Zakat Ke Ahkamaat aur Masail.
पार्ट 1
*अल-हम्दु-लिल्लाहि-व-दहू-वस्सलातु वस्सलाम अला मन् ला न बादहू व- अला आलिही- व सबिही अज़मईंन..अम्माबाद !*
*जकात इस्लाम का एक अहम रुक्न है*
*इस संक्षिप्त पोस्ट का लक्ष्य जकात की अदायगी की तरफ लोगों का ध्यान दिलाना है, जिसकी तरफ मुसलमानों की एक बड़ी तादाद गफ़लती का शिकार है और शरई तरीके पर उस की अदायगी से लापरवाही बरत रही है।*
*क्योंकि यह इस्लाम के उन पाँच बुनियादी अर्कान में से एक है जिन पर इस्लाम का दारोमदार है, जैसा कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है:इस्लाम पाँच बुनियादों पर काइम है (1) अल्लाह की वहदानियत और । मुहम्मददुर्रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की रिसालत की शहादत (2) नमाज काइम करना (3) ज़कात की अदायगी (4) रमज़ान के रोज़े (5) बैतुल्लाह का हज्ज.*
*जकात के फायदे*
*ज़कात का फर्ज किया जाना इस्लाम की अनगिनत खूबियों में से एक है। इसके आम फायदे के अलावा, गरीब मुसलमानों की जरूरतें पूरी करने में उसका हिस्सा नज़र में रखा जाये, तो यह इस्लाम के प्रेमियों के लिये एक अनमोल तोहफ़ा है इसके और अन्य फादों में से एक फाइदा मालदार और फकीर के बीच मुहब्बत का मज़बूत सम्बंध काइम करना है। क्योंकि इन्सान हर हाल में उस व्यक्ति की मुहब्बत और आदर का आदी है,जो उस पर एहसान की नज़र डालता है। मन की पाकी, बखीली कंजूसी और लालच जैसी बीमारियों से मन को पाक करने में जकात का बहुत अहम प्रभाव हैं जैसा कि अल्लाह तआला ने फरमाया :*
*आप उनके मालों में से सदका लिजिये जिसके द्वारा आप उन को पाक व साफ़ कर दें।( सूर : तौबा-103)*
*मुसलमानों को दिल खोल कर खर्च करने की शिक्षा देना और उन्हें ज़रूरतमंदो की ज़रूरतें पूरी करने के लिये तैयार करना ज़कात का अहम किदर है।*
*इसके साथ-साथ माल में बरकत और ज्यादती होने और अल्लाह की तरफ से बदला दिये जाने का भी अहम कारण है। अल्लाह तआला का आदेश है :और तुम जो कुछ भी अल्लाह की राह में खर्च करोगे अल्लाह उसका पूरा बदला देगा, और वह सबसे बेहतर रोजी देनेवाला है।*
*(सूरः सबा-39)*
*एक और हदीस में नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बयान किया है कि अल्लाह तआला फ़रमाता है :हे आदम की औलाद ! तुम खर्च करो, हम तुम पर खर्च करेंगे इन फायदों के अलावा भी ज़कात के और बहुत से फायदे हैं।*
*XXजकात न निकालने वाले के लिये कड़ी धमकीXX*
*कुरआन मजीद में ज़कात के अदा करने में कंजूसी से काम लेने वालों, और इस से परे भागने वालों के लिये कड़ी धमकी आयी है। अल्लाह तआला ने फरमाया :*
*और जो लोग सोने और चाँदी का खज़ाना रखते हैं और अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते उन्हें दुःखदाई यातना की खबर पहुँचा दीजिये। जिस दिन उस खजानें को जहन्नम की आग में तपाया जाएगा फिर उससे उनकी पेशानियाँ और पहलू और पीठे दागी जायेंगी(और कहा जायेगा)यह है जिसे तुम अपने लिये खज़ाना बना रखा था, पस अपने खजानो का स्वाद चखो। (सूर : तौबा- 34,35)*
*हर वह माल जिसकी ज़कात अदा न की जाये वह "कंज" (खजाना) है। और इस का मालिक कियामत के दिन यातना में गिरफ्तार होगा, जैसा कि सहीह हदीस में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से साबित है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :*
*सोने और चाँदी का मालिक अगर जकात अदा नहीं करता तो कियामत के दिन उस के माल से आग की तख्तियाँ बनाई जायेगी, जिससे उसके पहलू ,पेशानी और पीठ का दागा जाएगा, जब-जब वह आग ठंडी होगी दोबारा उन्हें तपा दिया जायेगा, यह दिन पचास हजार वर्ष का होगा, और लोगों के फैसले हो जाने तक उसका यही हाल बना रहेगा, इसके बाद उसे जन्नत या जहन्नम की तरफ ले जाया जायेगा।*
*ओर आप ने ये आयात तिलावत फ़रमाई:-*
*जिन लोगों को अल्लाह ने अपने फज़ल से नवाज़ा है और फिर भी वह कंजूसी से काम लेते हैं, वह इस ख्याल में न रहें कि यह कंजूसी उनके लिये अच्छी है। नहीं, यह उनके हक में निहायत बुरी है। अपनी कंजूसी से वह जो कुछ एकत्र कर रहे हैं, वही कियामत के दिन उनके गले का तौक बन जायेगा ( आले इमरान-180)*
*इस पोस्ट को पढ़ने के लिए अल्लाह तआला आपको बेहतरीन अजर दे ओर आपके इल्म में बरकत दे सवाबे जारिया के लिए इसको शेयर करे ताकि हमारे भाइयो के इल्म में भी इज़ाफ़ा हो अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।
Next part coming soon
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