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Qatar Fifa 2022; Qatar me ho rahe Fifa World Cup ka Boycott kyu kiya ja raha hai Europe me?

Qatar Ke Fifa World Cup ka Boycott kyu kiya ja raha hai?

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क़तर मे होने वाले फीफा वर्ल्ड कप का वेस्टर्न परस्त क्यों बॉयकॉट कर रहे है?

वो जुमले जिसको सुनकर वेस्टर्न पाखंडी, यूरोपीय कट्टरपंथी, लेफ्टिस्ट, देशी लिबरल्स, फिरंगी परस्त के होश उड़ गए

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लोगो ने पहले क़तर का मजाक उराया था, उसको कट्टरपंथी, रूढ़िवादी और दकियानुसी कहने मे कोई कसर नही छोड़ा था। 

जब क़तर को फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप की मेजबानी अवार्ड हुआ तो लोगों ने खूब मजाक बनाया कि कतर के पास स्टेडियम, क्लब वगैरह कुछ भी नहीं है, कैसे कराएगा वर्ल्ड कप? 

सच बताऊँ तो ये सब ना मुमकिन था लेकीन क़तर ने कर दिखाया, #लूसैल नाम का आज एक शहर है वह रेगिस्तान था, आज स्मार्ट_सिटी है।

#फीफा_वर्ल्डकप_2022 की मेजबानी कर रहे क़तर ने बे मिशाल काम कर दिखाया, उसके हौसले व् जज़्बे को आज दुनिया सलाम कर रही है.. वो अपनी रवायतों से समझौता करने को कतई तैयार नहीं हैं, भले ही इस मेगा इवेंट के लिए रिकॉर्ड $220 बिलियन की भारी रकम खर्च कर रहा है, मगर समझौते को तैयार नही। 

क़तर हुकूमत का कुछ ऐसा अंदाज रहा । 

जब आप किसी के घर मेहमान बन कर जायेंगे तो उस घर के क़ानून और कायदे आपको मानना पड़ेंगे।

क़तर ने दुनिया को सिखाया मेहमां नवाजी...

मेजबानी कैसे होती है?

फीफा वर्ल्ड मैच के पहले दिन अल बैत स्टेडियम मे मेहमनो, खेलड़ियो और देखने वालो को मशक्, ऊद और अतर फ्री मे तोहफा दिया गया , खास बात यह है के इतनी महंगे तोहफे और वह भी बगैर बादशाह की तस्वीर के.... लोकतंत्र के राजनेता कुछ भी करने से पहले सोते जागते जनता को लालच देकर वोट लेता है.. वैसा ही जैसे गोद मे पड़े बच्चे को खिलौने देकर बहला दिया जाता है... और सरकार बनंने के बाद अवाम को अपने पैरो के आगे झुकाता है।
कही कही जम्हूरियत मे तो वादा करके वोट लेने के बाद वादा खिलाफ़ी होती है।

क़तर ने रचा इतिहास / दुनिया को क्या पैगाम दिया है? 

क़तर ने इतिहास रच दिया, एशिया का पहला देश जो अकेले ही विश्वकप का आयोजन करवा रहा है… मैच देखने वाले हर आम व खास मेहमानों/दर्शकों को मुश्क व ऊद जैसे महंगे इत्र, टीशर्ट, आदि जैसे गिफ्ट से भरा थैला दिया…

लेकिन ये क्या?

किसी लोकतांत्रिक देशो के राजनेताओ व हुक्मरानो के जैसे

इतने महंगे गिफ्ट पर क़तर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी का तो फोटो तक नहीं है?

इसके साथ साथ 

फुटबॉल विश्व कप का उद्घाटन करने वाले विकलांग #गनीम_अल_मुफ़्ताह है..

इस उद्घाटन समारोह को दुनिया के 500 प्रमुख चैनलों पर एक साथ दिखाया गया. 

इतिहास में पहली बार वर्ल्ड कप की शुरुआत क़तर ने एक विकलांग द्वारा उद्घाटन करा कर दुनिया भर को एक अहम पैगाम दिया है, जो उन लोगो पर तमाचा जो अरब मुमालिक को कट्टरपंथी कहते है।

आखिर यह क्यों कहा जा रहा है क़तर का बॉयकॉट करो?

आज से 12 साल पहले क़तर को फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी के लिए नामजद किया गया था।

इतने दिनों मे नये नये फाइव स्टार्स होटेल्स, एरपोर्ट, मेट्रो लाइंस, स्टेडियम, क्लब, रिहायशी इलाके और फन ज़ोन जैसे इंफ्रेस्ट्रॅक्चर बनवाये, इन सब पर 220 बिलियन डॉलर्स तक खर्च किया जो के अब तक का सबसे महंगा वर्ल्ड कप है।

इससे पहले

  1.                रूस 2018 - $11.6 बिलियन (b)
  2.            ब्राज़ील 2014-  $15b
  3. साउथ अफ्रीका 2010- $3.6b
  4.              ज़र्मनी 2006 - $4.3b
  5.              जापान 2002 - $7b
  6.               फ्रांस  1998 - $2.3b
  7.           अमेरिका 1994 - $0.5 b

इस रिपोर्ट से यह साबित होता है के क़तर फीफा वर्ल्ड कप पर 220 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करके पहले पायदान पर आ गया है।

इन दिनो क़तर एरपोर्ट दुनिया का सबसे व्यस्त एरपोर्ट होंगे, जहाँ रोज 900 से ज्यादा यात्री विमान उतरेंगे और एक आंकड़े के मुताबिक रोज 12 लाख लोगो विजिट करेंगे।

क़तर इन आने वाले मेहमानो के लिए क्लब, अजाएबघर, उनके स्थानीय खाने पीने के होटेल्स, विदेशी मेहमानो के रहने और उनके मौशिकी के इंतेजामात् कराये, गरज हर चीज क़तर हुकूमत मुहैय्या कराई है।

इन सब के लिए 8 स्टेडियम, 1 एरपोर्ट, एक मेट्रो लाइंस और कई होटेल्स और क्लब बनवाये गए है। यह मैच 28 दिनों तक चलेगा, फीफा वर्ल्ड कप चार साल होता है।

इतने महंगे और शानदार मेहमान नवाजी के बाद भी यूरोपीय मीडिया, इंटरनेशनल सोशल मिडिया क़तर हुकूमत का बॉयकॉट कर रहे वह इसलिए के क़तर सरकार ने मेहमानो से गुजारिश की के

"बराये मेहरबानी हमारे रिवायत, शरीयत और तहजीब का एहतेराम करे। "

इतने सालों से महंगे इंतेजाम और शानदार तैयारी के बावजूद क़तर की हुकूमत को सिर्फ इसलिए टार्गेट किया जा रहा है की उसने विदेशी मेहमानो से एक इल्तिजा की थी।

हमारे यहाँ शराब, बीयर, हमजिंसीयत (समलैंगिक) ,  नंगापन और बे पर्दगी, छोटे कपड़े और बंद कमरे मे होने वाले कामो को सड़को पर करने की पाबंदी है।

इतनी सी इल्तिजा पर वेस्टर्न परस्त और फिरंगियों के मानसिक गुलाम साढ़े तीन लाख की आबादी वाले एक छोटे से देश क़तर का बॉयकॉट करने लगे।

उनके इस गुजारिश से मागरिबि परस्त भेड़िये, नाम निहाद इंसानी हुकूक की तंजीमे, लिबरल्स, लेफ्टिस्ट और अहले यूरोप मे एक तूफान उठ खडा हो गया के यह भेदभाव और कदामात् पसंद मुल्क मे फीफा वर्ल्ड कप नही हो सकता है, इसका बॉयकॉट किया जाए।

इस छोटे से अरब इस्लामी मुल्क को चारो तरफ से शैतानी कुव्वतें घेरने लगे, टिकेट का बॉयकॉट होने लगा ताकि वहाँ की हुकूमत से अपनी मनमानी कराया जा सके।

पिछले महीने से शुरू हुआ यह तमाशा तब और जोर पकड़ लिया जब एक इंग्लिश रिपोर्टर ने सवाल किया तो क़तर के फीफा के अध्यक्ष ने साफ साफ लफ्जो मे जवाब दिया।

"हम अपने यहाँ आने वाले सभी मेहमानो का इस्तकबाल करते है, मगर उन्हे हमारी रिवायत, दीन और तहजीब का एहतेराम करना होगा, हम 28 दिनों के लिए अपना मजहब नही छोड़ सकते है। "

"मेरा जिस्म मेरी मर्जी" का नारा इजाद करने वाले
"मेरा मुल्क मेरी मर्जी" का नारा भूल गए।

यह मामला इतना बड़ा हो गया के इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है के फीफा अध्यक्ष इनफैंटाइनो को 1:30 घंटे तक प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी।
जिसका खुलासा यह निकला के 'अगर आपको आना है तो आओ नही तो भांड मे जाओ। '

इन्फैटिनो ने यूरोप को पाखंडी बताया और कहा के यूरोप ने जो पिछले तीन हजार सालों से किया है उसे अगले 3000 सालों तक दुनिया से माफी मांगनी चाहिए, नैतिकता का ज्ञान देने से पहले। यूरोप को अपने यहाँ उन मजदुरो को रोजगार देना चाहिए जो क़तर मे काम कर रहे है।

अगर यह वर्ल्ड कप शराब, बेहयाई, ट्रांसजेंडर और सेक्यूरिटी की आड़ मे कैंसिल कर दिया जाता तो इतने सालों की मेहनत और बिलियन डॉलर बर्बाद हो जाते।

लेकिन इतना बड़ा खतरा मोल लेने के बावज़ूद इतने छोटे से मुल्क ने अपने दिन व शरीयत और रिवायत के लिए झूका नही, बद तहजीब, नंगापन, फ़हाशि और हैंजिन्सियात् से समझौता नही किया। वाकई ये काबिल ए तारीफ है।

जब अमेरिका ने वियतनाम मे  लोगो को मौत के घाट उतार दिया, औरतो का बलात्कार किया और वहाँ के लोगो पर एजेंट ऑरेंज जैसे दवाओं का इस्तेमाल किया ताकि वहाँ के पेड़ पौधे सुख जाए और पानीयो मे जहर फैल जाए, इराक मे लाखो लोगो को बम्बारी करके एक मुहिम के तहत मारा गया और करोडो बेघर हुए उन लोगो का क्या, फिलिस्तिनियो पर इसराइल हमेशा बमबारी करता है, मिसाइल मारता है, अमेरिका के दिये हुए हथियारो और पैसे से फिलिस्तिनियो का खून बहाता है मगर उससे सवाल क्यों नही किया जाता?

अफगानिस्तान मे 20 सालों से हवाई हमले किये, आर्मी के जरिये लाखो को मारा गया मगर उसके बारे मे अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस और दूसरे यूरोपीय मुमालिक से कौन सवाल करेगा?

यूरोप दुसरो पर मनवाधिकार के उल्लघं की बात करता है मगर उसे कभी इस बारे मे सवाल किया गया ?
कभी UNHRC ने अमेरिका और दूसरे यूरोपीय देशों से सवाल किया है?
किसी की हिम्मत नही .....

दूसरे देशो मे आकर नैतिकता और इंसानियत का पाठ पढाना बंद करना चाहिए यूरोप को, यह उसका लोकतंत्र और इंसानी हुकुक के नाम पर सियासत है, भु राजनीतिक है जो हमेशा दुसरो को दबाता रहता है।
यह यूरोप का ढोंग है मानवाधिकार के नाम पर।

यूरोपीय श्रेष्टथा इसी लोकतंत्र , मानवाधिकार और औरतों की आज़ादी के ढोंग पर टीका हुआ है जो दूसरे को नसीहत करता है, दबाता है। जिसका हाथ लाखो मासूमो के खून से रंगा हुआ है वो दुसरो को मानवाधिकार  की नसीहत करता है।

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Shayer-E-Mashriq Alama Iqbal Ka Muslim Naw jawano (Youths) ko Paigham.

Shayer-E-Mashriq Alama Iqbal ka Naw jawano ko Paigham.

#तकबीर_मुसलसल

*🎯 तू शाहीन है परवाज़ है काम तेरा*

शायर ए मशरिक़ अल्लामा इक़बाल रहमहुल्लाह का पैग़ाम नौजवानान-ए-मिल्लत के नाम_*

        ऐ राज़ ए हयात से नवाकिफ़ नौजवान!
तू ज़िन्दगी के आगाज़ और अंजाम से ग़ाफ़िल है।
तू दुश्मनों का खौफ़ दिल से निकाल दे। तेरे अन्दर एक क़ुव्वत ख्वाबीदह मौजूद है, उसे बेदार कर।

जब फिर अपने आप को शीशा समझने लगता है तो वह शीशा ही बन जाता है और शीशे की तरह टूटने लगता है। जब मुसाफ़िर अपने आप को कमज़ोर समझता है तो वह अपनी जान की नक़दी भी राहज़न के सुपुर्द कर देता है। तो वह अपने को कब तक पानी और मिट्टी का पुतला समझता रहेगा।
तुझे चाहिए कि अपने अन्दर से शोला-ए-तूर पैदा कर दे। यूसुफ़ की तरह ख़ुद-शनास हो ताकि असीरी से शहंशाही तक पहुँचे.

