Muslim Auratein Ek Se Jyada Shauhar Kyu Nahi Rakh Sakti Hai? (Part 09)
सवाल: अगर किसी मर्द को एक से ज्यादा बीवी रखने की इजाजत है तो इसका क्या कारण है कि इस्लाम औरत को एक से ज़्यादा पति रखने की इजाज़त नहीं देता?
हिन्द धर्म में बदकारी व बलात्कार की सज़ा
जिना (बदकारी/व्यभिचार) व ज़िना-बिल-जब्र (बलात्कार) के लिये सजा तजवीज की है ताकि लोग इस बड़े गुनाह से बचे रहें लेखक ने अपनी ठोस दलीलों से षाबित किया है कि अमेरिका जैसे नामनिहाद सभ्य और लिखे देश में बलात्कार की तादाद कितनी ज़्यादा है।
जहाँ औरतें खुद नारी स्वतन्त्रा के नाम पर मर्दो के साथ आज़ादाना सुहबत करने को ऐब नहीं समझती वहां औरत के साथ जबरन सम्बंध बनाने की वारदातें षाबीत करती कि कड़ी सजा के बगैर औरतों के जिस्म पर होने वाले इस जुल्म को हर्गिज नहीं रोका जा सकता है।
इस्लाम ने बदकारी के लिये सौ कोड़े व संगसार (पत्थर मारकर खत्म कर देने) की सज़ा का हुक्म दिया है। लेकिन आप गौर करें और हिन्दू भाइयों से भी गुजारिश है कि इस्लामी क़ानून को बर्बर व जंगली कहने से। पहले एक बार नीचे लिखे अपने धर्मग्रन्थों के इन हवालों को ध्यान से पढ़ लें. जिनमें बदकारी करने वालों के लिये कड़ी सज़ा का प्रावधान है।
पति के सिवा किसी और मर्द के साथ सुहबत करने वाली शादीशुदा औरत इस दुनिया में बुराई की हक़दार बनती है और मरने के बाद गीवडी बनती है। वह कोढ़ जैसी मुश्किल बीमारियों से भी तकलीफ़ पाती है।
(मनुस्मृति : 5/167 व 9/30)
आपस में तोहफों का लेन-देन, हंसी-मज़ाक, गले लगाना, कपड़ों व गहनों को छूकर उनकी तारीफ करना, साथ-साथ बिस्तर पर बैठना या लेटना आदि काम दूसरी औरत से सुहबत करने के बराबर ही हैं।
(मनुस्मृति : 8/356)
पराई औरत की शर्मगाहों को छुना या अपने अंगो से छूकर उससे सुख हासिल करना भी औरत से सुहबत करने समान माना जाएगा।
(मनुस्मृति: 8/357)
पराई औरत के साथ सोहबत करने के आदीम को डरावनी सज़ाएं देकर और उनके खास अंग (शर्मगाह) को काटकर राजा उसे देश से निकाल दे।
(मनुस्मृतिः 8/351)
TO BE CONTINUE Insha'Allah
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