Why Indians Celebrate Independence day on 15 August?
What happened in 1947 in India?
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15 अगस्त भारतीय स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस भारत देश की आजादी का एक खास दिन है। यह दिन 15 अगस्त है। यह हमारे हिंदुस्तान के इतिहास का एक पवित्र पर्व है।
यह भारत का राष्ट्रीय त्योहार है। इसी दिन हिंदुस्तान अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हुआ था।
भारत को अपनी आजादी के लिए तकरीबन 200 सालो तक लगातार जेद्धोजेहद करना पड़ा।
सबसे पहले 1857 में हमने आजादी की पहली लड़ाई छेरी थी। लेकिन उस वक्त हम एक नही थे, हिंदुस्तानी आपस में बंटे हुए थे इसलिए हमलोग हार गए।
देश की आजादी के लिए अशफाक उल्लाह खान, मौलाना शौकत अली, वीर कुंवर सिंह, खुदीराम बोस, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंह, रजिया सुल्ताना, रानी लक्ष्मी बाई वगैरह स्वतंत्रता सेनानियो ने अंग्रेजो के दांत खट्टे किए।
खुदीराम और सरदार भगत सिंह को अंग्रेजो ने फांसी की सजा दे दी।
गांधी जी और दूसरे महापुरुषों के अथक प्रयासों से इस देश को आजादी मिली।
इसी आजादी की याद में हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते है। इस तरह हमारे देश के इतिहास में 15 अगस्त 1947 का दिन बड़ा महत्वपूर्ण समझा जाता है।
दिल्ली के लाल किला पर सबसे पहले प्रधान मंत्री झंडा फहराते है।
15 अगस्त की सुबह प्रभात फेरी होती है। इंकलाब जिन्दाबाद, हिंदुस्तान जिंदाबाद, आजादी हमारी कायम रहे वगैरह के नारों से हमारे मन और प्राण का उत्साह प्रकट हो उठता है।
हम में नया जोश उमर जाता है। सभी सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों और दूसरे संस्थाओं में प्रायः 8 - 9 बजे तक झंडा फहराया जाता है। पुलिस की परेड होती है।
बच्चो को मिठाइयां दी जाती है। उस दिन सभी स्कूल , कॉलेज और दफ्तरों में छुट्टी रहती है।
आजादी के मौके पर जहां तहां गोष्ठियों, कवि सम्मेलनों और प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। मैदानों में खेल कूद की व्यवस्था की जाती है। जितने वालो को इनाम दी जाती है।
जगह जगह पर नेताओ के भाषण होते है। रेडियो और दूरदर्शन से नए नए कार्यक्रम सुनने को मिलते है।
इस तरह सुबह से रात 11 बजे तक स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता। उस दिन लोग आपसी भेदभाव भुलाकर गले मिलते है।
सभी लोग उस दिन पूरे उत्साह से स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता।
यह स्वतंत्रता दिवस हमारे हजारों लाखों बलिदानों की कहानी कहता है।
इस दिन हमे गांधी जी का तप, राजेंद्र प्रसाद का त्याग सुभाष की वीरता, भगत सिंह का बलिदान और तिलक गोखले के स्वाभिमान की अनेक कथाएं याद आती है।
हमसब भारतीय यह कामना करते है के ऐसे महापुरुषों का जन्म हमारे देश में बार बार हो।
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