ऐ ग़ाफ़िल जवान! क़ौम अपने अतीत के इतिहास से रौशन होती और उसे याद रखने से ही ख़ुद को पहचानती है।
अगर वह अपनी तारीख़ भूल जाये तो फिर मिट जाती है। ऐ मुस्तक़बिल के मेमार (निर्माता)! अपनी तारीख़ को महफ़ूज़ कर, और पाइंदा हो जा, गुज़रे हुए सांसों से ज़िन्दगी पा जा। गुज़रे हुए कल को आज से मरबूत कर, ज़िन्दगी को सधाया हुआ परिंदा बना ले, अय्याम के रिश्ते को हाथ में ले ले; वरना तू दिन का अंधा और रात का पुजारी बन जाएगा।
तेरे अतीत से ही तेरा हाल (वर्तमान) वजूद में आता है और फिर हाल स तेरा मुस्तक़बिल (भविष्य) सँवरता है।

अगर तू हयात-ए-जाविदाँ का चाहने वाला है तो मुस्तक़बिल और हाल से रिश्ता न तोड़, तसलसुल-ए-इदराक की मौज ही में बक़ा है, मे-कशों के लिए शोर-ए-क़लकल ही में ज़िन्दगी है।

🎁पेशकश: *सोशल मीडिया डेस्क ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड*

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Qatar fifa World Cup 2022: Kuchh Napak rooh wale kyu Qatar Fifa World Cup 2022 ka Boycott kar rahe hai, Boycott Fifa World Cup 2022.

Aakhir #Qatarfifa2022 ka Boycott kyu kiya jara raha hai?

Kaise log Qatar Fifa World Cup 2022 ka boycott kar rahe hai?
#Qatarfifaworldcup2022 #Fifaworldcup #Qatarfifa #Boycottqatarfifa 
#Boycottqatar 
Hindi me Padhne ke liye yahan Click kare. 
 हम अपने मुल्क मे हर किसी का स्वागत करते है, लेकिन आने वालो को हमारी रिवायत का एहतेराम करना होगा, महज हम 28 दिनों के लिए अपना दिन व मजहब, रिवायत, तहजीब व शकाफ़त नही बदल सकते।

यह वो जुमले है जिसको सुनकर वेस्टर्न पाखंडी, यूरोपीय कट्टरपंथी, लेफ्टिस्ट, देशी लिबरल्स, फिरंगी परस्त के होश उड़ गए ... अरबो रुपये खर्च करने के बाद अरब का एक छोटा सा मुल्क अपने दिन व ईमान के लिए नही झूका जबकि नापाक रूहो को उम्मीद थी के इतने पैसे खर्च करने के बाद यह जरूर हमारी शर्तो पर खड़े उतरेंगे मगर ऐसा नही हुआ उसी वज़ह से लेफ्टिस्ट और वेस्टर्न गुलाम इस छोटे से देश मे हो रहे फुटबॉल का बॉयकॉट कर रहे है ताकि ज्यादा से ज्यादा नुक्सान पहुचाया जा सके और हमारी शर्तो को मान ले।
इतना ही नही

कतर ने दिन की दावत व तब्लिग़ के लिए 200 से ज्यादा उलेमा रखे है.... रहनुमाइ के लिए
उसके बाद कुछ लोगो को पता था के अब्दुल... सिर्फ पंचर् ही बनाता है मगर चैंपियन रहे अर्ज़ेनटिना को हरा दिया।

बुधवार को देश में सार्वजनिक अवकाश का एलान किया गया है. अर्जेंटीना पर सऊदी अरब की जीत का जश्न मनाने के लिए बुधवार को मुल्क के सभी स्कूल कॉलेज और प्राइवेट और सरकारी दफ्तर बंद रखे जाएंगे.

#Qatarfifaworldcup2022 #Fifaworldcup #Qatarfifa #Boycottqatarfifa  #Boycottqatar

الســـــلام عليــــــــــكم
اللــــــــــه تعـــــــــالٰی

أھل قطــــــــــــــــــر کی حفاظت فـــــــــرمــــــــائے

آخــــــر یہ کیــوں کہا جارہا ہے کہ
قطر کا بائیکاٹ کرو
۔۔۔
قطر کو آج سے بارہ سال پہلے یعنی دو ہزار دس میں فیفا ورلڈ کپ کی میزبانی کے لیے نامزد کیا گیا تھا۔

ان بارہ سالوں میں جدید مراعات پر مشتمل نئے اسٹیڈیمز، ہوٹل، شاپنگ مالز، فین زون اور رہائش گاہوں کی تعمیر و تیاری کی مد میں قطر اب تک تقریبا تین سو بلین ڈالرز خرچ کر چکا ہے۔

کہا جا رہا ہے کہ یہ دنیا کی تاریخ کا سب سے مہنگا ترین ورلڈ کپ ہے اور اس کی لاگت ماضی کے تمام ورلڈ کپز کی کُل لاگت سے بھی زیادہ ہے۔

ان دنوں میں دوحہ کا ائیرپورٹ دنیا کا مصروف ترین ائیرپورٹ ہو گا جہاں ہر روز نو سو سے زائد مسافر طیارے اتریں گے اور ایک اعداد و شمار کے مطابق قریبا بارہ لاکھ لوگ قطر کو وزٹ کریں گے۔

قطر نے ہر طرح کی ممکن جدت کو بروئے کار لاتے ہوئے آنے والوں کے لیے مقامی ثقافت و روایت کے مطابق آرٹ گیلری، میوزیم، فن زون، قومی اور بین الاقوامی کھانوں کے سٹال، موسیقی، اطفال و عوائل پروگرام غرض ہر ہر طرح کی تفریح ترتیب دے رکھی ہے۔

اتنی مہنگی اور اتنی شاندار تیاری کے باوجود قطر کی میزبانی کو محض اس لیے عالمی اور سوشل میڈیا پر ہدف تنقید بنایا جا رہا ہے کہ انہوں نے آنے والے لوگوں سے گزارش کی ہے کہ

براہ مہربانی ہماری ثقافت و روایات کا احترام کریں۔

ہمارے یہاں کھلے عام شراب، ہم جنس پرستی کے جھنڈے و نعرے، عُریاں لباس، اور بند کمروں کی کارروائ سڑکوں پر کرنے پر پابندی ہے۔”

اس چھوٹی سی عرضی کو لے کر پچھلے کچھ دنوں سے سوشل میڈیا پر ایک طوفان بدتمیزی برپا ہے، ایسے لگتا ہے جیسے قطر نے ان کی دم پر نہیں “گچی” پر پاؤں رکھ دیا ہے۔

میرا جسم میری مرضی کے نعرے ایجاد کرنے والے “میرا ملک میری مرضی” کی اجازت نہیں دے رہے۔

نام نہاد مغربی انسانی حقوق کی تنظیمیں اور این جی اوز باؤلے کتے کی طرح صبح شام بس ایک ہی رٹ لگا رہی ہیں کہ

“قطر کا بائیکاٹ کرو”

آپ کو ایسے ڈرامے پر کوئ حیرت ہو تو ہو تاریخ کے کسی طالب علم کو نہیں ہوگی۔ کیونکہ ان سفید چمڑی میں چھپی مہذب کالی بھیڑوں نے پچھلے کئ سو سالوں میں یہی تو کیا ہے۔

تمہارا کُتا ۔۔کتا، ہمارا کتا ٹومی۔

اسی بحث کو موضوع بناتے ہوئے کچھ ماہ پہلے ایک انگلش اینکر نے جب قطر ورلڈ کپ کے سیکورٹی چئیرمین عبدالعزیز عبداللہ الانصاری سے اس متعلق سوال کیا تو ان کا کہنا تھا کہ

ہم اپنے ملک میں ہر کسی کو خوش آمدید کہتے ہیں لیکن آنے والوں کو ہماری روایات کا احترام کرنا ہوگا، محض اٹھائیس دن کے لیے ہم اپنا مذہب نہیں بدل سکتے”

پچھلے کچھ ماہ سے زور پکڑتی یہ تنقید و تضحیک اب اپنی انتہاء کو پہنچ چکی ہے اور اس کی شدت کا اندازہ آپ اس بات سے لگائیے کہ ورلڈ کپ سے محض ایک دن قبل فیفا چئیرمین جیانی انفین ٹینو کو قریبا ڈیڑھ گھنٹے کی پریس کانفرنس کرنی پڑی جس کا لب لباب کچھ یوں بنتا ہے کہ

“ہم کچھ نہیں کر سکتے جس کو آنا ہے آئے نہیں آنا تو بھاڑ میں جائے کھسماں نوں کھائے”
اگر اس بائیکاٹ کی تحریک کے پیش نظر سیکیورٹی اور امن عامہ کا بہانہ بنا کر یہ ورلڈ کپ کینسل کر دیا جاتا تو قطر کی بارہ سالہ محنت اور بلینز آف ڈالر ڈوب جاتے۔۔۔۔

مگر اتنا بڑا خطرہ مول لیتے ہوئے یہ چھوٹا سا ملک اپنی روایات کے لیے جس طرح پوری دنیا کے بد تہذیب، بے راہرہ اور بدمعاش ٹولے کے سامنے پوری جرأت سے کھڑا ہوا ہے یقینا ہر ہر طرح سے لائق تحسین اور قابل داد ہے۔

*عمّار *

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Muslim Ladkiyaan Deen ke nam par kaise posts kar rahi hai, Facebook par Muslim khawateen ka Gair Mehram ko Mutashir karne wale Posts.

Muslim Ladkiyo ka Social Media par Gair Mehram ko mutashir karne wale paigamat.

Khawateen aaj kal Social Media par kaise kaise post kar rahi hai Deen ke nam par.

پیاری بہنوں !! اس پہلو پر کئی صفحات سیاہ کرنا آسان ہے ، لیکن اس سیاہی سے میری بہنوں کے دل سیاہ نا ہوجائیں اس لیے اپنی تحریر کے اصل مقصد پر آتی ہوں ۔

میں جب جب نیوز فیڈ میں داخل ہوتی ہوں اپنی بہنوں کی بے فائدہ اور وقت گزاری پر مبنی ، بلکہ یوں کہیے کہ مجمع کو دعوتِ کمنٹ کا مقصد رکھتی پوسٹس دیکھتی ہوں تو غم و غصہ کے ملے جلے رجحان کا شکار ہوجاتی ہوں ۔

کیا آپ لوگ اپنی بیماریاں ، افسانوی باتیں ، عشقیہ یا بے مقصد شاعری ، طنز و مزح ، ذاتی معاملات اور باہمی نوک جھونک شئیر کر کے اپنا اور دوسرے لوگوں کا وقت ضائع نہیں کر رہیں ؟؟

کسی بہن کو کچھ نہیں سوجھتا تو وہ دعا کی اہمیت کے بارے میں چند الفاظ لکھ کر اسٹیٹس ڈالتی ہے کہ آج میرے لیے کوئی دعا کریں ، اور اس کی پکار پر ہمارے مسلمان بھائی فورًا لبیک کہہ کر توحید و سنت پر مبنی شئیرنگ کو پھلانگتے ہوئے کمنٹ باکس کی طرف دوڑ لگا دیتے ہیں ۔
کچھ بہنیں اپنی طبیعت کی ناسازی کو مخلوط فرینڈز کے سامنے رکھتے ہوئے ذرا نہیں جھجکتیں ،

عورت غیر مردوں کو اپنی طبیعت کی ناسازی کی اطلاع دے ، ایمانداری سے بتائیے کہ اس نوعیت کے اسٹیٹس عورت کی حساس حالتوں کی طرف نامحرم مردوں کو توجہ دلانے کی دعوت نہیں رہے ؟

- آپ لوگوں کو بخار ہوا تو بخار کی حالت میں آپ اسٹیٹس ڈال رہی ہیں کہ آج بخار ہے دعا کیجیے ، طبیعت خراب ہے دعا کریں ، آج کچھ طبیعت اچھی محسوس نہیں ہو رہی دعا کریں ، دو دن سے بخار ہے دعا کریں ۔

اللہ کی نیک بندیوں !! معاشرے میں عورت کی طبیعت کی ناسازی کا ایک مخصوص تصور عام ہوتا ہے ، ان مخصوص طبی معاملات کا ڈنڈورا پیٹنا شریف عورتوں کا کام نہیں ہوتا ۔

دعا کرانے کا اصول یہی ہوتا ہے کہ نیک متقی پرہیزگار شخص سے دعا کروائی جائے جس کی دعا نیکی اور تقوی کے باعث قبول ہونے کا امکان زیادہ ہوتا ہے ، لیکن اگر آپ خود نیک بنیں اور ہر طرح کے گناہوں سے توبہ کرکے تقویٰ کا پیکر بن جائیں ۔ پھر کسی سے دعا کی درخواست کرنے کی ضرورت نہیں پڑے گی ۔

ستم ظریفی یہ کہ آپ ہر ایرے غیرے نامحرموں کو دعا کے لیے جمع کر رہی ہیں ، کیا ہماری صحابیات کے یہی طور طریقے تھے ؟

- کوئی بہن اپنی ہر پوسٹ پر مجمع لگا کر بھی تشنہ لب ہے اور پوسٹ پر للکار رہی ہے کہ وہ لوگ سامنے آئیں جو میری پوسٹ پر نہیں آتے ۔ اور مرد حضرات کی اکثریت پر مبنی سب لوگ اس مقدس محفل میں حاضری لگوا کر شرفِ اجر و ثواب حاصل کر رہے ہیں ۔

