Imam Ka Kya Kam Hai Hai Awam Par.
सहीह बुखारी शरीफ *किताबुल आज़ान *अज़ान का बयान*
*हदीस नंबर 687*
बाब:--- इमाम इसलिए बनाया जाता है कि उसकी पैरवी की जाये।
आइशा रजि. से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बीमार हुए तो आपने पूछा, क्या लोग नमाज़ पढ़ चुके हैं? हमने अर्ज किया नहीं ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! वह आपके इन्तिजार में हैं। फिर आपने फरमाया कि मेरे लिए एक लगन में पानी रख दो। आइशा रजि. फरमाती हैं, हमने ऐसा ही किया तो आपने गुस्ल फरमाया। फिर उठने लगे तो बेहोश हो गये। उसके बाद जब होश आया तो आपने फरमाया, क्या लोग नमाज़ पढ़ चुके हैं? हमने अर्ज किया नहीं ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम! वह तो आपके इन्तिजार में हैं। आपने फरमाया कि मेरे लिए लगन में पानी रख दो। आइशा रजि. फरमाती हैं कि आप बैठ गये और गुस्ल फरमाया। फिर खड़ा होना चाहा मगर बेहोश हो गये। उसके बाद होश आया तो फरमाया कि क्या लोग नमाज़ पढ़ चुके हैं हमने कहा नहीं, ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वह आपके इन्तिजार में हैं! और लोग मस्जिद में इशा की नमाज़ के लिए बैठे हुए जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इन्तजार कर रहे थे तो आखिर नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अबू बकर रजि. के पास एक आदमी भेजा और हुक्म दिया कि वह नमाज़ पढ़ाये। चूनांचे कासिद ने उनके पास जाकर कहा, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आपको हुक्म दिया है कि आप लोगों को नमाज़ पढ़ायें। अबू बकर बड़े नरम दिल इन्सान थे। उन्होंने हज़रत उमर रजि. से कहा कि तुम नमाज़ पढ़ाओ। उमर रजि. ने जवाब दिया कि आप ही इस ओहदे के ज्यादा हकदार हैं। उसके बाद अबू बकर रजि. बीमारी के दिनों में नमाज़ पढ़ाते रहे। बाकी हदीस (नम्बर 664) पहले गुजर चुकी है।*
वजाहत :-- *उस हदीस में है कि हजरत अबू बकर रज़ि, जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इक्तदा कर रहे थे और लोग हज़रत अबू बकर सिद्दीक रजि. के मुकतदी थे।
(मुख्तसर सहीह बुखारी पेज 320)
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