Islam Me Auratein Parda Kyu Karti Hai? (Part 08)
गृहस्थ ने जिस मर्द को अपनी बीवी से बात करने से मना कर दिया ही वह उस घरवाले की बीवी से बात न करे। मना किया हुआ मर्द अगर बात करे तो वह सोलह माशा सोने के जुर्माने का गुनाहगार है।
यह क़ानून नट व चारण जाति की औरतों के लिये नहीं है। भाट व चारण तो खुद अपनी औरतों का सिंगार करके उन्हें दूसरे मर्दो के पास भेजा करते हैं।
(मनुस्मृति : 8/360-361)
जो आदमी अपनी मर्दानगी के ) घमण्ड में लड़कियों से बलात्कार कर उन्हें नापाक करता है, उसकी फ़ौरन दो उंगलियां काट देनी चाहिये और उसे छह सौ पणों (मुद्रा या रुपये) की सज़ा भी दी जानी चाहिए या अगर मर्द लड़की की मर्जी से उसके साथ सुहबत करता है तो उसकी उंगलियां नहीं काटनी चाहिये लेकिन इस गुनाह की सज़ा के तौर पर उस पर दो सौ पणों (मुद्राओं) का जुर्माना लगाना चाहिये।।
(मनुस्मृति : 8/366-367)
अगर कोई औरत किसी (दूसरी) लड़की कीशर्मगाह में अपनी उंगली डालती है तो उसकी उंगलियां कटवा देनी चाहिये और उसका सिर मुण्डवाकर, गधे पर बिठाकर शहर में घुमाना चाहिये।
(मनुस्मृति: 8/369)
जो औरत अपने मां-बाप की ऊंची जाति, ऊंची शिक्षा या दौलत के घमण्ड में अपने पति को छोड़कर दूसरे मर्द से सम्बंध रखती है, ऐसी औरत को राजा सरेआम जनता के सामने कुत्तों से नाचवाकर सज़ा दे।
(मनुस्मृति: 8/370)
अपने पति से बेवफ़ाई करने वाली औरत से सम्बंध रखने वाले मर्द को जलते हुए लोहे की चारपाई पर सुलाना चाहिये। वहां मौजूद लोगों को उस आग में लकड़ियां डालनी चाहिये, जिससे वो पापी उसी आग में जलकर राख हो जाए। (मनुस्मृति: 8/371)
ऊपर लिखी तमाम मिषालें पढ़कर आपने क्या महसूस किया? जब हिन्दुओं के पवित्र धर्मग्रन्थ में बदकारी और बलात्कार के लिये ऐसी कड़ी सज़ा का प्रावधान है तो फिर इस्लाम पर ऐतराज़ क्यों उठाया जाता है? क्या बलात्कार जैसे संगीन गुनाह को मामूली मानकर छोड़ दिया जाना चाहिये। अपने मन से पूछकर जवाब दें।
TO BE CONTINUE Insha'Allah
way OfJannah Institute
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