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Apne Mulk Ke Sath Sath Apne Nabi ke Mulk Se Mohabbat.

Kya Hme Apne Mulk Se Mohabbat Nahi Karni Chahiye?

اگر ہم بعض سیاسی وحکومتی پالیسیوں سے اختلاف رکھنے کے باوجود اس بنیاد پر اپنے ملک اور وطن سے محبت و وفاداری اور اس کی خیرخواہی کر سکتے ہیں اور بے شک کرتے ہیں اور کرتے رہنا چاہئے کہ وہ ہماری اور ہمارے آباء واجداد کی جائے پیدائش اور سکونت ہے۔۔۔
تو کیا ہم بعض سیاسی وحکومتی پالیسیوں سے اتفاق نہ رکھنے کے باوجود کم از کم ان بنیادوں پر مملکت سعودی عرب سے محبت ووفاداری اور اس کی خیرخواہی نہیں کر سکتے اور نہیں کرنا چاہئے کہ یہ مملکت ہمارے رب ذو الجلال اور معبود برحق "اللہ سبحانہ وتعالی" کا حسن انتخاب واختیار ہے، "ذکر حکیم اور وحی الہی" کا مہبط ونزول گاہ ہے، ہمارے نبی ورسول "محمد صلی اللہ علیہ وسلم" کا مولد ومسکن ہے، ہمارے دین "دین اسلام" کا منبع وسرچشمہ ہے، "حرمین شریفین" کا مقر وپاسبان ہے، "حجاج ومعتمرین" کا خادم اور میزبان ہے، "توحید وسنت" کی بنیاد پر قائم واستوار ہے، "دین کی دعوت وتبلیغ اور قرآن وحدیث کی نشر واشاعت" کا مرجع ومصدر اور مرکز ہے، "امن وامان" کا گہوارہ اور "عدل وانصاف" کا امین ہے، "عالم اسلام" کا دل اور اس کی دھڑکن ہے، تمام "مسلمانوں" کا محسن وغمخوار ہے، پوری "دنیائے انسانیت" کا ناصح وخیرخواہ ہے، لاکھوں کڑوروں مسلم و غیر مسلم "افراد اور خاندانوں" کی کفالت کا سامان اور مقام روزگار ہے۔
اور کمال تو اللہ کے سوا کسی میں نہیں لیکن یہ مملکت بہر صورت وبہر حال سب میں "نمایاں اور بے مثال" ہے۔
اللہ اس انوکھی اور پیاری مملکت کی "حفاظت اور مدد" کرے، اسے اس کے دستور واساس پر "قائم اور دائم" رکھے اور خدمت عالم اسلام وانسانیت کی مزید "توفیق" عطا فرمائے۔
آپ کا بھائی:  افتخار عالم مدنی
اسلامک گائڈینس سنٹر  جبیل سعودی عرب
सोचने की बात:
अगर हम कुछ सियासी और हुकूमती पालीसियों से एख्तिलाफ़ रखने के बावजूद इस बुनियाद पर अपने देश और वतन से मुहब्बत व वफ़ादारी और उसकी खैरखाही कर सकते हैं और बेशक करते हैं और करना चाहिए कि वह हमारा और हमारे पूर्वजों का जन्म स्थान और निवास स्थल है...
तो क्या हम कुछ सियासी और हुकूमती पालीसियों से इत्तिफ़ाक़ न रखने के बावजूद कम से कम इन बुनियादों पर सऊदी अरब से मुहब्बत व वफ़ादारी और उसकी खैरखाही नहीं कर सकते और नहीं करना चाहिए कि इस देश को हमारे रब और माबूद अल्लाह तआला ने चुना है, यहां हमारा धर्मग्रंथ क़ुरआन मजीद नाज़िल हुआ है,  यहां हमारे नबी और रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का जन्म हुआ और जीवन बीता है, यह हमारे धर्म इस्लाम का केंद्र और मुख्यालय है, यह तौहीद और सुन्नत की बुनयाद पर स्थापित हुआ और उसी पर स्थिर है, यहां मक्का और  मदीना है, यह हरमैन शरीफ़ैन का ख़ादिम और पसबान है, यह हज, उमरह और ज़ियारत करने वालों का सेवक और मेज़बान है, यह इस्लामी संदेशों का प्रचारक और क़ुरआन व हदीस की शिक्षाओं का उपदेशक है, शांति और न्याय का गहवारा है, इस्लामिक दुनिया का दिल और उसकी धड़कन है, यह पूरी दुनिया के मुसलमानों का मोहसिन और ग़मख़ार है, यह समस्त मानव संसार का शुभचिंतक है, और इससे लाखों लोगों का रोज़गार और करोड़ों लोगों की रोज़ी-रोटी जुड़ी हुई है.
कमाल तो सिर्फ़ अल्लाह तआला के लिए है और उसके सिवा कोई कमी से पाक नहीं, लेकिन यह देश बहरहाल तमाम देशों में नुमायां, और बेमिसाल है और रहेगा,
             इन शा अल्लाह.
अल्लाह तआला इस अनोखो और प्यारे देश की हिफ़ाज़त करे, अच्छे कामों में इसकी मदद फ़रमाए, इसे इसके दस्तूरी बुनियादों पर क़ाएम रखे, और इस्लाम और इंसानियत की सेवा करने की मज़ीद तौफ़ीक़ अता फ़रमाए |
आप का भाई:   इफ़्तेख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर   जुबैल सऊदी अरब
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