Islam Me Auraton Ko Parde Me Rahne Ka Hukm Kyu Hai? (Part 12)
सवाल: इस्लाम औरतों को पर्दे में रख कर उनका अपमान क्यों करता है?
जो लोग पर्दे की मुखालिफ़त करते हैं, उनका रूख़ ये सारी दलीलें पढ़ने के बाद क्या होगा ये तो हम नहीं जानते लेकिन हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जो कोई औरत अपनी इज़्ज़त-आबरू की हिफ़ाज़त करना चाहती है, उसके लिये पर्दा एक बेहतरीन सुरक्षा-कवच है।
हमारा दावा है कि अगर पर्दे वाली औरतों और बे-पर्दा औरतों को छेड़े जाने बाबत कोई सर्वे कराया जाए तो यह बात और ज़्यादा वाज़ेह (स्पष्ट) हो जाएगी। कुरआन में है कि मर्द व औरत एक ही नस्ल हैं यानी इन्सान होने के नाते दोनों बराबर हैं। फिर औरत पर ही पर्दे की बंदिश क्यों है?
इसके जवाब में इस मिषाल पर गौर करें। जो लोग पढ़े-लिखे हैं वे अच्छी तरह जानते हैं कि हीरा और कोयला एक ही चीज़ (तत्व) से बने हैं। और वो है कार्बन। लेकिन दोनों में बड़ा फ़र्क है।कोयला अगर खुले में पड़ा रहे तो उसे कोई नहीं चुराता लेकिन हीरा अगर खुला पड़ा हो तो उसे उठाने के लिये अनेक लोग लपक पड़ते हैं।
इस मिषाल के ज़रिये हमारा मक़सद मर्दो की तौहीन करना क़तई नहीं है क्योंकि कोयले की अपनी अहमियत है। कोयला ईंधन है वो खाना पकाता है, कोयले से ताप बिजलीघरों में बिजली बनती है, कोयले से रेल के इंजन चलते हैं। जबकि हीरा ज़ेवर है, वो सिंगार के काम आता है। केमिस्ट्री के स्टुडेण्ट आसानी से समझ सकते हैं कि इन दोनों की एक ही नस्ल है, दोनों एक तत्त्व से बने हैं, जिसका नाम है. कार्बन लेकिन इसके बावजूद दोनों में भारी फ़र्क है और दोनों की अहमियत अलग-अलग है।
जिस तरह हीरे की हिफ़ाज़त के लिये उसे तिजोरी में रखना ज़रूरी है या उसे पहनने वाले के लिये उसके लिये ख़ास इंतज़ाम करना लाज़मी है उसी तरह औरत की अस्मत रूपी हीरे की हिफ़ाज़त के लिये पर्दे का होना बेहद ज़रूरी है। इन सारी दलीलों को बयान करने का मक़सद यह है कि लोगों के मन में पर्दे के बारे में जो ग़लतफ़हमियां हैं वह दूर हों। अगर इतनी सारी तर्कसंगत दलीलों के बाद भी कोई 'पर्दे को औरत के लिये कैद समझे तो उसको अल्लाह नेक हिदायत दे, यह दुआ ही की जा सकती है।
TO BE CONTINUE Insha'Allah
जो लोग पर्दे की मुखालिफ़त करते हैं, उनका रूख़ ये सारी दलीलें पढ़ने के बाद क्या होगा ये तो हम नहीं जानते लेकिन हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि जो कोई औरत अपनी इज़्ज़त-आबरू की हिफ़ाज़त करना चाहती है, उसके लिये पर्दा एक बेहतरीन सुरक्षा-कवच है।
हमारा दावा है कि अगर पर्दे वाली औरतों और बे-पर्दा औरतों को छेड़े जाने बाबत कोई सर्वे कराया जाए तो यह बात और ज़्यादा वाज़ेह (स्पष्ट) हो जाएगी। कुरआन में है कि मर्द व औरत एक ही नस्ल हैं यानी इन्सान होने के नाते दोनों बराबर हैं। फिर औरत पर ही पर्दे की बंदिश क्यों है?
इसके जवाब में इस मिषाल पर गौर करें। जो लोग पढ़े-लिखे हैं वे अच्छी तरह जानते हैं कि हीरा और कोयला एक ही चीज़ (तत्व) से बने हैं। और वो है कार्बन। लेकिन दोनों में बड़ा फ़र्क है।कोयला अगर खुले में पड़ा रहे तो उसे कोई नहीं चुराता लेकिन हीरा अगर खुला पड़ा हो तो उसे उठाने के लिये अनेक लोग लपक पड़ते हैं।
इस मिषाल के ज़रिये हमारा मक़सद मर्दो की तौहीन करना क़तई नहीं है क्योंकि कोयले की अपनी अहमियत है। कोयला ईंधन है वो खाना पकाता है, कोयले से ताप बिजलीघरों में बिजली बनती है, कोयले से रेल के इंजन चलते हैं। जबकि हीरा ज़ेवर है, वो सिंगार के काम आता है। केमिस्ट्री के स्टुडेण्ट आसानी से समझ सकते हैं कि इन दोनों की एक ही नस्ल है, दोनों एक तत्त्व से बने हैं, जिसका नाम है. कार्बन लेकिन इसके बावजूद दोनों में भारी फ़र्क है और दोनों की अहमियत अलग-अलग है।
जिस तरह हीरे की हिफ़ाज़त के लिये उसे तिजोरी में रखना ज़रूरी है या उसे पहनने वाले के लिये उसके लिये ख़ास इंतज़ाम करना लाज़मी है उसी तरह औरत की अस्मत रूपी हीरे की हिफ़ाज़त के लिये पर्दे का होना बेहद ज़रूरी है। इन सारी दलीलों को बयान करने का मक़सद यह है कि लोगों के मन में पर्दे के बारे में जो ग़लतफ़हमियां हैं वह दूर हों। अगर इतनी सारी तर्कसंगत दलीलों के बाद भी कोई 'पर्दे को औरत के लिये कैद समझे तो उसको अल्लाह नेक हिदायत दे, यह दुआ ही की जा सकती है।
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