Talim ke nam par Musalmano ke andar Fahashi failane ki Sajish.
इस दुनिया मे हर शख्स उतना ही परेशान हैजितना उसकी नजर मे दुनिया की अहमियत।
मगरिब् को असल खतरा यह है के कहीँ लोग इस्लाम की तरफ न देखने लगे वह इसलिए के हर रोज यूरोप मे आलिम, मुफक्कीर्, फलसाफि, मुवास्सिर् कुरान व् हदीस पढ़ कर इस्लाम कुबूल कर रहा है.... लेकिन मुस्लिम घरानो मे बे हया, बेशर्म और बे गैरत बनने को ही असल तरक्की समझा जा रहा है। अगर हम अंग्रेजी कल्चर (मागरिबि ) के पीछे पीछे चलते रहे तो तबाही व् बर्बादी हमारे घरों का रूख जरूर करेगी। अगर कौम के लोग कुर्सी, पैसे और इक्तदार के लिए दिन और तहजीब का मज़ाक बनाने और मुस्लिम खवातीन अंग्रेजी भेड़ियों के बहकावे मे गुमराह होती रही तो आने वाली नस्ल भेड़िया से ज्यादा डरपोक और खिंजीर से भी ज्यादा बे हया बन जायेगी।
तालीम के नाम पर मुस्लिम लड़कियो को बे पर्दा करना।
*एक कॉलेज के प्रोफेसर का लड़कियो के लिए सलाह:*हॉलीवुड की सेक्स सिम्बॉल कहलाने वाली अदाकारा आखिरी वक़्त मे क्या कही थी?
मुसलमानो से यूरोप कल्चर वार करके कैसे जीत रहा है?
मुस्लिम लड़कियो पर गैर मुस्लिमो के कल्चरल वार।
खिलाफत के खातमे ले लिए लिबरल साजिशे । मुस्लिम दुनिया मे बेहयाई का तारीख।
तुम्हारी तहज़ीब अपने ख़ंजर से आप ही ख़ुद-कुशी करेगी।
जो शाख़-ए-नाज़ुक पे आशियाना बनेगा ना-पाएदार होगा
आज मुस्लिम लड़कियो की तालीम.
सर और बाल खुले, दुपट्टे का पता नही, सलवार शूट को कब तलाक दे दी, जीन्स टी शर्ट मे कान मे एयर फोन लगाए हुए
पूछो के कहाँ जा रही हो तो जवाब मिलेगा तालीम हासिल करने।
जो तालीम औरत को हया के रास्ते से हटाकर बे हयायी वाली शैतानी रास्ते पर ले आये उस तालीम नही कहते है, अगर यही तालीम है तो इससे बेहतर जाहिल रहना ही ठीक है।
जो तालीम औरत को सीरत ए मुस्तकीम से हटाकर सीरत ए सलेबी और यूरोप का प्रोडक्ट बना कर रख दे वैसी तालीम हासिल करने वाली कौम के यहाँ सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी पैदा नही होंगे।
तालीम तो ऐसी होनी चाहिये जो औरत को बा हया, बा पर्दा और बा हिजाब बना दे नाकि बे हया, बे पर्दा और बे शर्म बना दे।
लड़कियां अगर सर ढक लेंगी, पर्दे मे रह कर तालीम हासिल करेंगी तो... भी उतना ही पढ़ी लिखी काबिल और बा शावउर् होंगी जितनी बे पर्दगी मे. वो तालीम ही क्या जो खवातीन से पर्दा और हिजाब छीन ले और दीन से गुमराह कर शैतानी रास्ते पर ले जाए।
यह सब तो कहने के लिए है, मगर वैसी मुस्लिम लड़कियां जो आज़ादी, बराबरी और अपने हक़ की लडाई लड़ रही है वही आज़ादी जो यूरोप ने इन्हे सिखाया है... उनके दिलों पर शैतान का कब्ज़ा है, उन्हें वही सब अच्छा लगेगा जो मगरिब् बताएगा, सिखायेगा और तरबियत दी जायेगी। ये खवातीन अल्लाह के निजाम का मज़ाक बना रही है, अल्लाह के हुक्म के खिलाफ काम कर रही और खुदा के दीन के खिलाफ बगावत कर रही है और वह सब सलेबियो के इशारे पर हो रहा है, मगरिब् के तहजीब और तरीके की खातिर ये नाम निहाद लिबरल्स, लेफ्ट अल्लाह को चैलेंज कर रही है। यह खुद को इस दुनिया का मालिक समझती है और अल्लाह के कानून को तोड़ रही है। फ़िरौन, करून और हमाम का गुरूर, मन मर्जी, और कुफ्रिया हुकूमत चली ही नही, तो ये लोग अल्लाह की ना फर्मानी और शरीयत की तौहीन कर के कितने दिनों तक अपनी मनमर्जी करेंगे।
ख्वाहिशात तो सबके दिल में होती है और सब उसकी तकमिल चाहते है ... लेकिन देखना यह परता है के उन तक रसाई के लिए कौन सा रास्ता इख्तियार किया जाता है, उसी रास्ते के इंतेखाब में तो इंसान का पता चलता है के वह सोना है या कोयला?
चालाकियां दुनिया में रहने के लिए काफी है लेकिन याद रखे के रोज़ मेहशर अकलो और दलीलों पर फैसले नहीं होंगे, ना वाहा झूठे गवाहों की जरूरत पड़ेगी, नहीं आपको झूठी कसम खाने की जरूरत होगी।
जो लोग मुसलमानो के अंदर बे हयायि, बे पर्दगी और फ़हाशि फैला रहे है वैसे लोगो के लिए बर्बादी है।
Jabtak islamic tarike se Talim nahi di jayegi aur muslim nawjawan Mobile chhor kar jabtak Kitab nahi pakad lete tab tak Europe apne Mansubo me Kamyab hota rahega. Allah Musalmano ko Gumrahi se bacha
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