Jab Hme o Ramzan Aur Eid Pe Mubarakbad Dete Hai to hm unhe kyu nahi De?
کرسمس اور مسلمان 5:
✍ ہمارے کچھ بھائی کہتے ہیں کہ جب وہ ہماری عید ہمارے ساتھ ہنسی خوشی مناتے ہیں، بلا جھجھک اس کی تقریبات میں شریک ہوتے ہیں، دل کھول کر اس کی مبارکباد دیتے ہیں، نیز اس میں اچھا بھلا تعاون بھی کرتے ہیں اور اس مناسبت سے دعوتوں اور تحفے تحائف کا تبادلہ بھی کرتے ہیں۔
✍ تو ہم بھی کیوں نہ ان کے ساتھ ان کا تہوار منائیں، اس کی تقریبات میں شریک ہوں، اس کی مبارکباد دیں، اس میں تعاون کریں اور اس مناسبت سے دعوتوں اور تحفے تحائف کا تبادلہ کریں۔۔۔؟
✍ تو ہم اپنے ان بھائیوں سے کہتے ہیں کہ ان کے پاس تو کھونے اور گنوانے کو کچھ بھی نہیں ہے لیکن ہمارے پاس؟؟؟ ہمارے پاس تو اللہ کے فضل وکرم سے بہت کچھ ہے:
✍ ہمارے پاس ایمان کی دولت ہے، توحید کی امانت ہے، ہدایت کا نور ہے، تقوی کی شان ہے، حیا کا زیور ہے، پاکیزگی کی نعمت ہے اور بھی بہت کچھ ہے۔
✍ لہذا اگر وہ ایسا کچھ کرتے ہیں تو ان کو کوئی فرق نہیں پڑتا کہ وہ پہلے سے گمراہ ہیں مگر ہم کریں گے تو ہمیں بہت فرق پڑے گا اور در اصل وہ یہی چاہتے ہیں کہ ہم بھی ان کی طرح گمراہ ہو جائیں اور اپنا دین وایمان گنوا بیٹھیں-
✍ جیسا کہ اللہ تعالی کا فرمان ہے:
{...ويريدون أن تضلوا السبيل} سورة النساء:44}
"۔۔۔اور وہ چاہتے ہیں کہ تم بھی راہ سے بھٹک جائو۔"
{ولا تكونوا كالذين نسوا الله فأنساهم أنفسهم أولئك هم الفاسقون} (سورة الخشر:19)
"اور تم ان لوگوں کی طرح نہ ہو جائو جنہوں نے اللہ (کے احکام) کو بھلا دیا تو اللہ نے بھی انہیں اپنی جانوں سے غافل کر دیا، ایسے ہی لوگ فاسق ونافرمان ہوتے ہیں۔"
✍ اس لئے ہمیں چاہئے کہ اس معاملے میں خوب احتیاط برتیں، اپنے دین وایمان کے تئیں کافی سنجیدہ رہیں اور جان ومال سے بھی بڑھ کر اس قیمتی سرمایے کی حفاظت کریں تاکہ ہماری دنیا اور آخرت دونوں سنور جائے۔
اللہ ہم سب کو نیک توفیق بخشے۔
آپ کا بھائی: افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سینٹر جبیل سعودی عرب
✍ تو ہم بھی کیوں نہ ان کے ساتھ ان کا تہوار منائیں، اس کی تقریبات میں شریک ہوں، اس کی مبارکباد دیں، اس میں تعاون کریں اور اس مناسبت سے دعوتوں اور تحفے تحائف کا تبادلہ کریں۔۔۔؟
✍ تو ہم اپنے ان بھائیوں سے کہتے ہیں کہ ان کے پاس تو کھونے اور گنوانے کو کچھ بھی نہیں ہے لیکن ہمارے پاس؟؟؟ ہمارے پاس تو اللہ کے فضل وکرم سے بہت کچھ ہے:
✍ ہمارے پاس ایمان کی دولت ہے، توحید کی امانت ہے، ہدایت کا نور ہے، تقوی کی شان ہے، حیا کا زیور ہے، پاکیزگی کی نعمت ہے اور بھی بہت کچھ ہے۔
✍ لہذا اگر وہ ایسا کچھ کرتے ہیں تو ان کو کوئی فرق نہیں پڑتا کہ وہ پہلے سے گمراہ ہیں مگر ہم کریں گے تو ہمیں بہت فرق پڑے گا اور در اصل وہ یہی چاہتے ہیں کہ ہم بھی ان کی طرح گمراہ ہو جائیں اور اپنا دین وایمان گنوا بیٹھیں-
✍ جیسا کہ اللہ تعالی کا فرمان ہے:
{...ويريدون أن تضلوا السبيل} سورة النساء:44}
"۔۔۔اور وہ چاہتے ہیں کہ تم بھی راہ سے بھٹک جائو۔"
{ولا تكونوا كالذين نسوا الله فأنساهم أنفسهم أولئك هم الفاسقون} (سورة الخشر:19)
"اور تم ان لوگوں کی طرح نہ ہو جائو جنہوں نے اللہ (کے احکام) کو بھلا دیا تو اللہ نے بھی انہیں اپنی جانوں سے غافل کر دیا، ایسے ہی لوگ فاسق ونافرمان ہوتے ہیں۔"
✍ اس لئے ہمیں چاہئے کہ اس معاملے میں خوب احتیاط برتیں، اپنے دین وایمان کے تئیں کافی سنجیدہ رہیں اور جان ومال سے بھی بڑھ کر اس قیمتی سرمایے کی حفاظت کریں تاکہ ہماری دنیا اور آخرت دونوں سنور جائے۔
اللہ ہم سب کو نیک توفیق بخشے۔
آپ کا بھائی: افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سینٹر جبیل سعودی عرب
क्रिसमस और मुसलमान 5:
