Ager Koi Gair Muslim Apne Festival Me Shamil Hone Ke liye Kahe To Hme Kya Kahna Chahiye?
کرسمس اور مسلمان 6:
✍ اگر کوئی غیر مسلم آپ کو اپنے مذہبی تہوار کی مبارکباد پیش کرے، یا اس کی تقریبات میں شرکت کی دعوت دے، یا آپ سے اس میں کوئی تعاون مانگے تو آپ کو کیا جواب دینا چاہئے؟؟؟
✍ ہمارا مشورہ یہ ہے کہ آپ اس موقع کو غنیمت سمجھتے ہوئے اسے اسلام سے متعارف کرائیں، اس کی خوبیوں سے روشناس کرائیں، اللہ کی عظمت سے واقف کرائیں، حکمت اور اچھی نصیحت کے ساتھ توحید کی دعوت دیں، اور کفر وشرک کے بطلان اور نقصانات سے آگاہ کریں۔
✍ اس بارے میں شریعت کا جو موقف ہے اس کو اس کے سامنے خوش اسلوبی کے ساتھ واضح کریں۔ اس سے کہیں کہ میں مسلمان ہوں، ایک اللہ کی عبات کرتا ہوں، اس کے ساتھ کفر وشرک نہیں کرسکتا، باطل کی گواہی نہیں دے سکتا، لغو کاموں میں شریک نہیں سکتا، گناہ کے کاموں میں تعاون نہیں کر سکتا۔
✍ اسے بتا دیں کہ یہ میرے دین وایمان کا معاملہ ہے اور میں اس بارے میں کوئی سمجھوتہ نہیں کر سکتا، اس کے بنیادی اصولوں سے ہر گز تنازل نہیں کر سکتا:
*{لا أعبد ما تعبدون}*
"میں (اب بھی) اس کی عبادت نہیں کرتا جس کی تم عبادت کرتے ہو"
*{ولا أنا عابد ما عبدتم}*
"اور میں (آئندہ بھی) اس کی عبادت نہیں کروں گا جس کی تم عبادت کرتے ہو۔"
*{لكم دينكم ولي دين}*
"تمہارے لئے تمہارا دین ہے اور میرے لئے میرا دین۔" (سورہ کافرون:2،4،6)
*{لنا أعمالنا ولكم أعماكم}* (القصص:55)
"ہمارے لئے ہمارے اعمال ہیں اور تمہارے لئے تمہارے اعمال۔"
اللہ ہم سب کو نیک توفیق بخشے۔
آپ کا بھائی: افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سینٹر جبیل سعودی عرب
#क्रिसमस और मुसलमान 6:
✍ अगर वे आप को अपने धार्मिक त्योहार की मुबारकबाद पेश करें, या उसके समारोह में भाग लेने की दावत दें, या उसमें आप से किसी प्रकार का सहयोग मांगें तो आप का जवाब क्या होना चाहिए???
✍ हमारा विचार यह है कि आप इस अवसर को ग़नीमत जानते हुए उन्हें इस्लाम से परिचित कराएं, उसकी विशेषताओं से अवगत कराएं, हिक्मत और अच्छी नसीहत के साथ तौहीद, रिसालत और आख़िरत पर ईमान की दावत दें, और कुफ़्र व् शिर्क के नुक़सानात से आगाह करें।
✍इस बारे में आपकी शरीअत क्या कहती है उसे उनके सामने सुंदरता से स्पष्ट करें। उनसे कहें कि मैं मुसलमान हूं, एक अल्लाह की इबादत करता हूं, उसके साथ कुफ़्र व शिर्क नहीं कर सकता, असत्य की गवाही नहीं दे सकता, फ़िज़ूल कामों में भाग नहीं ले सकता, और गुनाह के कामों में सहयोग नहीं कर सकता।
✍ उन्हें बता दें कि यह मेरे दीन व ईमान का मामला है और मैं इस बारे में कोई समझौता नहीं कर सकता, अपने धर्म के बुनियादी उसूलों को हरगिज़ नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता :
*{لا أعبد ما تعبدون}*
"मैं (अब भी) उसकी इबादत नहीं करता जिसकी आप इबादत करते हो"
*{ولا أنا عابد ما عبدتم}*
"और मैं (आगे भी) उसकी इबादत नहीं करूंगा जिसकीआप इबादत करते हो"
*{لكم دينكم ولي دين}*
"आप के लिए आप का दीन है और मेरे लिए मेरा दीन" (सूरह काफ़ेरून:२,४,६)
*{لنا أعمالنا ولكم أعماكم}*
"हमारे लिए हमारे आमाल हैं और आप क लिए आप के आमाल" (सूरह क़सस:५५)
अल्लाह हम सबको नेक तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।
आप का भाई: इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
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