- بہنیں ایک دوسرے کو یوذرز کی لسٹس میں ایڈ کروانے کے لیے اسٹیٹس دے رہی ہیں کہ فلاں بہن کو ایڈ کر لیں اور فلاں بہن کو ایڈ کر لیں ، جو عجیب بھی ہے اور غریب بھی اور سمجھ میں نا آنے والی بات ہے ، جبکہ ہم سب جانتے ہیں کہ فیس بک پر شہوت پرست مرد حضرات کی کثرت ہے ، کیا یہ اس بات کے مترادف نہیں کہ آپ کسی مجمع میں اپنی بہن کو پیش کریں کہ میری بہن سے دوستی کیجیے ؟؟؟

- کچھ بہنیں مخالف طبقہ فکر کو للکارنا ہی دین کی خدمت سمجھتی ہیں ، آگ لگاتے جملوں سے باطل کا رد نہیں کیا جاتا ، اس قسم کے طنزیہ نعروں اور اشتعال آمیز اسٹیٹس شئیر کرتے ہوئے بھول جاتی ہیں کہ فیس بک پر زبانیں کتنی دراز ، غلیظ اور نشتر ہوتی ہیں اور اس پلیٹ فارم پر مخالف فرقے کے مرد حضرات کس حد تک تعصبی ذہن رکھتے ہیں جو اہل حدیث عورت کے تقدس کو اچھالنے میں ذرا تامل نہیں کرتے ۔
باطل کا رد دینی تعلیمات سے ہوتا ہے پیاری بہنوں ، چھانٹ چھانٹ کر مرچ مصالحہ لگے جملوں سے للکارنے میں آپ دین کی خدمت نہیں بلکہ اپنے آپ کو تیس مار خان ثابت کرنے کی کوشش کر رہی ہیں ، نیک راستے سے غیر منظم اور جھولدار کام بالکل اس قول کے مترادف ہیں کہ " کلمۃ حق أرید بھا باطل’’ (یہ ) کلمہ حق ہے لیکن ان کا ارادہ اس سے باطل ہے ۔
سیاست اور دین پر چٹپٹے اور مخالفین کو دعوتِ بحث دیتے جملے للکارنا دین کی خدمت نہیں بلکہ فتنہ انگیزی ہے ۔

السَّلاَمُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ

: مسز انصاری

عورت کا معاشرے میں نصف حصہ ہے یہ ایک حقیقت ہے ، بلکہ اگر مکمل حصہ کہا جائے تو بھی غلط نہیں ، وہ اس طرح کہ نصف معاشرہ عورت ہے اور بقیہ نصف معاشرہ عورت کی آغوشِ تربیت میں پروان چڑھتا ہے ۔پس یہ حقیقت اس بات کو ناگزیر بناتی ہے کہ عورت نیک و صالح ، باشعور ، خشیت اللہ سے معمور اور متقی و پرہیزگار ہو تاکہ پورا معاشرہ صالح ہو جائے ۔

سوشل میڈیا پر عورت کے دینی کام کے جواز میں کوئی شبہ نہیں ، عہد نبوی ﷺ میں ہمیں ابلاغِ دین کے میدان میں مردوں کے ساتھ خواتین کی شرکت برملا نظر آتی ہے ۔

سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا جیسی عظیم فقیہہ اور مثالی خاتون کون ہوسکتی ہیں جنہوں نے مذہب واخلاق اور تقدس کے ساتھ مذہبی، علمی، سیاسی، معاشرتی، غرض گوناگوں فرائض انجام دیے ہوں ۔ عہدِ نبویﷺ کے اس شاندار دور میں خواتین نے انتھک کاوشوں ، قابلیت اور اپنی قیمتی کاوشوں کے ذریعہ نا صرف دینِ اسلام کی خدمت کی بلکہ تحریک اسلامی کو قوت بخشی اور اس کے غلبے اور توسیع میں نمایاں کردار ادا کیا ، مسلم خواتین کی نشاۃ ثانیہ اور بیداری انہی عظیم صحابیات کی تاریخ سے وابستہ ہے ۔

دراصل اسلام عورت کے اس روپ کو پسند کرتا ہے کہ امت مسلمہ کی خواتین ایسی ہوں کہ ان کے سامنے موت، قبر، حشر، کتاب، میزان، پل صراط کا تذکرہ ہوتو اللہ تعالیٰ کے خوف سے لرز اٹھیں ۔

اے کاش تجھے عہد نبھانا آئے
زندگی حامل قرآن بنانا آئے
دیدہ و دل کو مسلمان بنانا آئے
اپنی اولاد کو انسان بنانا آئے
اپنے ایمان کے پھولوں سے سجادے گھر بار
پھر دکھا فاطمہ زہرہ کا مثالی کردار

درج بالا مختصر تمہید کے بعد پیاری بہنوں سے عرض ہے کہ میری نصیحت کو اپنی کسی ہم عمر کی نصیحت سمجھ کر ناگواری محسوس نہیں کرنا ، آپ لوگوں کی شئیرنگ کا معیار دیکھ دیکھ کر میں ایک بڑی بہن کی حیثیت سے آپ کو نصیحت کرنے پر مجبور ہوگئی ہوں۔

سب سے پہلے اس اہم حقیقت کو سمجھیے کہ آپ عورت ہیں جس کا اسلام میں بہت نازک لیکن خوبصورت مقام ہے ، عہدِ نبویﷺ کی عورت ہو یا الیکٹرانک وقت کی ، ہر صورت شریعتِ مطہرہ کے احکامات کا نفاذ سلفیت ہے ۔

یہ بھی حقیقت جان لیجیے ، جو کہ میری نظر میں انتہائی بدصورت ہے ، یہ کہ آپ کی والز پر معمولی جنبش بھی کمنٹ باکس میں ایک جم غفیر جمع کر دیتی ہے ، (معذرت کے ساتھ) مجھے یہ حقیقت کہنے میں کوئی مزاحمت حائل نہیں کہ آپ کی نسوانیت سوشل میڈیا کے مرد حضرات کے لیے ایک مقناطیسی کشش کی حیثیت رکھتی ہے ، اور یہ کہنے میں ، میں مزید معذرت خواہ ہوں کہ آپ کی مثلِ زنگ آلود لوہا شئیرنگ سوشل میڈیا پر تفریح کے متلاشی لوگوں کے لیے اس یوذر بھائی کی خالص دینی شئیرنگ سے کئی سو فیصد زیادہ قابلِ قدر ، قیمتی اور قابلِ ستائش ہے جو اللہ کی رضا اور دین کی سربلندی کے جذبات سے معمور اپنے اسلاف کی تعلیمات لوگوں تک پہنچاتا ہے ۔

- کچھ بہنیں اللہ تعالیٰ کے لیے سرخ دلوں کے اسٹیکرز کے ساتھ ایسے ایسے عامیانہ کلمات کا استعمال کرتی ہیں کہ واللہ آخر میں جا کر پتا چلتا ہے کہ مخاطب اللہ کی عظیم ذات ہے ، جیسے میری ایک اسٹیٹس پر نظر پڑی ، محترمہ کہتی ہیں :
- میرا دل چاہتا ہے آپ میرے سامنے کھڑے رہیں اور میں آپ کو دیکھتی رہوں ، میرے تصور میں بھی آپ رہتے ہیں اور خیالوں میں بھی ،،، اللہ جی 

ایک اور اسٹیٹس سنیے :
- میں آپ کے بغیر نہیں رہ سکتی ، میں آپ کے پاس آنا چاہتی ہوں مجھے اپنی محبت دیجیے مجھے اپنے پاس بلا لیجیے ،،، اللہ جی ۔۔۔۔

☝ معزز قارئین !! یہ بہت اختصار کے ساتھ لکھا گیا ہے ، یقین کیجیے وہ وہ انداز اپنائے جاتے ہیں کہ ایک سچا مسلمان جو اپنے رب کی بزرگی ، عظمت و وقار اور جاہ و جلال کا کسی حد تک ادراک رکھتا ہے وہ طیش میں آجائے ۔ لیکن ان عامیانہ کلام و کلمات پر بڑے شد و مد سے دلاسے دیے جاتے ہیں ۔۔۔۔۔

گڑگڑا رہی ہیں تو فیس بک پر ، گر یہ وزاری کر رہی ہیں تو فیس بک پر ، اللہ کی محبت کا اظہار کر رہی ہیں تو فیس بک پر ، یہاں تک کہ اللہ سے دعائیں بھی مانگ رہی ہیں تو فیس بک پر ۔۔۔۔ تمام جہانوں کے وحدہ لاشریک پاک پروردگار کی قسم ، اللہ کی محبت ، اللہ سے گریہ وزاری ، اللہ کو پکارنا اور اللہ سے دعائیں کرنا ، تنہائی کی متقاضی ہوتی ہیں ، پبلک میں افسانوی کلمات سے اللہ کی محبت کا دم بھرنے کے بجائے آپ اس بات کی زیادہ مستحق ہیں کہ آپ اپنے گھروں میں قیام اللیل کا اہتمام کیجیے ، فیس بک پر اللہ کو افسانوی انداز میں سرخ دلوں کے درمیان الفاظ سجا کر پکارنے کے بجائے تہجد میں اس عظیم ذات کو لرزتی آوازوں میں پکاریے ، آنسووں سے بھیگتے رخساروں کے ساتھ اپنے رب کو پکاریے ، سجدوں میں اپنے رب کی رحمت مانگیے ، تشہد میں اس کی پاکی بیان کیجیے اور اپنا مدعا پیش کیجیے ، قیام اللیل وہ وقت ہوتا ہے جب آپ کی پکار تیر بہ حدف ثابت ہونے کے امکان زیادہ ہوتے ہیں ، نیٹ پر اپنی دعائیں اللہ کی طرف روانہ کرنے اور کروانے کے بجائے تہجد کے ان پُرنور سکون بخش لمحات میں اللہ کی طرف اپنی گریہ وزاری روانہ کیجیے جب اللہ آسمانِ زمین پر بہ نفسِ نفیس خود جلوہ افروز ہوتا ہے ۔ امام اعظم محمد رسول اللہ ﷺ کا فرمان ہے:

"ہمارا پروردگار بلند برکت والا ہے ہر رات کو اس وقت آسمان دنیا پر آتا ہے جب رات کا آخری تہائی حصہ رہ جاتا ہے ۔ وہ کہتا ہے کوئی مجھ سے دعا کرنے والا ہے کہ میں اس کی دعا قبول کروں ، کوئی مجھ سے مانگنے والا ہے کہ میں اسے دوں کوئی مجھ سے بخشش طلب کرنے والا ہے کہ میں اس کو بخش دوں ۔" ​
(صحیح بخاری، كتاب التهجد ، بباب الدعاء والصلاة من آخِرِ الليل:1145 )​

- پیاری بہنوں !! آپ آئے دن فیس بک پر محض شرک سے بیزاری اور اللہ کو مُشکل کشاء، حاجت روا، بگڑی بنانے والا، غوث، داتا، معبود اور غریب نوازی کے اسٹیٹس دیتی رہتی ہیں ، اچھی بات ہے ، لیکن یہ تو بتائیے کہ صرف اقرار و قبولیت کے دعووں کے بجائے اگر آپ لوگوں کو معرفتِ الہی اور اصولِ ثلاثہ کے دروس دیں تو کیا بہتر نہیں ہوگا ؟

آپ بہنوں کے آئے دن کے اسٹیٹس کا لبِ لباب یہی اقرار و قبول ہوتا ہے ، جبکہ ہونا یہ چاہیے کہ آپ اس اقرار کے تعلق سے قرآن و سنت پیش کیجیے ،

علماءکرام کے دروس پیش کیجیے ، زیادہ سے زیادہ علماءکرام کی تعلیمات پھیلائیے ، ایسا نا کیجیے کہ اپنی پسند ناپسند کے تذکروں پر ہجوم اکھٹا کریں ، آپ مسلمہ ہیں ، اسلام سے سرفراز ہونے والے ہر مسلمان پر تبلیغ کی ذمہ داری ہے چاہے وہ عورت ہو یا مرد ، محض اقرار اور دعووں کے بجائے ابلاغی انداز اپنائیے ۔

میں دل کی عمیق گہرائیوں سے دعا گو ہوں کہ اللہ تعالیٰ آج کے اس فتنہ اور آزادی نسواں کے عروج میں مسلمان عورتوں کو ہدایت عطا فرمائے ، بالخصوص سلفی طبقہ فکر کی بہنوں کو احساس دلائے کہ مسلمان معاشرے کو ان کی دینی خدمات کی کتنی اشد ضرورت ہے ، نیز انہیں ان کے فرائضِ منصبی ادا کرنے اور گناہوں سے دور رہنے کی توفیق عطا فرمائے ۔۔۔۔ آمین یا رب العالمین

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Facebook ke Zariye Muslim Ladkiyo Ki Barbad Hoti Zindagiyan..

Facebook ke zariye Barbad Hoti Zindagiyaan.

Ek Behan ne yah Tahir likhi hai UN Muslim Ladkiyo par jo Social Media par Na Mehram se Chat karti hai aur Fehash Kamo me masroof rahti hai.

Na Mehram Se Bat karne wali Ladkiyaan jo Social Media pe Hamesha Online rahti hai.

Kuchh Europe parast Ladkiyaan jo Islam aur Musalmano ke khilaf hamesha Aawaz buland karti hai.

Hijab Pehanana Fashion hai, Choice hai ya Islam ka Hukm hai?

