25 December Kaun Sa Din Hai Kya Musalmano ko Ise Taslim Karni Chahiye?
کرسمس اور مسلمان 2:
کرسمس کا تہوار منانا یا اس کی تقریب میں شرکت کرنا یا اس کی مبارکباد دینا جائز وروا نہیں ہے۔
کیونکہ سورہ مائدہ کی آیت نمبر *2* میں حکم ربانی ہے:
{...وتعاونوا على البر والتقوى *ولا تعاونوا على الإثم والعدوان* واتقوا الله إن الله شديد العقاب}
"۔۔۔اور نیکی اور تقوی کے کاموں پر ایک دوسرے کا تعاون کرو *اور گناہ اور زیادتی کے کاموں پر ایک دوسرے کا تعاون نہ کرو* اور اللہ سے ڈرو، بے شک اللہ انتہائی سخت سزا دینے والا ہے۔"
✍ چونکہ کرسمس کا تہوار کفریہ اور شرکیہ عقائد واعمال پر مبنی ہے، لہذا اسے منانا یا اس کی تقریب میں شرکت کرنا یا اس کی مبارکباد دینا گویا کفر وشرک جیسے ظلم عظیم اور گناہ اکبر کی نشر واشاعت میں تعاون کرنا اور عذاب الہی کو دعوت دینا ہے۔
اس لئے کوئی بھی موحد اور متقی مسلمان کبھی بھی، کہیں بھی اور کسی بھی طرح کرسمس کا تہوار نہیں منا سکتا اور نہ اس کی کسی تقریب میں شریک ہو سکتا ہے اور نہ ہی اس کی مبارکباد پیش کر سکتا ہے۔۔۔
آپ کا بھائی: افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سینٹر جبیل سعودی عرب
کیونکہ سورہ مائدہ کی آیت نمبر *2* میں حکم ربانی ہے:
{...وتعاونوا على البر والتقوى *ولا تعاونوا على الإثم والعدوان* واتقوا الله إن الله شديد العقاب}
"۔۔۔اور نیکی اور تقوی کے کاموں پر ایک دوسرے کا تعاون کرو *اور گناہ اور زیادتی کے کاموں پر ایک دوسرے کا تعاون نہ کرو* اور اللہ سے ڈرو، بے شک اللہ انتہائی سخت سزا دینے والا ہے۔"
✍ چونکہ کرسمس کا تہوار کفریہ اور شرکیہ عقائد واعمال پر مبنی ہے، لہذا اسے منانا یا اس کی تقریب میں شرکت کرنا یا اس کی مبارکباد دینا گویا کفر وشرک جیسے ظلم عظیم اور گناہ اکبر کی نشر واشاعت میں تعاون کرنا اور عذاب الہی کو دعوت دینا ہے۔
اس لئے کوئی بھی موحد اور متقی مسلمان کبھی بھی، کہیں بھی اور کسی بھی طرح کرسمس کا تہوار نہیں منا سکتا اور نہ اس کی کسی تقریب میں شریک ہو سکتا ہے اور نہ ہی اس کی مبارکباد پیش کر سکتا ہے۔۔۔
آپ کا بھائی: افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سینٹر جبیل سعودی عرب
क्रिसमस और मुसलमान 2:
✍ क्रिसमस का त्योहार मनाना या उसके समारोह में भाग लेना या उसकी मुबारकबाद देना जाएज़ नहीं है।
✍ क्योंकि सूरह *माइदा* की आयत न० *2* में हुक्मे रब्बानी है:
और नेकी व तक़वा के कामों पर एक दूसरे का सहयोग करो और *गुनाह व ज़्यादती के कामों पर एक दूसरे का सहयोग न करो* और अल्लाह से डरो, बेशक अल्लाह बहुत सख़्त सज़ा देने वाला है"।
✍ और चूंकि क्रिसमस का त्योहार वास्तव में कुफ़्रिया आस्थाओं तथा शिर्किया कर्मों पर आधारित है, इसलिए इसे मनाना या इसके समारोह में भाग लेना या इसकी मुबारकबाद देना मानो कुफ़्र व शिर्क जैसे घोर अत्याचार और महापाप के प्रचार प्रसार में सहयोग करना और अज़ाबे इलाही को दावत देना है।
✍ अत: कोई भी एकेश्वरवादी और परहेज़गार मुसलमान कभी भी, कहीं भी और किसी भी तरह क्रिसमस का त्योहार नहीं मना सकता और न उसके किसी समारोह में भाग ले सकता है और न ही उसकी मुबारकबाद दे सकता है।
आप का भाई: इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
✍ क्रिसमस का त्योहार मनाना या उसके समारोह में भाग लेना या उसकी मुबारकबाद देना जाएज़ नहीं है।
✍ क्योंकि सूरह *माइदा* की आयत न० *2* में हुक्मे रब्बानी है:
और नेकी व तक़वा के कामों पर एक दूसरे का सहयोग करो और *गुनाह व ज़्यादती के कामों पर एक दूसरे का सहयोग न करो* और अल्लाह से डरो, बेशक अल्लाह बहुत सख़्त सज़ा देने वाला है"।
✍ और चूंकि क्रिसमस का त्योहार वास्तव में कुफ़्रिया आस्थाओं तथा शिर्किया कर्मों पर आधारित है, इसलिए इसे मनाना या इसके समारोह में भाग लेना या इसकी मुबारकबाद देना मानो कुफ़्र व शिर्क जैसे घोर अत्याचार और महापाप के प्रचार प्रसार में सहयोग करना और अज़ाबे इलाही को दावत देना है।
✍ अत: कोई भी एकेश्वरवादी और परहेज़गार मुसलमान कभी भी, कहीं भी और किसी भी तरह क्रिसमस का त्योहार नहीं मना सकता और न उसके किसी समारोह में भाग ले सकता है और न ही उसकी मुबारकबाद दे सकता है।
आप का भाई: इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
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