Kya Islam Talwar Ke jariye Faila Hai?
सवाल : इस्लाम को शान्ति का धर्म कैसे कहा जा सकता है जबकि यह तलवार से फैला है? (Part 01)
जवाब : कुछ गैर-मुस्लिमों की यह आम शिकायत है कि दुनिया भर में इस्लाम के मानने वालों की तादाद लाखों-करोड़ों में नहीं होती यदि इस धर्म को बलपूर्वक नहीं फैलाया गया होता।
निम्न बिन्दु इस तथ्य को स्पष्ट कर देंगे कि इस्लाम की हक़्क़ानियत (सत्यता), नज़रियात (दर्शन) और दलीलें (तर्क) ही है जिसके कारण वह पूरे दुनिया में तेज़ रफ्तार से फैला न कि तलवार से।
1. इस्लाम का मतलब शान्ति है। इस्लाम मूल शब्द (सलाम) से निकला है जिसका मतलब है, शान्ति । इसका दूसरा मतलब है अपनी ख्वाहिशात (इच्छाओं) को अपने पालनहार अल्लाह के हवाले कर देना। अतः इस्लाम शान्ति का धर्म है जो ख़ालिक़ कायनात अल्लाह के सामने अपनी ख्वाहिशात को हवाले करने से प्राप्त होती है।
2. शान्ति क़ायम करने के लिये कभी-कभी ताक़त का भी इस्तेमाल किया जाता है । इस दुनिया का हर इंसान शान्ति और सद्भाव के पक्ष में नहीं हैं। बहुत से इंसान अपने तुच्छ स्वार्थों के लिए शान्ति को भंग करने की कोशिश करते हैं। शान्ति बनाए रखने के लिए कभी-कभी ताक़त का इस्तेमाल भी किया जाता है।
इसी कारण हम पुलिस रखते हैं जो अपराधियों और असामाजिक तत्वों के विरूद्ध बल का प्रयोग करती है। ताकि समाज में शान्ति कायम हो सके।
इस्लाम शान्ति को बढ़ावा देता है और साथ ही जहाँ कहीं भी अत्याचार और जुल्म होते हैं, वह अपने अनुयायियों को इसके विरूद्ध संघर्ष करने के लिये प्रोत्साहित करता है। अत्याचार के विरूद्ध संघर्ष में कभी-कभी ताक़त का इस्तेमाल करना लाज़मी हो जाता है। इस्लाम में ताक़त का इस्तेमाल सिर्फ अमन व अद्ल (शान्ति और न्याय) क़ायम करने के लिए ही किया जा सकता है।
TO BE CONTINUE Insha'Allah
Kya Islam Me Kisi GAir Muslim Ko Qatel KArne Ko KAha Gya HAi?जवाब : कुछ गैर-मुस्लिमों की यह आम शिकायत है कि दुनिया भर में इस्लाम के मानने वालों की तादाद लाखों-करोड़ों में नहीं होती यदि इस धर्म को बलपूर्वक नहीं फैलाया गया होता।
निम्न बिन्दु इस तथ्य को स्पष्ट कर देंगे कि इस्लाम की हक़्क़ानियत (सत्यता), नज़रियात (दर्शन) और दलीलें (तर्क) ही है जिसके कारण वह पूरे दुनिया में तेज़ रफ्तार से फैला न कि तलवार से।
1. इस्लाम का मतलब शान्ति है। इस्लाम मूल शब्द (सलाम) से निकला है जिसका मतलब है, शान्ति । इसका दूसरा मतलब है अपनी ख्वाहिशात (इच्छाओं) को अपने पालनहार अल्लाह के हवाले कर देना। अतः इस्लाम शान्ति का धर्म है जो ख़ालिक़ कायनात अल्लाह के सामने अपनी ख्वाहिशात को हवाले करने से प्राप्त होती है।
2. शान्ति क़ायम करने के लिये कभी-कभी ताक़त का भी इस्तेमाल किया जाता है । इस दुनिया का हर इंसान शान्ति और सद्भाव के पक्ष में नहीं हैं। बहुत से इंसान अपने तुच्छ स्वार्थों के लिए शान्ति को भंग करने की कोशिश करते हैं। शान्ति बनाए रखने के लिए कभी-कभी ताक़त का इस्तेमाल भी किया जाता है।
इसी कारण हम पुलिस रखते हैं जो अपराधियों और असामाजिक तत्वों के विरूद्ध बल का प्रयोग करती है। ताकि समाज में शान्ति कायम हो सके।
इस्लाम शान्ति को बढ़ावा देता है और साथ ही जहाँ कहीं भी अत्याचार और जुल्म होते हैं, वह अपने अनुयायियों को इसके विरूद्ध संघर्ष करने के लिये प्रोत्साहित करता है। अत्याचार के विरूद्ध संघर्ष में कभी-कभी ताक़त का इस्तेमाल करना लाज़मी हो जाता है। इस्लाम में ताक़त का इस्तेमाल सिर्फ अमन व अद्ल (शान्ति और न्याय) क़ायम करने के लिए ही किया जा सकता है।
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