहां रेप, व्यभिचार, हत्या, अत्याचार, ग़बन, भ्रष्टाचार, चोरी, डकैती, ब्याज, रिश्वत, जुआ, शराब, ड्रग्स, दंगा, फ़साद, आतंकवाद और अन्य तमाम अपराधों के जानी, माली एवं नैतिक तथा सामाजिक, नुक़सानात से आगाह किया जाता है और इन सब की रोक थाम के लिए ठोस उसूल और एहतियाती तदबीरों से अवगत कराया जाता है।
आप का भाई: इफ्तिख़ार आलम मदनी
इसलामिक गाइडेंस सेन्टर जुबैल सऊदी अरब
मदरसों के पाठ्यक्रम में आदर्श नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाता है और सिखाया जाता है कि सदाचार, शिष्टाचार एवं सद्व्यवहार ही अस्ल नेकी है, और संतोष, संयम, धीरज एवं क्षमा से काम लेना ही बेहतर विकल्प है। यहां शुभचिंता, सहानुभूति, प्रेम, भाईचारा, सहायता, कृपा, दया, उपकार एवं दानशीलता की भावना पैदा की जाती है। यहां एक दूसरे के सम्मान, बड़ों के अदब, छोटों पर शफ़क़त, बुराई से नफ़रत और भलाई से मुहब्बत की शिक्षा दी जाती है।
✍ यहां सत्य एव न्याय का पाठ पढ़ाया जाता है और ताकीद की जाती है कि हर हाल में सच्चाई का साथ देना और इंसाफ़ का दामन थामे रहना कयोंकि यह नेकी व परहेज़गारी के भी ज़्यादा क़रीब है, सामाजिक ताना बाना बने रहने में भी काफ़ी सहायक है और राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा में भी बहुत उपयोगी है।
✍ यहां सामाज सेवा एवं लोक कल्याण के कामों में बढ़ चढ़ कर भाग लेने की प्रेरणा दी जाती है। यहां रचनात्मक एवं सुधारात्मक अभियान का हिस्सा बनने तथा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, यहां तक कि जन विकास योजनाओं को सफ़ल बनाने एवं सार्वजनिक सुविधाओं से लाभ उठाने के प्रति भी जागरुरकता पैदा की जाती है।
✍ यहां समाज शांती भंग न होने पाए इस बारे में हमेशा सतर्क एवं सावधान रहने की हिदायत की जाती है। यहां अपराध मुक्त मानव समाज के निर्माण में हर प्रकार के सहयोग एवं योगदान हेतु मार्गदर्शन कराया जाता है। यहां रेप, व्यभिचार, हत्या, अत्याचार, ग़बन, भ्रष्टाचार, चोरी, डकैती, ब्याज, रिश्वत, जुआ, शराब, ड्रग्स, दंगा, फ़साद, आतंकवाद और अन्य तमाम अपराधों के जानी, माली एवं नैतिक तथा सामाजिक, नुक़सानात से आगाह किया जाता है और इन सब की रोक थाम के लिए ठोस उसूल और एहतियाती तदबीरों से अवगत कराया जाता है।
आप का भाई: इफ्तिख़ार आलम मदनी
इसलामिक गाइडेंस सेन्टर जुबैल सऊदी अरब
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