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Islam Me Ek Se Jyada Shauhar Rakhne Ki Ijazat. (Part 08)

Islam Ek Se Jyada Shauhar Rakhne Ki Ijazat Kyu Nahi Deta?

एक से ज्यादा शौहर रखने की इजाज़त क्यो नही?(Part 08)
सवाल: अगर किसी मर्द को एक से ज्यादा बीवी रखने की इजाजत है तो इसका क्या कारण है कि इस्लाम औरत को एक से ज़्यादा पति रखने की इजाज़त नहीं देता?
तशरीह (व्याख्या)
लेखक ने कम लफ़्ज़ों में इस्लाम से पहले के धर्मों और सभ्यताओं में औरत की हैषियत को बयान किया है। हम भारत में रहते हैं और आम तौर पर हमारा हिन्दू समाज के लोगों से ही ज़्यादा मिलना-जुलना है। हमारे हिन्दू भाई भी अक्सर इस्लाम धर्म पर यह आरोप लगाते हैं कि इस्लाम औरतों की आज़ादी पर रोक जगाता है, पर्दा औरत की गुलामी की निशानी है, वगैरह-वगैरह। इसलिये यह जानना हमारे लिये और हमारे हिन्दू भाइयों के लिये भी बेहद ज़रूरी है कि हिन्दू धर्मग्रन्थों और संस्कृति में औरत की क्या हैषियत है?
हिन्दू धर्म में औरत की हैषियत
इस्लाम ने मर्द व औरत के दर्जे को बराबर बताया है। इस्लाम ने औरत को बाप, शौहर और बेटे की जायदाद में हक़दार बनाया है। इस्लाम ने औरत की किसी भी रूप में बुराई नहीं की। कुअन में अल्लाह ने पाकदामन औरतों पर बदकारी का इल्ज़ाम लगाने वाले लोगों को 80 कोड़े मारे जाने की सज़ा दी है।
हदीष में पाकदामन औरत पर बोहतान लगाने को गुनाहे-कबीरा (महापाप) कहा गया है। अल्लाह के रसूल (सल्लल लाहु अलैहि व सल्लम) ने नेक बीवी को सबसे बड़ी नेमत कहा है।
लेकिन इन सबके विपरीत हिन्दुओं की पवित्र धार्मिक किताब 'रामचरितमानस में औरत के लिये कुछ ऐसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल हुआ है, गौर करें.
(1).बिधिहुंननारि हृदयगति जानी, सकल कपटअघअवगुन खानी.
अनुवाद: औरत के दिल की हालत को विधाता भी नहीं जान सकता। औरत का दिल सभी तरह के कपट (कीने), गुनाह और खामियों की खान होता है।
(अयोध्याकाण्ड : 162/4)
(3). लछिमन देखत काम अनीका, रहहिं धीर तिन्ह कै जग लीका. 'एहि के एक परम बल नारी, तेहिं ते उबर सुभट सोइ भारी.*
अनुवाद : *हे लक्ष्मण! जो लोग ) कामदेव की सेना को देखकर सब्र रखें वही दुनिया में माने जाएंगे इस कामदेव का एक परम बल है- 'औरत। जो कोई उससे उबर जाए वही भारी योद्धा है।।
(अरण्यकाण्ड: 38/11-12)
(4) दीप सिखा सम जुवति तन मन जनि होसि पतंग.
अनुवाद : युवतियों का तन तो दीपशिखा (दिये की लौ) के समान है।
TO BE CONTINUE Insha'Allah
way Of Jannah Institute


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