سوشل میڈیا پر اکثر آزاد خیال , دین سے دور مغرب زدہ لڑکیاں اپنی معیوب حرکتوں اور مردانہ شہوت کو متحرک کرنے والے الفاظ و انداز کی برہنگی سے نا محرم مردوں کو متوجہ کرتی ہیں .

ایک بہن کا پیغام ان مسلم لڑکیوں کے لیے جو سوشل میڈیا پر غیر مردوں کے ساتھ بات چیت کرتی ہے اور فحش کامو میں مصروف رہتی ہے۔

فیسبک_کے_زریعے_ہوتی_برباد_زندگیاں

ضرور پڑھیں ۔۔۔اور جواب بھی دیں.

یہ پوسٹ صرف لڑکیوں کے لیے ہے امید ہے جیسے لڑکوں کی پوسٹ پر دھڑا دھڑ کمنٹس کرتی ہیں یہاں بھی جواب دیں میرے سوالوں کا لیکن یہ بھی جانتا ہوں کے 90% جواب دیں گی ہی نہیں دیں گی تو وہی فتوے کے ہمیں نہ سمجھاہے کوئی کیوں کے ہمارے دلوں پے مہریں لگ چکی ہیں ۔

میں ہر بار پوسٹس دیکھتی ہوں, کومنٹس دیکھتی افسوس کر کے گزر جاتی کل پہلی بار ریکٹ کیا اور جیسا سوچا تھا ویسا ہی رسپونس پایا کوئی حیرانگی نہیں ۔

بس مجھے میرے سوال کا جواب دے دیں کیا پتا میں غلط ہوں آپ سب صحیح تو میں بھی پھر سب کے سوالوں کے جواب دیا کروں گی۔

1۔ سب سے پہلے تو یہ بتاؤ کے کیا آپ کے گھر والے آپکو توجہ پیار اہمیت نہیں دیتے جو یہاں تلاش کرنے آتی سب ۔

اسکے الاوہ یے بتانا ضروری ہے کے اخری دفعہ شوہر کو کب دیکھا؟ یا شوھر سے کتنے سال چھوٹی ہو؟

اس کے بعد وہ اپکے انبکس ا جاتے .. جسکا شوہر باہر ملک میں ہو یا جو شوہر سے چھوٹی ہو.. پھر لاءن مارتے ..

2۔ انتہائی فضول ,گھٹیا ,بیہودہ سوالوں پر رک کر جواب دینا آخر کیوں اتنا ضروری ہوجاتا آپ سب کے لئے ۔ کیا بلکل بھی نفس روح کا تابع نہیں رہا ۔

3۔ کیا پہن کے سوتی ہو ۔ کیسے کھاتی ہو ۔ بال کھول کے سونا پسند یا باندھ کے ۔ لپ سٹک کونسی پسند اسکا ذائقہ کیا ھوتا ۔
صرف لڑکیوں کے لئے   truth and dare صرف لڑکیاں ہی ان باکس آجائیں ۔

کوئی انتہائی گھٹیا سوال ہوگا اور کہا جائے گا اگر بتانے میں شرم آرہی تو انبوکس میں بتا دیں کیوں وہاں کیا ساتھ امی ابو کو بٹھایا ہوتا ؟

جیسے جیسے شام ڈھالنا شرو ہوتی رات تک صرف ایسی ہی پوسٹس بھرنا شروع ہو جاتی ۔

آپ سب کو ایسی کیا مجبوری ہوتی کے جواب دے کے گزرنا ہوتا۔ نہ دیا تو جانے کونسا عذاب نازل ہوجاے گا.

4۔ گھر سے باہر جاتی جب کوئی راستے پر کھڑا اونچی آواز میں بول رہا ہو کے لڑکیوں کیا پسند ہے؟ کیسے کپڑے پسند ہیں کیسے سونا پسند ہے۔ کیا کرو گی رک کے جواب دے کے جاؤ گی ؟ اتنا سستا ہے تم لوگو کا وقار اور عزت ؟

5۔ یہاں کسی لڑکے کی بات نہیں کروں گی کے وہ ایسا کیوں پوچتے انکو رسپانس ملتا ہے تو وہ پوسٹ کرتے ہیں نہ۔
کیا تم سب اتنی ترسی ہوئی ہو کے کسی بھی گھٹیا سے سوال کا جواب دے کر ۔انکا راستہ سیدھا کر detien ؟

6۔ کوئی بھی لڑکا کسی کو بھی کھینچ کر نہیں لاتا اپنی پوسٹ پر۔ تم سب خود جاتی گھاس ڈالی دیکھ کر اسے کھانے ۔ کس لئے بیلنس لینا ہوتا موبائیل کا یا کیا لالچ کھینچ لاتا ۔ صرف چسکے ؟

7۔ سوشل میڈیا کا زمانہ ہے یہ فیس بک کتنی لڑکیوں کی عزت کھا گیا ۔ کتنی نے خود کشی کر لی ہر خبر سامنے ہوتی وہ سب ہمیں عبرت حاصل کرنے کے کے لئے ہی ہوتیں کے بچ جاؤ ابھی بھی ۔ پھر روتی ہو کے ہماری مدد کرو ہم بلیک میل ہورہے ۔

8۔ کیا عقل نہیں دی اللّه نے دیکھ نہیں سکتیں تم لوگ کا ایک جواب اگلے کے دس سوال
کہاں رہتی ہو
کوئی دوست ہے
کبھی پیار ہوا
ان باکس آجاؤ
واٹس اپ نمبر استمال کرتی
دوست بنوگی
پھر ٹھیک دس دن میں انکو محبت ہوجاتی
پھر تصویر دکھا دو
کال پے بات کر لو ,مل لو
یہ سب شکار کرنے بٹہے ہوۓ آج کے وقت کوئی لڑکی کہے میں بھولی سی مصوم سی باتوں میں آگیی تو سراسر جھوٹ ہے یہ ۔

انٹرنیٹ اچانک اموات سے بھرا ,ہے, عمر کا بھی کوئی پتا نہیں چلتا اپنے ضمیر سے پوچھو کل کی رات قبر میں ہوئی تو کیا جواب دو گی ۔

ہم حقوق العباد میں بہت اچھے تھے سب لڑکوں کو وقت پر جواب دیا کرتے تھے ہمیں جنت میں جگہ دی جائے ؟

خدا کا واسطہ ہے سنبھالو خود کو اتنا ارزاں نہ کرو کے اس فیسبک کے بازار میں ہر راہی گیر کو جواب دینا تم    لوگوں کے لئے سانس لینا جتنا ضروری ہو جاے ۔

یہ وہی منافق لوگ ہیں کے اگر آ پکا اور میرا بھائی یہ سوال کرے انکی عورتوں سے تو غیرت سے ہمارے بھائی کا قتل بھی کر دیں ۔ اور اگر بہن کو جواب دیتے دیکھ لیں تو اسکو بھی مار دیں ۔

قیامت کی پہلی نشانی ہے سورج کا مغرب سے نکلنا اور وہ کل کا دن بھی ہوسکتا جب توبہ کے معافی کے دروازے بند کر دے جائیں گے ۔ ناسا بھی یہ بات بتا چکا کے ایسا ہونا والا ہے ۔

موت بہت سخت اور نزع تلخ ہے ۔ ان فضول چیزوں۔ سے بچو ۔
ہر چیز کا استمال negative اور poztive اپنے ہاتھ میں ہے ۔

اب جو فتوے لگانے آئے گے کے آپ پھر facebook پے کیا کر رہیں عبادت کریں جا کر یہاں تبلیغ نہ کریں کیوں کے یہاں ہم نے گھٹیا چسکے لینے ہوتے ہیں ہمارا موڈ خراب ہوجاتا ہے دین کی بات سن کر ۔

انکے دلوں پے مہریں لگی ہوئیں ہیں جنھیں اللّه بھی ہدایت نہیں دینا چاہتا ۔ اور انہی کو میری اس پوسٹ سے سخت تکلیف پوہنچے گی ۔

ہاں شائد کے کوئی سمجھ جائے اور خود کو بچا لے ۔ کسی ایک کو بھی اللّه کی طرف سے ہدایت مل گی تو میرا مقصد پورا ہو جائے۔

پلیز غور سے پڑھیں گرلز

میں بھی فیسبک یوز کرتی ہوں پر بے تکی پوسٹ کا جواب نہیں دیتی.
فیسبک اچھی اچھی چیزوں کی انفارمیشن کیلئے استعمال کریں.

ٹائم پاس کیلئے کچھ اچھا دیکھ لیں، سیکھ لیں

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Social Media Ka Istemal Karne wali Deen dar Ladkiyaan (Girls) Jo Inbox me kisi Na Mehram se Bat nahi karti.

Waisi Ladkiyaan (Girls) jo Social Media par Non Mehram se bat nahi karti hai inbox me.

Kya Social Media Istemal Karne wali Sari ladkiyaan Be haya hi hoti hai?

Social Media ka sahi istemal kaise kare?

Social Media par Kisi ladke ke messages ko dekh kar kya karna chahiye?

Na Mehram se Social Media par Inbox me chat karna.

Social Media  Joine karne ka ek behan ka waqya.

Social Media Par ladke aur Ladkiyo ka Chat karne ke bare me Islam kya kahta hai?

میں نا محرم سے بات نہیں کرتی۔۔۔!!!

I don't talk to Non Mahram.

اگر ایک دین پر چلنے والی لڑکی یہ کہے کہ میں نامحرم سے ان باکس میں بات نہیں کرتی۔۔۔تو اسے یہ طعنہ دے دیا جاتا ہے کہ اگر تم ایسا سوچتی ہو تو سوشل میڈیا یوز کیوں کرتی ہو؟؟؟؟

پہلی بات سوشل میڈیا کا اچھا یا برا استعمال ہمارے اپنے ہاتھ میں ہے.

دوسری بات دین پر عمل کرنے والی لڑکی کو کیا سمجھ رکھا ہے آپ نے۔۔۔۔؟

کہ کیا وہ جنگلوں سے آئی ہوئی کوئی مخلوق ہے؟؟

اگر اللہ کے حکم پر عمل کرتی ہے تو بس اب جنگل میں جا کہ اپنی ایک دنیا بسا لے اس لڑکی کوئی حق نہیں کہ یہ دنیا میں گھومے یا لوگوں سے رابطے میں رہے۔۔۔۔
Seriously......????

اللہ کے حکم پر عمل کرنے والی زندگی کو بھرپور طریقے سے انجوائے کرتی ہے مگر اللہ سبحان وتعالی کی بتائی ہوئی حدود کے اندر رہ کر۔۔۔۔۔۔اسے اچھائی اور برائی کا فرق پتہ ہوتا ہے۔۔۔۔۔ان ایپس کے اچھے اور برے استعمال کا پتہ ہوتا ہے۔۔۔۔۔۔۔۔!!!!

آپ حق نہیں رکھتے کہ اللہ کے حکم پر چلنے والی لڑکی کو بڑے آرام سے اُٹھ کر یہ فتوی دے دیں کہ تم سوشل میڈیا یوز نہیں کر سکتی!!!

آپ سوشل میڈیا کا استمعال کر سکتی ہیں اسلام کی پیاری شہزادی!!!!

اسے استعمال کریں اپنے رب کا دین پھیلانے کے لیے

اسے استعمال کریں لوگوں کو اللہ کے قریب لانے کے لیے
اس کا استعمال ضرور کریں اپنے اللہ کی محبت کی آگاہی کے لیے۔

رب نے سود سے روکا ھم نی بینک بنالیۓ

رب نے زنا سے روکا ھم نے کلب بنالیۓ

رب نے پردے کا حکم دیا ھم نے ٹی وی اور ڈش خرید کر بے حیاۂی کو عام کر دیا ۔۔۔

رب نے کہا قرآن میں تمھاری کامیابی ہے اور ھم نی آکسفورڈ کی کتابوں کو کامیابی بنا لیا .

ذرا سوچئے آج مسلمان اس وجہ سے پریشان ہیں جس کو راضی کرنا تھا اس کو ناراض کر دیا  تو پھر رحمت کیسی ؟
نیکی کی دعوت عام کرو .

