Kya Koi Musalman Christmas Day (25th December) Mna sakta Hai?
کرسمس اور مسلمان 3:
عقیدہ ولاء وبراء کا تقاضا ہے کہ کرسمس کا تہوار نہ تو منایا جائے نہ اس کی کسی تقریب میں *شرکت* کی جائے، نہ اس میں کوئی *تعاون* کیا جائے، نہ اس کی مبارکباد دی جائے، اور نہ ہی اس کی مناسبت سے دعوتیں یا تحفے* لئے اور دئے جائیں۔
✍ کیونکہ یہ نصرانیوں* کا *مذہبی تہوار* ہے جن کے کافر ومشرک ہونے میں کوئی شک نہیں، جو بہر حال دین اسلام کے دشمن اور مسلمانوں کے *بد خواہ* ہیں۔
✍ اور جن سے *محبت وموالات* کا رشتہ قائم کرنے سے اہل ایمان کو سختی کے ساتھ *منع* کیا گیا ہے بلکہ اتنی سخت *وعید* آئی ہے کہ جو ان سے *دوستی* کا رشتہ رکھے گا وہ ان ہی میں سے سمجھا جائےگا۔
✍ ملاحظہ فرمائیں سورہ *مائدہ* کی درج ذیل آیت نمبر *51*:
{يا أيها الذين آمنوا *لا تتخذوا اليهود والنصارى أولياء بعضهم أولياء بعض *ومن يتولهم منكم فإنه منهم...}
"اے ایمان والو! *تم یہود ونصاری کو دوست نہ بنائو*، وہ آپس میں ایک دوسرے کے دوست ہیں، اور تم میں سے جو بھی ان سے دوستی کرے تو وہ بے شک ان ہی میں سے ہے۔۔۔"
آپ کا بھائی: افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سینٹر جبیل سعودی عرب
✍ کیونکہ یہ نصرانیوں* کا *مذہبی تہوار* ہے جن کے کافر ومشرک ہونے میں کوئی شک نہیں، جو بہر حال دین اسلام کے دشمن اور مسلمانوں کے *بد خواہ* ہیں۔
✍ اور جن سے *محبت وموالات* کا رشتہ قائم کرنے سے اہل ایمان کو سختی کے ساتھ *منع* کیا گیا ہے بلکہ اتنی سخت *وعید* آئی ہے کہ جو ان سے *دوستی* کا رشتہ رکھے گا وہ ان ہی میں سے سمجھا جائےگا۔
✍ ملاحظہ فرمائیں سورہ *مائدہ* کی درج ذیل آیت نمبر *51*:
{يا أيها الذين آمنوا *لا تتخذوا اليهود والنصارى أولياء بعضهم أولياء بعض *ومن يتولهم منكم فإنه منهم...}
"اے ایمان والو! *تم یہود ونصاری کو دوست نہ بنائو*، وہ آپس میں ایک دوسرے کے دوست ہیں، اور تم میں سے جو بھی ان سے دوستی کرے تو وہ بے شک ان ہی میں سے ہے۔۔۔"
آپ کا بھائی: افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سینٹر جبیل سعودی عرب
क्रिसमस और मुसलमान 3:
इस्लामी अक़ीदा *वला व बरा* का तक़ाज़ा है कि *क्रिसमस* का त्योहार नो तो *मनाया* जाए, न इसके किसी समारोह में *भाग* लिया जाए, न इसमें कोई *सहयोग* किया जाए, न इसकी *मुबारकबाद* दी जाए और न ही इस अवसर पर *दावतें या तोहफ़े* लिए और दिए जाएं।
✍ क्योंकि यह *नसरानियों* का *धार्मिक त्योहार* है जिनके *काफ़िर व मुशरिक* होने में कोई संदेह नहीं, जो बहर हाल इस्लाम के *दुश्मन* और मुसलमानों के *अशुभचिंतक* हैं।
✍ और जिनसे *मुहब्बत व मुवालात* का रिश्ता बनाने से ईमानवालों को सख़्ती से *मना* किया गया है बल्कि इतनी सख़्त *वईद* आई है कि जो उनसे दोस्ती का रिश्ता रखेगा वह उन ही में से समझा जाएगा।
✍ मुलाहिज़ा फ़रमाएं सूरह *माइदा* की निम्नलिखित आयत न० *51*:
"ऐ ईमान वालो ! तुम *यहूदियों और नसरानियों को दोस्त न बनाओ*, वे आपस में एक दूसरे के दोस्त हैं, *और तुम में से जो भी उनसे दोस्ती करे तो बेशक वह उन ही में से है।"*
आप का भाई: इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
इस्लामी अक़ीदा *वला व बरा* का तक़ाज़ा है कि *क्रिसमस* का त्योहार नो तो *मनाया* जाए, न इसके किसी समारोह में *भाग* लिया जाए, न इसमें कोई *सहयोग* किया जाए, न इसकी *मुबारकबाद* दी जाए और न ही इस अवसर पर *दावतें या तोहफ़े* लिए और दिए जाएं।
✍ क्योंकि यह *नसरानियों* का *धार्मिक त्योहार* है जिनके *काफ़िर व मुशरिक* होने में कोई संदेह नहीं, जो बहर हाल इस्लाम के *दुश्मन* और मुसलमानों के *अशुभचिंतक* हैं।
✍ और जिनसे *मुहब्बत व मुवालात* का रिश्ता बनाने से ईमानवालों को सख़्ती से *मना* किया गया है बल्कि इतनी सख़्त *वईद* आई है कि जो उनसे दोस्ती का रिश्ता रखेगा वह उन ही में से समझा जाएगा।
✍ मुलाहिज़ा फ़रमाएं सूरह *माइदा* की निम्नलिखित आयत न० *51*:
"ऐ ईमान वालो ! तुम *यहूदियों और नसरानियों को दोस्त न बनाओ*, वे आपस में एक दूसरे के दोस्त हैं, *और तुम में से जो भी उनसे दोस्ती करे तो बेशक वह उन ही में से है।"*
आप का भाई: इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
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