Find All types of Authentic Islamic Posts in English, Roman Urdu, Urdu and Hindi related to Quran, Namaz, Hadeeth, Ramzan, Haz, Zakat, Tauhid, Iman, Shirk, Islah-U-Nisa, Daily Hadith, Hayat-E-Sahaba and Islamic quotes.

Naye imam Ke Namaj padhane ke waqt Ager Muqarara Imam Aajaye To use Kya Karna Chahiye?

Namaj Ke Liye Jamat Khari Ho jay aur fir Waha ka Ka Imam Aaye tab Namaj Padhane wale ko kya Karna Chahiye?

सहीह बुखारी शरीफ किताबुल आज़ान अज़ान का बयान
               *हदीस नंबर 684*
बाब:--- एक आदमी ने इमामत शुरू कर दी, इतने में पहला इमाम आ जाये (तो क्या करना चाहिए)
सहल बिन सअद रजि. से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अम्र बिन औफ के कबीले में सुलह कराने के लिए तशरीफ ले गये। जब नमाज़ का वक्त आ गया तो अज़ान देने वाले ने अबू बकर रजि. के पास आकर कहा, अगर तुम नमाज़ पढ़ाओ तो मैं तकबीर कह दूं । उन्होंने फरमाया, "हां" पस अबू बकर रजि. नमाज़ पढ़ाने लगे। इतने में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ लाये और लोग नमाज़ में थे, आप सफों में से गुजर कर पहली सफ में पहुंचे। इस पर लोग तालियां बजाने लगे, लेकिन अबू बकर रजि. अपनी नमाज़ में इधर-उधर न देखते थे। जब लोगों ने लगातार तालियाँ बजायीं तो अबू बकर रजि. मुतवज्जो हुये और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा । आपने उन्हें इशारा किया कि तुम अपनी जगह पर ठहरे रहो। इस पर अबू बकर रजि. ने अपने दोनों हाथ उठाकर अल्लाह का शुक्र अदा किया कि रसूलुल्लाह ने उन्हें इमामत की इज्जत बख्शी। फिर वह पीछे हट गये और सफ में शामिल हो गये और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आगे बढ़ गये और नमाज़ पढ़ाई। फिर आपने फारिग होकर फरमाया, ऐ अबू बकर रजि. जब मैंने तुम्हें हुक्म दिया था तो तुम क्यों खड़े न रहे, तो अबू बकर रजि. ने अर्ज किया कि अबू कहाफा के बेटे की क्या मजाल कि वह रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आगे नमाज़ पढ़ाये? फिर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, क्या वजह है, मैंने तुम्हें बहुत ज्यादा तालियाँ बजाते देखा? देखो जब नमाज़ में किसी को कोई बात पेश आये तो उसे सुबहानल्लाह कहना चाहिए, क्योंकि जब वह सुबहानल्लाह कहेगा तो उसकी तरफ तवज्जो दी जायेगी और यह ताली बजाना तो सिर्फ औरतों के लिए है।
वजाहत :-- *मालूम हुआ कि अगर किसी मजबूरी के पेशे नजर मुकर्ररा इमाम के अलावा किसी दूसरे को इमाम बना लिया जाये, फिर नमाज़ के शुरू में मुकर्ररा इमाम आ पहुंचे तो उसे इख्तियार है, खुद इमाम बन जाये या मुकतदी रहकर नमाज़ मुकम्मल कर ले। दोनों सूरतों में नमाज़ दुरस्त है।
(औनुलबारी, 1/734)
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°

Share:

No comments:

Post a Comment

Translate

youtube

Recent Posts

Labels

Blog Archive

Please share these articles for Sadqa E Jaria
Jazak Allah Shukran

POPULAR POSTS