اللہ تعالیٰ عمل کی توفیق عطا فرمائے آمین ثم آمین

جزاکم اللہ خیرا کثیرا

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Aalmi Media Me Saudi Arabia Se Bada Kahtra Kyun | Global media against Saudi Arabia | Islam Ke Liye Saudi Arab Ki khidmat

Aalmi Media Me Saudi Arbaia Se Bada Kahtra Kyun | Global media against Saudi Arabia | Islam Ke Liye Saudi Arab Ki Khidmaat

Saudi Arabia services for Islam

[عالمی میڈیا میں سعودی عرب سب سے بڑا خطرہ کیوں؟]

✍️: فضیلۃ الشیخ ابو رضوان محمدیؔ حفظہ اللہ

━═════﷽════━

[شیخ ابو رضوان محمدی صاحب کی ایک طویل تحریر کا چھوٹا سا اقتباس جو کہ سعودی عرب کی عالم اسلام کے تئیں خدمات کو نمایاں کرتا ہے]

✺ «عالمی طاقتوں اور ذرائع ابلاغ کی مانیں تو دنیا میں سب سے بڑا خطرہ کون ہے؟

☜ سعودی عرب، فی الحال مسلمانوں کا وہ طبقہ جو سلفی اور بقول عالمی میڈیا کے وہابی کہلاتا ہے۔

❂ سعودی عرب سب سے بڑا خطرہ کیوں ہے؟

◈ اس لئے کہ اس کا دستور قرآن اور حدیث ہے۔ 

◈ اسلئے کہ وہ پوری دنیا میں اسلام کی دعوت اور اسلام کے دفاع کی انفرادی اور اجتماعی کوششوں میں حصہ دار و معاون ہے۔ 

◈ اس لئے کہ سعودی عرب میں ہر سال دوسرے ممالک کے ہزاروں افراد وہاں کے دعوتی نیٹ ورک (توعیتہ الجالیات) کے ذریعہ اسلام قبول کرتے ہیں۔

◈ تنہا سعودی عرب نے ملک کی بیشتر زبانوں میں قرآن کے تراجم کرکے، لاکھوں کروڑوں قرآنی نسخے متعلقہ زبان جاننے والوں میں تقسیم کروایا اور کررہا ہے۔ 

◈ 24 گھنٹے مدینہ منورہ کے مجمع فہد میں قرآن کی اشاعت کا اعلی معیاری کام جاری رہتا ہے۔

◈ سعودی عرب اور کویت ہی ہیں جنہوں نے افریقی ممالک میں نصرانی بنانے کے مضبوط نیٹ ورک اور منصوبے کا بھرپور مقابلہ کیا اور اسلامک سینٹرز قائم کرکے اپنے تربیت یافتہ دعاة کے ذریعے نا صرف نصرانی مبصرین (مبلغین) کو ناکام کیا بلکہ بہت سے پادریوں اور نصرانیوں کو اسلام قبول کرایا۔

◈ یورپ اور امریکہ میں جابجا اسلامک سینٹرز قائم کرکے وہاں دعوت اسلامی کا جال بچھایا۔

◈ حتی کہ کیتھولک نصرانیوں کے مرکز وٹیکن سٹی میں مسجد لائبریری اور دیگر لوازمات سے آراستہ اسلامک سینٹر تعمیر و قائم کردیا۔

◈ یہودیوں کے جاری کردہ نوبل اور بکر ایوارڈ خدمات کے اعتراف اور اظہار کے ساتھ کئی فکری مقاصد اور اہداف کے حامل ہیں۔ سعودی حکومت نے ان کے مقابل اسلامی، تعلیمی اور انسانی خدمات کے لئے فیصل ایوارڈ کا اجراء کیا، جو لوگ مسلمانوں کی پسماندگی کا اظہار کرتے ہوئے نوبل انعام سے ان کی محرومی کا رونا روتے ہیں، وہ بتائیں کہ فیصل ایوارڈ کتنے مسلمانوں کو ملا؟ مدرٹریسا کی خدمات کی تو خوب تشہیر ہوئی، پاکستان کے ایدھی امین کو دنیا کتنا جانتی ہے؟ حالانکہ ان کی خدمات کم نہیں ہیں۔

◈ فلسطین اور فلسطینیوں کی مدد تمام سنی ممالک کرتے رہے ہیں لیکن ان میں سب سے بڑا کردار سعودی عرب کا رہا ہے۔ جس نے اسرائیل عرب کے درمیان ہونے والی جنگوں میں براہ راست حصہ بھی لیا۔

◈ افغانستان میں روس کے خلاف جہادی جنگ میں پاکستان کے شانہ بشانہ سعودی عرب کی سب سے بڑی امداد شامل رہی، مالی بھی مادی اور انفرادی بھی۔

◈ دنیا کے گوشے گوشے میں خلیجی ممالک کی حکومتوں اور افراد کی جانب سے؛

⇚ مساجد کی تعمیر،

⇚ اسلامی تعلیم کے فروغ

⇚ علوم اسلامیہ پر مشتمل کتابوں کی تقسیم مسلسل ہوتی رہی اس شعبے میں بھی سعودی عرب سرفہرست ہے۔

◈ سعودی عرب کے جامعات (یونیورسٹیز) پوری دنیا کے مسلمان طلبہ اعلی تعلیم حاصل کرتے ہیں جن کے تعلیمی اخراجات و لوازمات ہی نہیں، معاوضے کا انتظام بھی سعودی حکومت برداشت کرتی ہے۔

⇚ بنگلہ دیش، پاکستان، ہندوستان، سری لنکا، برما، صومالیہ، گھانا، مصر، سوڈان، چیچنیا، چین، روس، اور اس سے آزاد ہونے والی مسلم ریاستیں اور عالمی نقشے کا کوئی مسلم ملک نہیں ہےجہاں خلیجی سنی ممالک اور بطور خاص سعودی عرب اور کویت کی امداد و تعاون نا پہنچتا ہو، قدرتی آفات ہوں یا دیگر انسانی ضروریات ، یہ عربی مسلمان اپنی اخوت دینی کا مظاہرہ کرتے ہیں۔ 

◈ اس وقت سعودی عرب میں شام کے کم و بیش لاکھوں پناہ گزین آسرا پائے ہوئے ہیں، سعودی فرمان یہ جاری ہوا ہے کہ یہ لوگ پناہ گزین نہیں ہمارے بھائی ہیں، ان کے ساتھ اخوت اور ہمدردی کا برتاو کیا جائے اور کیا جارہا ہے۔

✪ نوٹ: یہ ہیں سعودی عرب کی وہ خدمات جو جھوٹا عالمی میڈیا نہیں دکھاتا ہے»۔

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Social Media par Kisi Ladke Ka Messages dekh kar Ladkiyo ko kya karna chahiye?

Social Media par Kisi Ladke Ka Messages dekh kar Ladkiyo ko kya karna chahiye

Islam ki  Shahjadiya is Tahrir ko jarur padhen.
Muslim ladkiyo ko us waqt kya karna chahiye jab koi Ladka Social media pe Messages kare ya Aapki tasweer mange?
Aise Halat me kya kare Jab Aap ko koi Blackmail kar raha ho?

Agar Koi Ladka Blackmail Kare to Kya Karna Chahiye, Ladke Ke Message Ka Jawab Kaise Den, whay should I do when receve a message from Boy, Urdu Post
Muslimah

اسلام کی شہزادیاں اس تحریر کو ضرور پڑھیں۔
یہ پوسٹ اسلام کی شہزادیوں کے لیے ہے وہ ذرا اس پر توجہ دیں۔۔!

آپ کے پاس موبائل ہے۔
آپ سوشل میڈیا پر ایکٹیو ہیں۔
دونوں چیزیں ٹھیک ہیں، لیکن دونوں چیزوں کا استعمال ٹھیک ہے یا نہیں یہ آپ کو عقل و شعور سے طے کرنا ہے۔
فون ایک مکمل آزادی کی حیثیت لے چکا ہے۔ چند سو روپے کا ڈیٹا آپ کو پوری دنیا سے جوڑ دیتا ہے۔آپ دنیا میں جس سے چاہے رابطہ رکھنے میں آزاد ہیں۔ان فیکٹ یہ آزادی نہیں تباہی ہے۔ کیونکہ اگر عقل وشعور نہیں تو آپ کھائی میں گرنے کے لیے تیار ہیں۔

ہر چیز ایک ہتھیار کی طرح ہوتی ہے،اگر اس کا درست استعمال نہ سیکھا ہو۔کچن میں رکھی چھری ضرورت کی چیز ہے، اگر اس سے گلے کاٹنے شروع کر دیے تو وہ ہتھیار ہے۔لکڑی کی ایک شاخ بھی ہتھیار ہے۔یہ آپ پر ہے کہ کس چیز کو زہر، تلوار، اورہتھیار بنا لیں۔

آپ سوشل سائیٹس پر ہیں، کوئی بھی آپ سے رابطہ کر سکتا ہے، دوستی کر سکتاہے۔ آپ کو میسج یا کال پر کچھ معلومات دی جاتی ہے کہ میں یہ ہوں، وہ ہوں …دو چار جملے آپ کی تعریف میں کہے جاتے ہیں۔تمہاری آواز بہت پیاری ہے۔تم کتنی پیاری باتیں کرتی ہو۔ تمہاری سوچ نے مجھے متاثر کیا، لڑکیاں تو بہت ہیں لیکن تمہاری بات الگ ہے۔
مجھے تم جیسی  لڑکی  ہی پسند ہے(جو ہر لڑکی سے کہا جاتاہے )۔ وغیرہ وغیرہ۔

آپ آنکھ بند کر کے یقین کر لیتی ہیں۔ پھر آپ گھر والوں سے ہر بات چھپاتی ہیں, کیونکہ ظاہر ہے کہ گھر والے تو منع کریں گے اور وہ تو ظالم سماج ہیں۔

پھر یہ دوستی اتنی بڑھ جاتی ہے کہ آپ تصویریں شیئر کرنے لگتی ہیں۔ گھر کی باتیں بتانے لگتی ہیں۔ مختلف فیملی فگشن کی ویڈیوز دیتی ہیں۔ کیونکہ اس ایک انسان پر تو آپ کو سب سے زیادہ ٹرسٹ ہے۔ساری دنیا دھوکے باز ہے لیکن ایک یہ اچھا والا ہے۔

اور پھر آپ وہ سنہری جملہ بولتی ہیں۔
”دیکھ کر ڈیلیٹ کر دینا، میں نے تم پر ٹرسٹ کیا توڑنا مت۔“

یعنی اس نے آپ کو کانٹریکٹ لکھ کر دیا ہے کہ وہ وعدہ خلافی نہیں کرے گا۔
آپ اتنی بھولی ہیں کہ دیکھ کر ڈیلیٹ کر دینا پر بہل جاتی ہیں۔  میں صرف ایک سچی کہانی مناسب الفاظ میں بتا سکتی ہوں کہ آپ نصیحت لے سکیں۔

ایک لڑکی کی ایسے ہی دوستی ہوئی، اور پھر وہ لڑکا اس کے گھر تک پہنچ گیا۔ لڑکی کے والد نہیں تھے، وہ لڑکی کو دھمکانے لگا۔ اور  پھر اس لڑکی کی جان پوری طرح جال میں پھنس گئی۔

آپ اسکول جاتی ہیں، کالج اور اکیڈمی جاتی ہیں اس کا مطلب یہ نہیں ہے آپ بہت عقلمند اور ہوشیار  ہیں اور آپ کو تو جی سب کچھ معلوم ہے۔

جو ہوش مندی ہے نا یہ آنکھیں کھول کر رکھنے سے آتی ہے۔ چینی کہاوت ہے کہ جو دیکھو اس پر آدھا یقین کرو،"  جو سنو اس پر تو یقین ہی نہ کرو۔“
(میں نے پوری طرح سے اس کہاوت کو اپنی لائف پر اپلائی کیا ہوا ہے)  تو جو آپ میسج اور کال پر سنتے ہیں، اس پر یقین نہ کریں۔آپ کے پاس اس معلومات کی سچائی کا کوئی ثبوت نہیں ہے۔

بہت سی لڑکیوں کو بہانے سے کسی جگہ بلا لیتے ہیں۔  ان کی کال ریکارڈ کر لیتے ہیں۔ تصویروں والی بات تو اب پرانی ہوچکی ہے لیکن پھر بھی لڑکیاں نصیحت نہیں لیتیں۔  یورپین ملکوں میں یہ وباء عام ہے کہ وہاں لڑکیوں کی تصویریں لیک کر دیتے ہیں اور وہ لڑکیاں خود کشیاں کر لیتی ہیں۔ 

تو برے صغیر میں تو پھر عزت ہی سب کچھ ہوتی ہے۔
یہ جو آئی ڈی آپ دیکھتی ہیں آپ کو معلوم بھی ہے کہ اس آئی ڈی کا وہی نام ہے جو اس پر لکھا ہے۔سامنے والا وہی کچھ ہے جو بتا رہاہے۔

ایک لڑکی کو بتایا گیا کہ لڑکا بیرون ملک انجینئر ہے، جبکہ وہ عام سا ورکر تھا پلس لڑکی کے آئی ڈی سے بات کرنے والوں سے کیوں بات کرتی ہیں؟

جانتی کیا ہیں اس لڑکی کے بارے میں؟
فون پر آواز سنی، وہ لڑکی ہی نکلی، پر اس لڑکی کے پیچھے کوئی اور نہیں ہے آپ کے پاس کیا ثبوت ہے؟

آپ کا کیا جاتاہے کہ آپ صرف اپنی فیملی سرکل اور کلوز فرینڈز کو ایڈ کریں۔ اور خدا کے لیے زندگی کے ساتھ تجربات کرنا بند کر دیں۔ کہ جی میرے بھی بہت سارے فرینڈز ہونے چاہیے۔ میں بھی ان کے ساتھ ہلاگلا کروں۔ میرے انٹرنیشنل فرینڈز بھی ہونے چاہیے  وغیرہ وغیرہ۔
کیا وجہ ہے کہ آپ لوگ اتنی بدھو کم عقل بنی ہوئی ہیں۔
آپ لوگوں کے ہاتھ میں ایک موبائل اور کیمرہ کیا آگیا آپ نے تو خود کو ہی تباہ کرنا شروع کر دیا۔ یہ ایک آنکھ کیمرہ اور ایک اسکرین آخر ہے کیا؟
پوچھیں خود سے۔

آخر ایسا کیا ہو گیا فیس بک، انسٹا، واٹس ایپ، اور موبائل سے۔ وہی دنیا ہے…لیکن لوگ وہی نہیں ہیں۔

