Shayer-E-Mashriq Alama Iqbal ka Naw jawano ko Paigham.
#तकबीर_मुसलसल
*🎯 तू शाहीन है परवाज़ है काम तेरा*
शायर ए मशरिक़ अल्लामा इक़बाल रहमहुल्लाह का पैग़ाम नौजवानान-ए-मिल्लत के नाम_*
ऐ राज़ ए हयात से नवाकिफ़ नौजवान!
तू ज़िन्दगी के आगाज़ और अंजाम से ग़ाफ़िल है।
तू दुश्मनों का खौफ़ दिल से निकाल दे। तेरे अन्दर एक क़ुव्वत ख्वाबीदह मौजूद है, उसे बेदार कर।
जब फिर अपने आप को शीशा समझने लगता है तो वह शीशा ही बन जाता है और शीशे की तरह टूटने लगता है। जब मुसाफ़िर अपने आप को कमज़ोर समझता है तो वह अपनी जान की नक़दी भी राहज़न के सुपुर्द कर देता है। तो वह अपने को कब तक पानी और मिट्टी का पुतला समझता रहेगा।
तुझे चाहिए कि अपने अन्दर से शोला-ए-तूर पैदा कर दे। यूसुफ़ की तरह ख़ुद-शनास हो ताकि असीरी से शहंशाही तक पहुँचे.
ऐ ग़ाफ़िल जवान! क़ौम अपने अतीत के इतिहास से रौशन होती और उसे याद रखने से ही ख़ुद को पहचानती है।
अगर वह अपनी तारीख़ भूल जाये तो फिर मिट जाती है। ऐ मुस्तक़बिल के मेमार (निर्माता)! अपनी तारीख़ को महफ़ूज़ कर, और पाइंदा हो जा, गुज़रे हुए सांसों से ज़िन्दगी पा जा। गुज़रे हुए कल को आज से मरबूत कर, ज़िन्दगी को सधाया हुआ परिंदा बना ले, अय्याम के रिश्ते को हाथ में ले ले; वरना तू दिन का अंधा और रात का पुजारी बन जाएगा।
तेरे अतीत से ही तेरा हाल (वर्तमान) वजूद में आता है और फिर हाल स तेरा मुस्तक़बिल (भविष्य) सँवरता है।
अगर तू हयात-ए-जाविदाँ का चाहने वाला है तो मुस्तक़बिल और हाल से रिश्ता न तोड़, तसलसुल-ए-इदराक की मौज ही में बक़ा है, मे-कशों के लिए शोर-ए-क़लकल ही में ज़िन्दगी है।
🎁पेशकश: *सोशल मीडिया डेस्क ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड*
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