Kya Islam Talwar Se Failaya Gya Mazhab Hai?
सवाल : इस्लाम को शान्ति का धर्म कैसे कहा जा सकता है जबकि यह तलवार से फैला है? (Part 08)
हिन्दू धर्म में युद्ध सम्बंधी आदेश* ऐसा नहीं है कि सिर्फ इस्लाम ही जंग की इजाज़त देता है। जाइज़ सूरतों में दुनिया का हर धर्म युद्ध को ज़रूरी ठहराता है। हिन्दू धर्मग्रन्थों के हवालों पर गौर करें।
(अथर्व वेदः 11-2-21)
‘पियारूणां प्रजां जहि ।'
अनुवादः हिंसकों की जनता को मारो।।
(अथर्व वेद: 20-93-1)
'अव ब्रह्मद्विषो जहि ।'
अनुवाद : वेद-द्वेषियों को नष्ट कर दो।
(अथर्व वेद : 20-105-1)
त्वं तूर्य तरूष्यतः।।'
अनुवादः तू मारनेवाले शत्रुओं को मार।
'सर्वपक्रिोशंजहि जम्भया कृकदाश्वम्।' (अथर्ववेदः 20-74-7)।
अनुवादः (हे राजन्)! हर निन्दा करने वाले, तकलीफ़देने वाले तक पहुंचो और उसे मार डालो।
‘चक्षुर्मन्त्रस्य दुर्हार्दः पृष्टीरपिशृणाञ्जन (अथर्ववेदः 19-45-1)
अनुवाद: हे राजन्! आँख के इशारे से नुक्सान पहुंचाने वाले, दुष्टताभरा दिल रखनेवाले की पसलियाँ तोड़ो।
यदृच्छया चोपपन्नृ स्वर्गद्वारमपावृतम्। सुखिनः क्षत्रियः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम अथ चेत्त्वमिमं धर्त्य सङ्ग्रामं न करिष्यसि। अकीर्ति चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम् । सम्भावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते।' (श्रीमद् भगवद् गीता : 32-34)
अनुवाद: ऐ पार्थ (अर्जुन)! अपने-आप हासिल हुए और स्वर्ग के दरवाज़े के समान इस तरह के युद्ध को तक़दीरवाले क्षत्रिय लोग ही पाते हैं। और अगर तू इस धर्मयुक्त संग्राम को नहीं करेगा तो अपना धर्म और इज़्ज़त (कीर्ति) को खोकर तूपाप को प्राप्त होगा। और सब लोग तेरी बहुत अर्से तक रहने वाली ज़िल्लत (अपकीर्ति) की कहानियां सुनाएंगे और वो ज़िल्लत इज़्ज़तदार मर्द के लिये मौत से भी बुरी होती है।
TO BE CONTINUE Insha'Allah
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