آپ کی زندگی وہی پہلے والی نہیں ہے یہ دن بدن تباہ ہو رہی ہے۔  آپ کو بہت سی چیزیں کول لگنے لگی ہیں جو کول نہیں ہیں، وہ آپ کو تباہ کر رہی ہیں۔
اپنی دوستیوں، اپنے رابطوں پر باشعور یعنی ہوش مندانہ نظر رکھیں۔ منہ اٹھا کر کسی بھی ،بہت اچھا ہے وہ ،کو تصویریں نہ بھیجیں، ویڈیو نہ دیں۔ کسی جگہ ملنے نہ جائیں۔

اپنے گھر کے ایڈریس نہ دیں۔ اپنے خاندان کے بارے میں معلومات نہ دیں۔ ”وہ کہتا ہے ہم کورٹ میرج کر لیتے ہیں بعد میں وہ گھر والوں کومنا لے گا۔“اسے کہو جب گھر والوں کو منا لو گے تو بے شک کورٹ میں ہی بار ات لے آنا ، اور ایسے کورٹ میرج، چھپ کر نکاح کرنے والوں کو بلاک کیوں نہیں کرتیں آپ؟

کسی کی جرات کیسے ہو کہ وہ آپ سے یہ بات کرے۔
اس لیے کہ یہ اجازت آپ دیتی ہیں۔
اپنی خامیوں کو تسلیم کریں۔ انہیں درست کریں۔
چند جملوں کی تعریفوں پر اتنا نہ پھسل جائیں کہ کسی گہری کھائی میں جا گریں۔
ہواؤوں میں کیے وعدوں پر اپنی زندگی کی تحریروں کو برباد نہ کریں۔
یہ سب دلدل ہے، ایک بار اس میں گریں تو کون نکالے گا؟
زمانہ یا صدی کوئی بھی ہو، سچی محبت کا قصہ صرف ایک ہوتا ہے۔ فی زمانہ اس نام کی کوئی چیز نہیں پائی جاتی۔

اوپر سے ٹی وی چینل والے سوشل میڈیا کی سچی محبتوں کو اتنا ہائی لائٹ کرتے ہیں کہ سب کو لگتا ہے کہ یہاں سے ہی سارے ہیرو ملتے ہیں۔

یہ جو میں نے لکھا ہے اسے غور سے پڑھیں۔
بار بار پڑھیں۔ اور اپنی زندگیوں کو برباد کرنے سے باز رہیں۔
والدین پر رحم کریں، خود کو عقل کل نہ سمجھیں۔ ہر بات کسی نہ کسی باشعور سمجھدار انسان سے ضرور شیئر کریں اور اس کی نصیحت پر عمل کریں۔

زندگی کوئی فلم نہیں ہیں جہاں اینڈ میں سب ٹھیک ہو جاتاہے۔
خود کو واقعا ت اور حادثات سے بچائیں۔
اپنی جانوں پر رحم کریں۔
اللہ ہم سب کو صحیح عمل کے توفیق دے۔ آمین ثم آمین

(نقل کیا ہوا تحریر)

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Puri Duniya ko Afghan auraton ke Aazadi ki fikr kyu hai?

Sari Duniya ko Afghan auraton ki itni fikr kyu hai?

सारी दुनिया को अफगान औरतों की इतनी फिक्र क्यो हो रही है?

पूरी दुनिया को अफगानिस्तान में महिलाओं की चिंता क्यों हो रही है ? आइये इस क्रोनोलॉजी को समझते है..!

तालिबानी हुकूमत में अफगान औरतों को पढ़ने और पढ़ाने की आजादी मिलेगी।

अफगान औरतों ने किया तालिबान का समर्थन।

जहाँ तक मैं समझता हूं दुनिया की 50% इकोनॉमी महिलाओं पर टिकी है. औरतों के सर के बाल से लेकर  हाथ व पैर के नाखून तक को बाज़ार में बेचा जाता है।

एक छोटा सा शैंपू का पैकेट तब तक नहीं बिकता जब तक उसपर किसी औरत की नंगी तस्वीर न लगी हो?
इसी को यूरोपीय मीडिया आजादी और अधिकार की बात बताती है.

औरतों के जिस्म का कोई ऐसा हिस्सा नही बचा है जिसकी बोली न लगी हो. पहले कहा गया कि तुम जितने छोटे कपड़े पहनोगी उतनी ही अच्छी लगोगी..!

अब कहा जाता है कि तुम्हारे हिप जितना बाहर होंगे और ब्रेस्ट जितना बाहर निकले होंगे

तुम उतनी ही एंटीक दिखोगी, नतीजा यह हुआ कि औरतों ने सर्जरी करवाना शुरू किया जिसमें सिर्फ़ 5% ही औरत कामयाब होती है बाकी इस सर्जरी के दौरान अपनी जान गवा बैठती है।

तालिबान कहता है कि हम महिलाओं को शरीयत के अनुसार आज़ादी देंगे. दुनिया को यह बात हजम नही हो रही है क्योंकि उन्हें पता है कि अगर शरीयत के हिसाब से चलकर..

बग़ैर बे हयाई और बग़ैर जिस्म को दिखाए तालिबान में औरतें डॉक्टर, इंजीनियर और पत्रकार बनकर कामयाब हो गई तो दूसरे देशों में भी औरतें इस तरह के कानून की माँग करने लगेगी।

फिर कपड़े पहने हुए जिस्म ढके हुए लड़की को देखने कौन बियर बार जायेगा ?
कपड़े ढके हुए महिला की बॉक्सिंग कौन देखेगा ?
और अगर कोई देखने ही नहीं जायेगा तो बड़ी बड़ी कंपनिया घाटे में चली जायेगी, उसका शेयर बाजार डूब जायेगा।

वह एक्ट्रेस और मॉडल्स जो जिस्म दिखा कर करोड़ो फॉलोअर्स यूट्यूब, ट्विटर और फेसबुक पर जमा किया है उनका सारा किया धरा खत्म हो जाएगा। जब इनके फॉलोअर्स घटेंगे लोग unsubscribe करना शुरू कर देगा तो यह सेलिब्रिटीज सुपर स्टार से जीरो स्टार बन जाएंगी।

इनको कौन इश्तहार देने के लिए पैसे देगा?

यह जो एडवर्टाइज से पैसे कमाते है वह सब खत्म हो जाएगा।
लिहाजा यह सब को चलाने के लिए इन लोगो ने आसान सा रास्ता खोज निकाला।
     " जिस्म दिखाओ और पैसे कमाओ "
इसी से जन्म लिया यह नारा " मेरी जिस्म मेरी मर्जी "

जब यह नारा लग सकता है तो यह क्यो नही
" मेरी सरकार मेरी मर्जी "

जो वाकई में मुसलमान होगा उसे पर्दा करने में कोई परेशानी नहीं होगी, वरना जो नाम का मुसलमान होगा उसे तो जरूर परेशानी होगी।
जो मुनाफिक होंगा पर्दा के खिलाफ तहरीक चलाएगा।

जब लोग बगैर वजह तुम्हारी मुखालिफत शुरू कर दे तो समझ लो
वह मूनाफिक तुम से नही तुम्हारे काम और शोहरत से खौफ जादा है।

यही हाल है उन लोगो का जो तालिबान के खिलाफ अभियान चला रहे है।

मुस्लिम वालदैन से गुजारिश

अपने घर की लड़कियों को दीनी तरबियत दें ताकि वह शादी के बाद जिस घर भी जाए उसे अपना समझ कर संवार दें वरना आजकल शादी के बाद अकसर घर बर्बाद ही हो रहे है।

जो लड़की अपनी हया की चादर सिर्फ इसलिए उतार दी के दुनिया उसे मॉडर्न, कुल और वेल एजुकेटेड कहेगी , मीडिया उसकी वाहवाही करेगी।

वह अपने मकसद में कामयाब भी हो गई....

लेकिन नंगे जिस्मों पर कुर्बान जाने वाले 30 - 40 लाख फॉलोअर्स में से आज सिर्फ दो बंदे भी ऐसे नही जो आकर उसकी बदबूदार डेथ बॉडी ही उठाकर दफना दें।

खानदान भी इन करतूतों की वजह से बहुत पहले अपना ताल्लुक खत्म कर लेता है।
"मेरा जिस्म मेरी मर्जी" वाली औंटिया उसके बदबूदार जिस्म से दूर भागती नजर आती है।

क्योंकि

इनका मकसद दुनिया में लड़की को नंगा करना है
कफन तो ढांकने का नाम है

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Taliban Said: Afghan women can learn and teach in Universities. | Taliban on women's education | Afghanistan news Hindi

Taliban Said: Afghan women can learn and teach in Universities. | Taliban on women's education | Afghanistan news Hindi

तालिबान ने कहा लड़कियां भी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ सकेंगी।

Taliban on women's education
Afghanistan under Taliban rule

अफगानिस्तान में अब तालिबान अपनी सरकार बना ली है और तरह तरह की योजनाएं चलाई जाने की बातें चल रही है।

अफगान महिलाओं ने तालिबान के समर्थन में प्रदर्शन किया।

इसी बीच तालिबान के एक नेता ने कहा के  अफगानिस्तान में औरतों को पढ़ने की पूरी आजादी होगी और बिकाऊ मीडिया पर झूठ फैलाने का आरोप भी लगाया।

तालिबान ने कहा के अफगानिस्तान के यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को जेंडर के मुताबिक अलग कर दिया जाएगा और नए इस्लामिक ड्रेस कोड की शुरुवात की जाएगी।

तालिबान सरकार के शिक्षा मंत्री ( एजुकेशन मिनिस्टर ) अब्दुल बकी हक्कानी ने कहा के देश में को एजुकेशन सिस्टम यानी लड़के और लड़कियों का साथ में पढ़ाई करना वाला तरीका को खत्म कर दिया गया है। मखलुत तालीम की इजाजत नहीं होगी।

इस के साथ ही उन्होंने यह भी कहा के स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई जाने वाली किताबो का जायेजा लिया जाएगा और जरूरी पड़ा तो उसमे तब्दीली भी की जाएगी।

जो लोग मुसलमान होंगे वह जरूर अमल करेंगे।

शिक्षा मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी ने कहा के को -एजुकेशन सिस्टम को खत्म करने से लोगो को कोई दिक्कत नही है , वे मुसलमान है जरूर इसे स्वीकार करेंगे।

वही कुछ लोगो ने यह कहना शुरू कर दिया के लड़के और लड़कियों के लिए अलग अलग कॉलेजों कहां से आयेंगे और इसके लिए संसाधनों की कमी पड़ जाएगी।

शिक्षा मंत्री हक्कानी ने कहा के अगर महिला शिक्षकों की कमी होगी तो दूसरा रास्ता तलाश करेंगे।

हक्कानी ने कहा यह सब यूनिवर्सिटी पर डिपेंड करता है। अगर महिला शिक्षकों की कमी पड़ गई तो हम पर्दे के पीछे से पुरुष शिक्षकों को पढ़ाने का सोचेंगे या टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जाएगा।

हक्कानी ने कहा देश में पढ़ाई जाने वाली किताबो पर फिर से गौर किया जायेगा और जरूरी पड़ी तो सिलेबस बदलना भी पड़ेगा।

तालिबान नेता ने कहा    तालिबान वाज़िब और इस्लामी पाठ्यक्रम बनाना चाहता है, जो हमारे इस्लामी , कौमी और तारीखी उसूलों के मुताबिक हो।
दूसरी ओर, ये अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में भी सक्षम हों.''

उच्च शिक्षा की नई नीति की घोषणा कल काबुल के शहीद रब्बानी शिक्षा विश्वविद्यालय में महिलाओं द्वारा तालिबान की लैंगिक नीतियों के समर्थन में किए गए प्रदर्शन के बाद की गई है.

अफगान औरतों ने तालिबान के प्रति अपनी वफादारी जताई और समर्थन के लिए तालिबानी झंडा भी फहराया।

उन औरतों ने तालिबान के कानूनों की तारीफ की और जो लोग तालिबान के खिलाफ बोल रहे है उनकी आलोचना भी की।

प्रदर्शन कर रही औरतों ने तालिबानी हुकूमत को दिल से कुबूल करने का इजहार भी किया और प्लेकार्ड लेकर सड़कों पर एहतेजाज भी किया।

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Afghan Auraton ne kiya Taliban ka Support , kahan hame manjur hai aisa kanun.

Afghanistan me Auraton ne Taliban ka support kaise kiya?

अफगान औरतों ने किया तालिबान का समर्थन , कहा हमे मंजूर है तालिबानी शासन

अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत में औरतों की हालत कैसी है?
क्या तालिबान अफगान औरतों को बेबस बना कर रखा है?

इस तरह के सवाल आए दिन हम मीडिया में देखते है, और कुछ बिकाऊ मीडिया अफगान औरतों की ऐसी कहानी सुनाती है जैसे लगता है 20 सालो से चले आ रहे है लड़ाई का खामियाजा इन्ही लोगो को भुगतना पड़ा है?

कुछ दलाल मीडिया औरतों की आजादी के नाम पर अफगानिस्तान का यूरोपीकरन करना चाहते है।

शराब , सिगरेट, फहाशी जीनाकारी आम करना जैसे अधिकार शामिल है।
  यह लोग अफगानिस्तान पर अपना विचार थोपने वाले होते कौन है?
कौन है यह लोग जो हर किसी पर अपना विचार जबरदस्ती डाल देते है?

आज तक तो यही हमसब सुनते और देखते आए के तालिबानी शासन में औरतों के हालत अच्छे नही है लेकिन आज उससे कुछ अलग और निष्पक्ष जानकारियां आपको बताने जा रहा हूं।

अफगानिस्तान में तालिबानी शासन में महिलाओं की स्थिति को लेकर कुछ बिकाऊ और दलाल मीडिया  चिंता जता रही थी, लेकिन असल में वहां हो क्या रहा है?

