Kya Islam Aman wala Deen Hai?
क्या इस्लाम तलवार से फैला? (Part 06)
सवाल : इस्लाम को शान्ति का धर्म कैसे कहा जा सकता है जबकि यह तलवार से फैला है?
तो (ऐ नबी) तुम नसीहत करो कि तुम्हारा काम तो बस नसी करना है, इनको मजबूर करना नहीं है। (अल राशिया: 21- अपने नबी को सम्बोधित ऊपर बयान की गई आयत में अल्लाह ने अपने नबी को सम्भोधित करके कहा है कि आप इन लोगों को नसीहत की बाते बतलाओ क्योंकि मजबुर करना आपका काम नहीं है। जो लोग तलवार व जार पर इस्लाम को फैलाने का इल्जाम लगाते हैं वे क़ुरआन मजीद की नीचे लिखी इस आयत को से पढ़े जिसमें अल्लाह तआला ने गैर-मुस्लिम के देवताओं को गाली देने से मना । किया है,
‘और ये लोग अल्लाह के सिवा जिनको पुकारते हैं, उनको बुरा भला न कहो कि फिर वे भी हद से आगे बढ़कर अल्लाह को बुरा-भला कहने लगें।'
(अल अन्आर्म : 108)
इस्लाम वो दीन (धर्म) है जिसके कुबूल कराने के लिये ज़बरदस्ती करने का कोई हुक्म नहीं है। जो कोई शख्स इस्लाम कुबूल करता है और अपनी ज़िन्दगी अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल लाहु अलैहि व सल्लम) के बताए हुए तरीकों के मुताबिक़ गुज़ारता है तो हक़ीक़त में वो अपना ही भला करता है। उसे दुनिया में भी भलाई हासिल होती है और आख़िरत में हमेशा रहने वाली जन्नत मिलेगी।
जो दोनों जहान की कामयाबी चाहे वो इस्लाम कुबूल करता है और जिसे दोज़ख़ के अज़ाब से डर नहीं लगता तो वह इन्कार कर देता है।
एक मुस्लिम की ज़िम्मेदारी क्या है?
अब सवाल यह उठता है कि दीन-इस्लाम के बाबत एक मुस्लिम की ज़िम्मेदारी क्या है? इसका जवाब कुरआन मजीद में अनेक जगहों पर दिया गया है। चन्द आयतें मुलाहिजा फ़र्माएं,
‘और इसी तरह मैंने तुम्हें उम्मते-वस्त बनाया ताकि तुम लोगों पर गवाह बनो और रसूल तुम्हारी गवाही दें।' (अल बक़र: 143)
मुस्लिम कौम एक मध्यमार्गी समुदाय है जिसका काम यह है कि वे दुनिया के सारे लोगों के सामने दीन-हक इस्लाम की गवाही दें।
'तुम में से एक गिरोह ऐसा होना ही चाहिये जो खैर की तरफ़ बुलाए, नेकी का हुक्म करे और बुराई से रोके। ऐसे ही लोग फलाह पाने वाले है'
| (आले इमरानः 104)
TO BE CONTINUE Insha'Allah
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