✍ हमारे कुछ भाई कहते हैं कि जब वे हमारी ईद हमारे साथ हंसी ख़ुशी मनाते हैं, बिना संकोच उसके समारोह में भाग लेते हैं, दिल खोल कर उसकी मुबारकबाद देते हैं, उसमें अच्छा भला सहयोग भी करते हैं और उस अवसर पर दावतों और तोहफ़े तहाइफ़ का तबादला भी करते हैं।
✍ तो हम भी क्यों न उनके साथ उनका त्योहार मनाएं, उसके समारोह में भाग लें, उसकी मुबारकबाद दें, उसमें सहयोग करें और उस अवसर दावतों और तोहफ़े तहाइफ़ का तबादला करें।
✍ तो हम अपने इन भाइयों से कहते हैं कि उनके पास तो खोने और गंवाने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन हमारे पास??? हमारे पास तो अल्लाह के फ़ज़ल व करम से बहुत कुछ है :
✍ हमारे पास ईमान की दौलत है, तौहीद की अमानत है, हिदायत का नूर है, तक़वा की शान है, हया का ज़ेवर है, पाकीज़गी की नेमत है और भी बहुत कुछ है।
✍ इसलिए अगर वे ऐसा कुछ करते हैं तो उनको कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वे पहले से गुमराह हैं, मगर हम करेंगे तो हमें बहुत फ़र्क पड़ेगा और वे वास्तव में यही चाहते हैं कि हम भी उनकी तरह गुमराह हो जाएं और अपना दीन व ईमान गंवा बैठें।
✍ जैसा कि अल्लाह तआला का फ़रमान है:
“...और वे चाहते हैं कि तुम भी राह से भटक जाओ” (सूरह निसा:४४)
“और तुम उन लोगों की तरह न हो जाओ जिन्होंने अल्लाह (के आदेशों) को भुला दिया तो अल्लाह ने भी उन्हें अपनी जानों से ग़ाफ़िल कर दिया, ऐसे ही लोग फ़ासिक़ व नाफ़रमान होते हैं” (सूरह हश्र:19)
✍ इसलिए हमें चाहिए कि इस मामले में सतर्क और सावधान रहें, अपने दीन व ईमान के प्रति गंभीर रहें और जान व माल से भी अधिक इस क़ीमती सरमाये की हिफ़ाज़त करें ताकि हमारी दुनिया और आख़िरत दोनों संवर जाए।
अल्लाह हम सबको नेक तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।
आप का भाई: इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
✍ हमारे कुछ भाई कहते हैं कि जब वे हमारी ईद हमारे साथ हंसी ख़ुशी मनाते हैं, बिना संकोच उसके समारोह में भाग लेते हैं, दिल खोल कर उसकी मुबारकबाद देते हैं, उसमें अच्छा भला सहयोग भी करते हैं और उस अवसर पर दावतों और तोहफ़े तहाइफ़ का तबादला भी करते हैं।
✍ तो हम भी क्यों न उनके साथ उनका त्योहार मनाएं, उसके समारोह में भाग लें, उसकी मुबारकबाद दें, उसमें सहयोग करें और उस अवसर दावतों और तोहफ़े तहाइफ़ का तबादला करें।
✍ तो हम अपने इन भाइयों से कहते हैं कि उनके पास तो खोने और गंवाने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन हमारे पास??? हमारे पास तो अल्लाह के फ़ज़ल व करम से बहुत कुछ है :
✍ हमारे पास ईमान की दौलत है, तौहीद की अमानत है, हिदायत का नूर है, तक़वा की शान है, हया का ज़ेवर है, पाकीज़गी की नेमत है और भी बहुत कुछ है।
✍ इसलिए अगर वे ऐसा कुछ करते हैं तो उनको कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वे पहले से गुमराह हैं, मगर हम करेंगे तो हमें बहुत फ़र्क पड़ेगा और वे वास्तव में यही चाहते हैं कि हम भी उनकी तरह गुमराह हो जाएं और अपना दीन व ईमान गंवा बैठें।
✍ जैसा कि अल्लाह तआला का फ़रमान है:
“...और वे चाहते हैं कि तुम भी राह से भटक जाओ” (सूरह निसा:४४)
“और तुम उन लोगों की तरह न हो जाओ जिन्होंने अल्लाह (के आदेशों) को भुला दिया तो अल्लाह ने भी उन्हें अपनी जानों से ग़ाफ़िल कर दिया, ऐसे ही लोग फ़ासिक़ व नाफ़रमान होते हैं” (सूरह हश्र:19)
✍ इसलिए हमें चाहिए कि इस मामले में सतर्क और सावधान रहें, अपने दीन व ईमान के प्रति गंभीर रहें और जान व माल से भी अधिक इस क़ीमती सरमाये की हिफ़ाज़त करें ताकि हमारी दुनिया और आख़िरत दोनों संवर जाए।
अल्लाह हम सबको नेक तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।
आप का भाई: इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
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