इसी बीच अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से आई तस्वीरें इन दलाल मीडिया को बेनकाब कर दिया है।

काबुल में अफगान औरतों ने तालिबानी शासन का समर्थन किया और साथ में अपनी हमदर्दी भी जताई।

जब यह तस्वीरें सामने आई तो कुछ चाटुकार मीडिया ने उन अफगान औरतों को निशाना बनाना शुरू कर दिया जिन्होंने तालिबानी हुकूमत का समर्थन किया था।

उन अफगान औरतों ने नकाब पहन रखी थी, हाथ में दस्ताने डाल रखे थे इसलिए कुछ मीडिया वालो को इससे चिढ़ होने लगी।

जब बात पर्दे की हो और चाटुकार मीडिया न भौंके ऐसा नहीं हो सकता?

इन लोगो ने मुस्लिम औरतों को आजादी के नाम पर उनसे हया की चादर उतारने और गिद्दो के जैसे नोच खाने की ठान रखी है।

कुछ यूरोपीय गिद्धो को बर्दास्त नही हुआ तो उन्होंने भद्दे भद्दे कमेंट करने लगे।

अफगान महिलाओं ने किया तालिबान का समर्थन

शनिवार को काबुल यूनिवर्सिटी में तकरीबन 300 अफगान औरतें एक साथ इक्कठा हुई और तालिबान पर औरतों के हुकूक के मुतल्लिक लग रहे इल्जामात को सिरे से खारिज किया और कहा के हमे जो अधिकार चाहिए थे वह तालिबान ने दिए है साथ ही उन्होंने मीडिया को अफवाह फैलाने से मना किया।

कुछ अफगान औरतों ने तालिबान का झंडा भी फहराया और लोगो को मुखातिब करते हुए तालिबान के प्रति वफादारी की कसमें भी खाई।

साथ ही उन्होंने को एजुकेशन सिस्टम ( मखलूत तालीम ) को भी गलत तरीका बताया और हम जिनसियत के बढ़ते हुए रुझान पर अपनी चिंता जाहिर की।
तालिबान के लैंगिक अलगाव को सही बताया और दूसरे अफगान लोगो से इस पर अमल करने को कहा।

इस अफगान औरतों ने पोडियम पर अपने भाषण में अमेरिका और यूरोप के देशों की जमकर आलोचना की।
उन्होंने ने मगरिबी मुमालिक ( पश्चिमी देश ) और मीडिया पर फहाशी फैलाने का इल्जाम भी लगाया, भाषण के दौरान वहां बैठी अफगान औरतों ने झंडे फहराकर अपने समर्थन का इजहार भी किया ।

को एजुकेशन का विरोध

इन औरतों ने को एजुकेशन सिस्टम का विरोध किया और साथ में यह भी कहा के इससे बुराई फैलती है और हमे बुराई फैलाने वाला सिस्टम नही चाहिए।
इन वक्ताओं ने उन औरतों की भी आलोचना की जिन्होंने तालिबान के खिलाफ सड़कों पर मुजाहिरा किया।
उन्होंने साथ में को एजुकेशन सिस्टम के खिलाफ हाथो में प्लेकार्ड लेकर  सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन भी किया।

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Social Media pe Ulema Ko Blackmail karne ki Sajish.

Muslim Ulema Alert rahe: Social Media Blackmailing apne Urooj pe hai.


मुस्लिम उलेमा अलर्ट रहे: सोशल मीडिया ब्लैक मेलिंग जोरो पड़ है।

जो भी उलेमा, हाफिज ए कुरान फेसबुक या दूसरे सोशल मीडिया पर एक्टिव है उन के लिए एक खास पैगाम।

जिस तरह यहूद वा नसारा हमेशा इस्लामी सिपाहियो को अपनी लड़कियां देकर फंसाने की नाकाम कोशिश करते है, उसी तरह आज भी मुखालिफ हमारे उलेमा को लड़कियों के जरिए गैर मुहज्जब चैट या बरहना वीडियो कॉल करके फंसाने की कोशिश कर रहे है।

कई दिनों से इस तरह की खबरें आ रही थी और अब कई उलेमा ए किराम ने यह बात बताई के उनके पास इस तरह के कॉल्स आई है और उनसे चैट करने की कोशिश की गई।

कई इस्लामिक पेज के एडिटर, एडमिनिस्ट्रेटर के पास भी  पिछले कई रोज से फेसबुक मैसेंजर पर एक खातून चैट करने की कोशिश कर रही थी और साथ ही बार बार वीडियो कॉल भी आ रही थी जिनको कई मर्तबा नजरंदाज ( इग्नोर ) करने के बाद कल एक कॉल को रिसीव किया तो मामला वही था जो लोगो से सुनते आए थे।
मैंने उसी वक्त फोन डिस्कनेक्ट कर दी क्योंकि इन मामलात की संगीन का इल्म मुझे था और दोस्तो से उसी तरह की कॉल्स और चैट्स की जानकारी भी मिल रही थी। एक साहब ने यहां तक बताया था के कुछ लोगो को इसी चैट और कॉल्स के बिना पर ब्लैक मेल भी किया जा रहा है।

इन कॉल करने वाली लड़कियों में कुछ आईडी मुस्लिम नामो से है तो कुछ गैर मुस्लिम नामो से।

एक बात याद रखें के इस तरह की कॉल्स अटेंड करना या चैट में शिरकत करना आप के लिए परेशानी का बाइस बन सकता है साथ ही आप की कौम वा मिल्लत के लिए भी।

जरूरी बात

मुझे जिस id से कॉल आई थी जब मैंने उसका स्क्रीनशॉट लेना चाहा तो वह id इतनी सिक्योर थी के उसका स्क्रीनशॉट भी नही लिया जा सका।

यह बात इस ओर इशारा करती है के यह दौर टेक्नोलॉजी का है , जो दिखाया जायेगा वही आप देख सकेंगे। आपको आपके फोन पर स्क्रीनशॉट लेने से रोका जा सकता है तो समझ लें के आपकी चैट या आप की वीडियो कॉल / वाइस sms को भी एडिट करना कोई मुश्किल नहीं।
हो सकता है के कॉल उधर से आई और शो करे के कॉल आपने की है। आपके चेहरे के एक्सप्रेशन से छेड़ छाड़ कर दी जाए या आपके बॉडी को बदलकर उसके जगह पर कोई दूसरा शख्स खड़ा करना तो बच्चो का खेल है।

जब तक आप साबित करेंगे के वह आप नही है तब तक बेड़ा गर्क हो चुका होगा।
आज का दौर सोशल मीडिया और इंटरनेट का दौर है।
आज के दौर में झूट को सच बनाने की मशीन मौजूद है।
मीडिया से लेकर सोशल मीडिया, आवाम से लेकर अदालत तक आपको कुसुरवार और गुनहगार साबित कर देंगे भले ही आपको इस साजिश के बारे में कुछ भी मालूम न हो।

कोई और मसला हो तो उसे हैंडल करना आसान होता है मगर किसी औरत के ताल्लुक से इल्जाम लगाया जाए के आपने उसे ब्लैकमेल किया, फोन किया वगैरह तो फिर बहुत मुश्किल हो जाता है खुद को सही साबित करने के लिए, अदालत का फैसला पांच साल बाद आता है जब तक मीडिया और उसके सरपरस्त फैसला कर देते है।
इन सारे मामले में एक मासूम को बली का बकरा बना दिया जायेगा इसलिए तमाम मुस्लिम भाईयो से गुजारिश है के वह बड़े ही एहतियात से कम लें खास कर जब आप ऑनलाइन हो तो।

इस हरकत की बहुत सारी वजहें हो सकती है।

एक यह भी हो सकता है के जिस तरह दूसरे मजाहिब के रहनुमा इस मामलात में रंगे हाथो पकड़े गए और उसकी वजह से उनकी पूरी कौम को रुसवा होना पड़ा है , इसी तरह हमारे उलेमा को भी इस मामले में ब्लैकमेल,  किसी तरह फंसा करके सबूत के तौर पर वीडियो, स्क्रीनशॉट लेकर के बदनाम करना चाहते है या यह भी मुमकिन है के इस तरह के मामलात को Love Jihad के साथ जोड़कर न सिर्फ आपकी जिंदगी तबाह वा बर्बाद कर दी जाए बल्कि आपके पूरे कुनबे को इसकी भेंट चढ़ा दिया जाए।

या पहले आपको ब्लैकमेल करके आपके माल़ वा दौलत को लूटा जायेगा, बलात्कार, रेप, यौन शौषण, महिला उत्पीड़न का झूठा इल्जाम लगाकर metoo कैंपेन चलाया जाएगा फिर मीडिया के हवाले करके राष्ट्रीय स्तर पर फायदा उठाने की नापाक कोशिश की जाएगी उसके बाद महिला सम्मान के खातिर बली का बकरा बना दिया जायेगा।

याद रहें आपकी एक अंजाने में हुई गलती या नादानी आपको , आपके खानदान _ रिश्तेदार और आपकी पूरी कौम को रुसवा कर सकती है। लिहाजा होशियार रहे और इस तरह की कोई पेशकश कभी कुबूल न करें।

तवज्जो फरमाए।

खास बात यह है के इस मामले में टारगेट अक्सर आलिम ए दीन , दाढ़ी टोपी वाले, उर्दू अरबी नाम वाले ही है।
यह तो वह दौर है जिस में खुद कौम ए मुस्लिम की बेटियां दाढ़ी टोपी वालो को पसंद नही करती, ऐसे वक्त में किसी का दाढ़ी टोपी वालो पर टूट पड़ना और बगैर किसी बातचीत के सीधे बरहना वीडियो पैगाम से बातचीत की शुरुवात करना कोई आम बात नही यह किसी बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा है।

शायद यह Love Jihad, Corona Jihad के बाद अब नया अभियान  Rape Jihad के नाम से शुरू होने वाला हो।

लव जिहाद के लिए कानून बना ही दिया गया, कोरोनावायरस की पहली लहर में तबलीगी जमात वालो को कोरोना जिहाद के लिए बदनाम किया ही गया अब यह उसी कंडीशन का नया वर्जन है रेप जिहाद।

जिसके जरिए मौलवी मौलाना, हाफिज ए कुरान, मदरसे में पढ़ने वाले तलबा  और दीन की दावत देने वाले बा शय्यूर लोगो का शिकार करना है। यह वाला आइडिया बहुत कारगर साबित हो सकता है, क्युकी इस मामले में बगैर सही गलत की तहकीक किए हुए बहुत ही आसानी से लोग किसी भी मर्द को कसूरवार और गुनहगार ठहरा ही देते है और अगर कोई दाढ़ी टोपी वाला हो तो सोने पे सुहागा। आमतौर पर  ऐसे मामलात में सीधे सीधे उसे गुनाहगार साबित कर ही दिया जाता है, मीडिया से लेकर सोशल मीडिया और आवाम से लेकर अदालत तक हर जगह ऐसे मामलो में आंख बंद करके दोषी साबित कर दिया जाता है और जब वीडियो , स्क्रीनशॉट मौजूद हो तो फिर काम और आसान हो जाता है।

इसीलिए कुफ्फार की ऐसी तमाम साजिशो का शिकार होने से खुद भी बचें और अपने दोस्त वा अहबाब  को भी बचाएं।

ऐसे में आप सब से गुजारिश है के अगर कोई किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर या फोन कॉल पर इस तरह की चैट करे या वीडियो कॉल करे तो आप लोग बिलकुल भी उस चैट या कॉल ( ऑडियो या वीडियो कॉल ) में शामिल न हो और इस तरह के नंबर्स या प्रोफाइल्स को फौरन ब्लॉक करे।
ताकि आप और आपकी कौम दोनो बदनामी की आग से बच सकें।

इस तहरीर को पढ़ें और अमल करें, खुद भी महफूज रहें और अपने दीन को भी कुफ्फार का निशाना बनने से  महफूज रखे।

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Kya Whatsapp ke Messages ko 1000 martaba forward karne se Musibat door ho jayegi?

100 ya 1000 martaba Messages bhejne wale Articles ki hakikat.
Kya 100 logo ko whatsapp pe messages bhejne se Pareshaniyan door ho jati hai?

*Jo log "1,000 baar" kisi Dua ko pdhne ka Mamool bnate hain, or usse aisa Samjhte hai ki preshaniya Door hogi.* ❌
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👉 Sabse pahli baat ye hai ki jo *Dua ka Tareeqa  Rasoolullah ﷺ se Sabit hai wahi karna Chahiye, Preshaniya Door krne ke liye.*

👉 Kuch log *Aaj kal Apne masjido me Ekatta ho kar 1,000 Baar kisi khas dua ka Mamool bna lete hain,* unko Es baat pe Dhayan dena Chaiye ki *kya Aisa krna Rasoolullah ﷺ ya Sahab (r) se Sabit hai ya nhi.?*

👉*Kya Rasoolullah ﷺ Preshaniyo ke Wakt Aisa hi karte the ya karne ka Hukum diya?*

Yaad rahe jo dua preshaniyo ke Wakt pdhna Rasoolullah ﷺ se Sabit hai, usi dua se preshaniya jayegi, khud se kuch bhi Ejad na kre.

