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Chaaron Imaam Aur Sunnate Nabi.

👆🏻♻🌹चारों इमाम और सुन्नत की पैरवी 🌹♻

مَنْ يُّطِعِ الرَّسُوْلَ فَقَدْ اَطَاعَ اللّٰهَ  ‌ۚ
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जिसने रसूल स0 की इताअत की तो उसी ने अल्लाह की इताअत की !
(अन-निसा- अ0 : 80)

♻ दीन व शरीयत सिर्फ कुरआन व सुन्नत का नाम है ! रसूल करीम स0 के अलावे दुनिया में कोई शख्सियत ऐसी नही जिसकी हर बात मानी जा सकती हो !  सहाबा केराम , इमाम और मुहद्दिसिन ने भी हिदायत के इसी चश्में से रौशनी पायी !
उमूमन यह उज़्र पेश किया जाता है की कुरआन व सुन्नत को बराहे रास्त समझना हर एक के बस की बात नहीं....... यह बात दुरुस्त नहीं !

हमारे लिए कुरआन व सुन्नत को समझना बहुत आसान है क्योकी अल्लाह तआला ने नबी करीम स0 को हमारे लिए बतौर खास " मुअल्लिम " बना कर भेजा है , सहाबा केराम ने आप स0 से मुकम्मल दीन सीखा और इसे हम तक पहुचाने का हक़ अदा किया !
सहाबा केराम की तरह चारो इमामो ने भी सिर्फ कुरआन व सुन्नत की पैरवी का रास्ता अख्तियार करने की दावत दी !

📌 कुरआन व सुन्नत की पैरवी की अहमियत चारो इमामो के नज़दीक मुलाहिज़ा कीजये :

📌🌳1-  इमाम अबू हनीफ़ा रह0 - 
" जब हदीस सही हो , तो वही मेरा मजहब है "
( रद्दुल मुख़्तार हाशिया दुर्रुल मुख़्तार , जिल्द-1 , सफा - 68 )

किसी के लिए यह हलाल नहीं कि वह हमारे क़ौल (बात ) के मुताबिक फ़तवा दे , जब तक की उसे यह मालूम ना हो की मैंने यह बात कहा से कही है !
(अल इन्तेक़ा फ़ी फजाईल सलासतुल आईम्मतुल फ़ुक़हा लेईबने अब्दुल बर्, सफ़ा -145 )


आप से पूछा गया कि जब आप की बात कुरआन के खेलाफ़ हो ?
फ़रमाया : क़ुरआन के सामने मेरी बात छोड़ दो !

कहा गया : जब आप की बात हदीस इ रसूल के खेलाफ़ हो ?
फ़रमाया : हदीस के सामने मेरी बात छोड़ दो !

कहा गया : जब आपकी बात सहाबा के खेलाफ़ हो ?
फ़रमाया : सहाबा की बात के सामने मेरी बात छोड़ दो !

(ईकाज़ हुमम् ऊलिल अबसार , सफ़ा - 50 )


✳ वलादत : 80 हि0 ,
जाये पैदाइस : कूफा
मसनदे इल्मी : कूफ़ा
वफ़ात : 150 हि0
मदफन : खैज़दान ( बगदाद)
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📌🌳2- इमाम मालिक रह0 -
नबी ए करीम स0 के एलावा हर इंसान की बात क़ुबूल भी किया जा सकता है और रद्द भी !
(इरशादुस्सालिक लिइबने अब्दुल हादी ,जिल्द -1 सफ़ा -227)

मैं एक इंसान हूँ मेरी बात गलत भी हो सकती है और सही भी , लेहाज़ा मेरी राय को देख लिया करो , जो कुरआन और सुन्नत के मुताबिक हो, उसे लेलो और जो कुरआन और सुन्नत के मुताबिक न हो उसे छोड़ दो !
( ईकाज़ हुम्म् उलिल अबसार , सफ़ा - 72) 

✳ वलादत : 93 हि0 ,
जाय पैदाईश : मदीना मुनव्वरा
मसनदे इल्मी : मदीना मुनव्वरा
वफ़ात : 179 हि0
मदफन : जन्नतुल बकीअ ( मदीना मुनव्वरा )
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📌🌳3 - इमाम शाफ़ई रह0 -
जब मेरी किसी भी बात के मुकाबले में सही हदीस साबित हो तो हदीस पर अमल करो और मेरी बात को छोड़ दो !
(अल- मज़मूए शर्हुल मुहज्जब लिल नववी,जिल्द : 1 , सफ़ा :104)

जब तुम किसी भी किताब में कोई बात रसूलुल्लाह स0 की सुन्नत के खेलाफ़ पाओ तो सुन्नत अख्तियार करो और मेरी बात को छोड़ दो !
(अल- मज़मूए शर्हुल मुहज्जब लिल नववी,जिल्द : 1 , सफ़ा :104)

मेरी किसी बात के खिलाफ रसूलुल्लाह स0 की सही हदीस साबित हो तो हदीस का मक़ाम ज्यादा है और मेरी तक़लीद न करो !
(आदाब अल- शाफ़ई व मुनाकेबा लेइबने हातिम अल-राज़ी , सफ़ा :93)

✳ वलादत: 150 हि0 ,
जाये पैदाइश : गज्जा ( फलस्तीन)
मसनदे इलमी : मक्का मुकर्रमा / मिस्र
वफ़ात : 204 हि0
मदफन : तूरबा ( नजरान , सऊदी अरब )
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📌🌳4 - इमाम अहमद बिन हंमबल रह0 -
न मेरी तक़लीद करो और न मालिक , शाफ़ई , औज़ाई और सूरी ( जैसे आइम्मा) की तक़लीद करो ! बल्कि जहाँ से उन्होंने दींन लिया है तुम भी वहा ( कुरआन हदीस ) से दीन हासिल करो !
(ईकाज़ हुमम् ऊलिल अबसार , सफ़ा : 113)

दीन के मामले में लोगो की तक़लीद करना कमफहमी की ऐलामत है !
(ऐलामूल मोकेईन लेइबने कय्यम, जिल्द :2 , शफ़ा: 178)

✳ वलादत : 164 हि0 ,
जाये वलादत : बग़दाद
मसनदे इल्मी : बगदाद
वफ़ात : 241 हि0

मदफन : क़ब्रिस्तान बाबे हर्ब ( बग़दाद )

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