➡ *Deen me koi bhi nayi cheez Shamil krna bidat hai*
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👉Rasool Allah  ﷺ  ne farmaya:- Jisne hamare is deen me kuch aisi baat shamil ki jo usme se nahi hai to wo rad hai.(qabile qubool nhi)
📚[Sahih al bukhari:2697]

*Azkaar Jo Rasoolullah ﷺ ne sikhaya*
👇👇👇👇👇
*Ye 3 "Surah" Subah aur sham 3 baar padhne se preshaniya door Rahti hain.*
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👉1)Surah Al-Ikhlas ,
👉2)Surah Al-Falaq Aur
👉3)Surah An-Nas
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Rasool-Allah ﷺ ne farmaya Subah aur sham 3 baar Surah Al-Ikhlas , Surah Al-Falaq Aur Surah An-Nas padh liya karo , ye tumhe har cheez ke liye kaafi ho jayegi (yani har tarah ki pareshaniyo se bachne ke liye ye kaafi hain)
📚 [Abu dawud:1643]
( *हर बात दलील के साथ)*

*Eske elawa or bhi azakr hain, or hame wahi karna Chahiye, na ki Khud se bana ke kuch bhi.

📱 *Forward ज़रूर करे (अल्लाह अज्र देगा)*
👉 *Educate to Ummah*

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Islam ke khatir Sana khan ne Bollywood ko chhora,

Kya sana khan bhi ab Purane khyalon wali banne ja rahi hai?
Aakhir Sana Khan ne kyu bollywood ko diya istifa?

सना खान ने क्यों फिल्मी दुनिया छोड़ा?
आज सोशल मीडिया के दौर में हम दुनिया के कोने कोने की खबर जान जाते है। ऐसे ही कुछ दिनों पहले बॉलीवुड अदाकारा सना खान ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पे एक चौंकाने वाली तस्वीर अपलोड की और फिर देखते ही देखते सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनल्स पर यह खबरें छा गई।
हुआ कुछ यूं के सना खान ने अपने इंस्टाग्राम, ट्विटर, फेसबुक पे उर्दू, रोमन उर्दू और अंग्रेजी में लिखी पोस्ट की एक तस्वीर डाली जो कुछ इस तरह से था जिसमें वह अपनी बात बिस्मिल्लाह ( ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ ) से शुरू करती है। आप इसे पढ़ सकते है, इमेजेस में भी देख सकते है।
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ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ

भाइयों और बहनों
आज मै अपने ज़िन्दगी के एक अहम मोड़ पर आपसे बात कर रही हू। मै सालो से शोबिज़ ( फिल्म इंडस्ट्री ) की ज़िन्दगी गुज़ार रही हू और,  इस अरसे में मुझे हर तरह की शोहरत, इज्जत और दौलत अपने चाहने वालो की तरफ से नसीब हुई। जिस के लिए मै उनकी शुक्र गुज़ार हूं लेकिन अब कुछ दिन से मुझ पर यह एहसास कब्ज़ा जमाए हुए है के इंसान के दुनिया में आने का मकसद क्या सिर्फ यह है के वह दौलत और शोहरत कमाए?
क्या उसपे यह फ़र्ज़ आयद नहीं होता के वह अपनी ज़िन्दगी यूं लोगो की खिदमत में गुजारे जो बे आसरा और बे सहारा है
क्या इंसान को यह नहीं सोचना चाहिए के उसे किसी भी वक़्त मौत आ सकती है?
और मरने के बाद उसका क्या बनने वाला है?
इन दो सवालों का जवाब मै मुद्दत से तलाश कर रही हूं खास तौर पर इस दूसरे सवाल का जवाब के मरने के बाद मेरा क्या बनेगा?
इस सवाल का जवाब जब मैंने अपने मजहब में तलाश किया तो मुझे पता चला के दुनिया की यह ज़िन्दगी असल में मरने के बाद की ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिए है। और वह इसी सूरत में बेहतर होगी जब बंदा अपने पैदा करने वाले के हुक्म के मुताबिक अपनी ज़िन्दगी गुजारे , और सिर्फ दौलत और शोहरत को अपना मकसद ना बनाए बल्कि गुनाह की ज़िन्दगी से बच कर इंसानियत की खिदमत करे और अपने पैदा करने वाले के बताए हुए तरीको पे चले। इसलिए मै आज यह ऐलान करती हू के आज से मै अपने शोबिज़ ( फिल्म इंडस्ट्री ) की ज़िन्दगी छोड़कर इंसानियत की खिदमत और अपने पैदा करने वाले के हुक्म पर चलने का पक्का इरादा करती हूं।
तमाम भाइयों और बहनों से दरख़्वास्त है के आप मेरे लिए दुआ फरमाए के अल्लाह ताला मेरी तौबा को क़ुबूल फरमाए। इसी तरह आइंदा के मेरे अज़म यानी अपने खालिक के हुक्म के मुताबिक और इंसानियत की खिदमत करते हुए ज़िन्दगी गुजारने की तौफीक अता फरमाए और उसपर इस्ताकामत नसीब फरमाए

आखिर में तमाम भाइयों और बहनों से दरख़्वास्त है के वह अब मुझे शोबिज़ ( फिल्म इंडस्ट्री ) के किसी काम के लिए दावत ना दे बहुत बहुत शुक्रिया।

Sana Khan ثنا خان
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ताज्जुब की बात यह है के एक तरफ जहां इसलाम को आतंकवाद और महिला विरोधी बताया जाता है तो दूसरी तरफ बॉलीवुड की अदाकारा जायरा वसीम तो कभी सना खान फिल्मी दुनिया छोड़कर अल्लाह के हुक्म पे चलने को तैयार है ।

यूरोपीय देशों में और फिर पूरी दुनिया में जिस तरह इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दिया गया उसकी वजह से मुसलमानों को हर जगह परेशानीयो का सामना करना पड़ा , इन्हे प्रताड़ित किया गया । मीडिया ने इसलाम की छवि को बिगाड़ने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
कभी रूढ़िवादी कहकर, आतंकवाद से जोड़कर इसलाम को बदनाम किया गया, चाहे वह विदेशी मीडिया हो या फिर इलाकाई मीडिया सभी ने इसमें अपना अहम किरदार अदा किया।

इसी तरह भारत में तीन तलाक़ और हलाला का मामला आया, जिस को लेकर बहुत सारी औरतें मुजाहिरा करने के लिए सड़को पे उतर आई और फिर शुरू हुआ मीडिया का तमाशा।
बस इसे यूं समझे के मीडिया ने मदारी और सरकार ने डुगडुगी का काम किया।

बगैर जाने समझे के इसलाम ने वाकई तीन तलाक़ ( तलाक़, तलाक़, तलाक़ ) और हलाला को जायज तरीका बताया?
क्या इसलाम इसकी इजाज़त देता है?
क़ुरआन व हदीस इसके बारे में क्या कहता है?
कभी इन सारी बातों पे कोई ध्यान दिया?
इन लोगो को कितनी क़ुरआन कि सुरतें और अहादीस याद है?

मीडिया ने इसे इस तरह पेश किया के लोग यह समझने लगे के इसलाम हमेशा महिला विरोधी बातें करता है।
अब कुछ नारीवादी सोच वाली औरतें आती है और सोशल मीडिया पे अपनी बातें रखती है और इसलाम के बारे में गलत मैसेज लोगो को देती है और यह हुई उनकी अभिव्यक्ति की आजादी।

मगर अब सना खान ने ऐसे लोगो को तमाचा लगाया है जो इसलाम के तरीके को रूढ़िवादी, 1400 साल पहले वाला सोच, संकीर्ण और विकृत मानसिकता, पुराने ख़यालो वाला , जो अपने समाज में कभी तब्दीली चाहते ही नहीं है    वाला बताते है।

जो इसलाम को आधुनिकता का विरोधी के तौर पे पेश करते है।
जो इसलाम को तरक्की की राह में रुकावट समझते है।
जो इसलाम को अलगाववाद और कट्टरपंथ से जोड़ते है।
ऐसे लोग सिर्फ अपनी जाहिलियत का सर्टिफिकेट पेश करते है, कर रहे है और करते रहेंगे।
मीडिया डिबेट में यह चंद पैसे लेकर इसलाम के खिलाफ जहर उगलते नहीं थकते यही इनका रोजगार है।

एक साल पहले जब जायेरा वसीम ने भी यही फैसला लिया था तब उस वक़्त कुछ लोगो ने उनके फैसले की मुखालिफत ( विरोध ) किया था ।
ऐसे लोग यह सोचते है के कहां इसलाम का 1400 साल पहले वाला तरीका और कहां आज साइंस का दौर।
     जहां आज इंसान चांद पे पहुंच चुका है   वह क्यों जाएगा 1400 साल पहले के दौर में?
मगर हिदायत देना अल्लाह का काम है, वहीं इस दुनिया का मालिक है, वहीं हमे पैदा करता है और मारता भी है। वहीं सूरज और चांद को निकालता है, वह एक है, उसका कोई शरीक नहीं, वह हर चीज पे कादिर है।

जो हमे ज़िन्दगी और मौत दोनों देता है हम उसी के हुक्म पे चलते है, हम उसी के फरमान को मानते है। क्यों के हमे कल मौत आनी है फिर हमारा अंजाम क्या होगा?
सिर्फ यह 60 - 70 साल की कामयाबी ही सब कुछ नहीं है।
अगर इसलाम औरतों को जंजीर में ज़कर कर रखता, तरक्की की राह में रुकावट होता, महिला विरोधी होता तो क्यों इतने पैसे वाली तालीम याफ्ता बॉलीवुड अदाकारा सना खान , ज़ायरा वसीम इतने दौलत, शोहरत, इज्जत और लोगो की हिमायत छोर कर अल्लाह के हुक्म को मानती?

अगर वाकई इसलाम औरतों को गुलाम बनाकर रखता, उसकी आजादी छिनता, उसपे बंदिशें लगाता, अपनी मर्जी से जीने नहीं देता और तरह तरह की पाबंदियां आयेद  करता तो फिर सशक्त, आत्मनिर्भर, बेबाक, बहादुर , शिक्षित, माल व दौलत, शोहरत, इज्जत और ऐश व आराम की सारी चीजें मौजूद होने के बावजूद अदाकारा जायरा वसीम और सना खान क्यों बेहयाई, बेशर्मी और फहाशि की दुनिया को छोर दीन ए इसलाम के रास्ते को अपनाती?

कौन इनको तलवार के बल पे ऐसे फैसले लेने को मजबूर किया है?
यहां कौन सा तालिबान, आईएसआईएस, अल कायदा जैसे कट्टरपंथी और चरमपंथी संगठनों का दबाव था इन पर?
यहां कौन इब्राहिम लोदी, बाबर, तैमूर जैसा ज़ालिम, लुटेरा ( काफिरों की जुबान में ) बादशाहों ने तलवार की ताकत से इनको मजबूर किया?
बात साफ है
            हमे मालूम है जन्नत की हकीकत
मगर दिल को खुश रखने को गालिब ख्याल अच्छा है

काफिरों और मुशरिको का तो शुरू से ही यह मंसूबा रहा है के इसलाम के खिलाफ अफवाह फैलाकर मुस्लिमो और गैर मुस्लिमो के दिलो में नफ़रत पैदा कर दिया जाए। मगर इससे भी खतरनाक है हमारे बीच बैठे हुए मुनाफिकों की जमात। जो हर वक़्त मुसलमानों को गुमराह करने के लिए हसीन ख्वाबों की खूबसूरत ताबीर  बताते है, कभी आजादी के नाम पर तो कभी तरक्की के नाम पर, जबकि असल बात तो यह है के यह हमारी तरक्की चाहते ही नहीं है बल्कि यह हमे अल्लाह के रास्ते से गुमराह कर इब्लिस के रास्ते पे चलाना चाहते है जो हमे ना मंजूर है।

दीन से दूर रहकर पैसे कम लेना, लोगो की हिमायत हासिल कर लेना कोई बहुत बड़ी कामयाबी नहीं है बल्कि यह दुनिया की हवस और लालच है।

आप का ज्यादा वक़्त नहीं लेते हुए अपनी बात अलामा एकबाल के इस शेर से खतम करता हूं।

अल्लाह से करे दूर, तो तालीम भी फितना
इमलाक भी औलाद भी जागीर भी फितना
नाहक के लिए उठे तो शमशिर भी फीतना
शमशीर ही क्या नार ए तकबीर भी फितना

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Kya Quran ko Mobile se delete karna Qayamat ki nishani hai?

Kya Quran ko, ya quran ke kisi surah, aayat ko mobile se delete karna Qayamat ki nishani hai?

Bismillahirrahmanirrahim
*Kya Qur'an ko "Phone" me se Delete karna Qayamat ki Nishani hai?*
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❌ *Nahi aisa kahi bhi nahi kaha gya hai.*
👉 *Allah Aalimo ko "Maut" de kr ilm ko utha lega na ki hamare delete krne pe.*
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👉Rasoollallahu ﷺ ne farmaya Allah ilm ko is tarah se nahi utha lega ki isko bando se cheen lega Balki wo *Aalimo ko maut dekar Ilm ko utha lega* phir jab koi Aalim baqi nahi rahega to log jahilon ko sardar bana lenge Unse sawalat kiye jayenge aur wo baghair Ilm ke jawab denge is liye khud bhi gumraah honge aur logo ko bhi gumraah karenge.
📚 *[Sahih Bukhari:100].
( *हर बात दलील के साथ*)

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