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Quran Majeed Tarjuma Hindi (Para 22)

Apni Sharmgaho ki Hifajat karo aur Husn ki Numaish ke liye Bahar nahi nikalo.
Quran Majeed Tarjuma Hindi Para 22
पारा – 22, ख़ुलासा क़ुरआन

क़ुरआन-ए-मजीद का पैग़ामे अमल
डॉ. मुहिउद्दीन ग़ाज़ी

ईमान वालियो!
दुनिया की ज़िंदगी
और उसकी रौनक़ों से धोखा न खाओ।

अल्लाह और उसके रसूल की मुहब्बत और आख़िरत की तलब से अपने दिल को आबाद रखो।
अच्छी सीरत (किरदार) वालियों के लिए
अल्लाह के पास बेहतरीन अज्र है।
जो औरत बेहयाई के काम करेगी,
अल्लाह उसे सख़्त सज़ा देगा
और जो अल्लाह और उसके रसूल की फ़रमाँबरदार होगी और अच्छी सीरत वाली होगी
उसके लिए दोगुना अज्र है।

ईमान वालियो!
अल्लाह की नाराज़गी से बचो।
किसी अजनबी मर्द से बात करो
तो ऐसे लहजे में बात मत करो कि रोगी दिल में कुछ गुदगुदी पैदा हो जाए।

जब कहना हो भली बात कहो।
अपने घरों में रहो,
जाहिलियत के तरीक़े पर
हुस्न की नुमाइश के लिए बाहर न निकलो।

नमाज़ों का एहतिमाम करो
और ज़कात अदा करो।
अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करो।

बुराइयों की गंदगी से दूर रहो
और पाकीज़ा मिज़ाज बनने की फ़िक्र करो।

ऐसा माहौल बनाओ कि
तुम्हारे घरों में
अल्लाह की आयतों
और हिकमत की बातों का चर्चा हो।

मर्द और औरतें
सब के सब
अपने रब के फ़रमाँबरदार बनें,
ईमान पर क़ायम रहें,
अल्लाह की इताअत करें,
सच्चाई को अपना तरीक़ा बनाएँ,
मुसीबतों और आज़माइशों में
अपने दीन पर डटे रहें,
अल्लाह के सामने दिल झुके रहें,
अल्लाह की ख़ुशी के लिए ख़र्च करें,
रोज़े रखें,
अपनी शर्मगाहों (गुप्तांगों) की हिफ़ाज़त करें
और ज़्यादा से ज़्यादा
अल्लाह का ज़िक्र करें।

अल्लाह और उसके रसूल का फ़ैसला सामने आ जाए
तो फिर
किसी मोमिन मर्द या किसी मोमिन औरत
के लिए गुंजाइश नहीं कि
वह अपनी मनमानी करे।

याद रखो
अल्लाह और उसके रसूल की नाफ़रमानी करना
खुली गुमराही है।

अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करो,
सुबह-शाम उसकी तसबीह (महिमागान) करो,
उसका यह एहसान याद रखो कि
उसने तुम पर रहमतों की बारिश की
और अँधेरों से निकाल कर
उजाले में पहुँचा दिया।

तुम्हारे पास
अल्लाह ने एक नबी भेजा,
तुम्हें हक़ (सत्य) से वाक़िफ़ कराने वाला,
बंदगी के
अच्छे अंजाम की ख़ुशख़बरी देने वाला
और सर'कशी के
बुरे अंजाम से डराने वाला,
अल्लाह की तरफ़ बुलाने वाला
और रौशन चिराग़ बन कर रौशनी दिखाने वाला।

उस नबी के जाँनिसार बनो,
ख़ुशख़बरियाँ
तुम्हारा इंतिज़ार कर रही हैं।

अल्लाह के नाफ़रमानों
और मुनाफ़िक़ों की बातें न सुनो।
वे तकलीफ़ पहुंचाएं
तो उन्हें नज़रअंदाज़ करो
और अल्लाह पर भरोसा रखो,
यही सच्चे अहले ईमान का तरीक़ा रहा है।

अपनी बीवियों के साथ
इस तरह रहो कि
उनकी आँखें ठंडी रहें,
बिना वजह (अकारण) कोई ग़मगीन न हो,
उन सब को ख़ुशियाँ हासिल हों।
किसी को भी महरूमी
या हक़'तलफ़ी का एहसास न हो।

दूसरों के घर जाने के आदाब का ख़याल रखो।
घरों में दाख़िल होने से पहले
इजाज़त मांगो,
इजाज़त मिलने पर ही
अंदर दाख़िल हो।

खाने के लिए बुलाया जाए
तो खाने के वक़्त पर आओ
और खाना खाते ही
रुख़सत हो जाओ,
इतनी देर तक
बैठ कर बातें न करो कि
मेज़बान उकता जाए।

ज़नानख़ाने से कुछ माँगना हो
तो पर्दे की ओट से माँगो।
इसमें
तुम्हारे दिल की पाकीज़गी है
और घरवालियों के भी दिल की पाकीज़गी है।
कोई ऐसा रवैया न इख़्तियार करो
जिससे घर वालों
या घर की औरतों को तकलीफ़ हो।
इन सब बातों में बेहद मोहतात (सावधान) रहो।

अल्लाह और उसके फ़रिश्ते
नबी पर रहमत भेजते हैं,
तुम भी उन पर सलाम
और रहमत भेजो।

जो लोग
अल्लाह और उसके रसूल को तकलीफ़ पहुँचाते हैं
और जो लोग
मोमिन मर्दों
और मोमिन औरतों को
नाहक़ सताते हैं,
उन सब पर
अल्लाह की लानत बरसती है।

ईमान वालियो!
अपने घर से बाहर निकलो
तो अपने ऊपर
अपनी चादर के घूँघट
लटका लिया करो।
इस तरह
शरपसंदों की, शरपसंदी से
महफ़ूज़ रहोगी।

ईमान वालो!
अल्लाह की नाराज़गी से बचो।
नपी-तुली अच्छी बात कहो
और पूरी ज़िन्दगी अल्लाह
और
उसके रसूल की इताअत में गुज़ारो।

दाऊद (अलैहि.) और सुलेमान (अलैहि.) को अल्लाह ने
ज़बरदस्त क़ुव्वतों से नवाज़ा था।
उन्हें हिदायत थी कि
अच्छे काम करो
और अल्लाह का शुक्र अदा करो।
वे ज़िन्दगी भर
अल्लाह से लौ लगाए रहे
और अल्लाह के शुक्रगुज़ार रहे।

सबा वालों को भी
अल्लाह ने ख़ूब नवाज़ा था
और कहा था कि 
अल्लाह का दिया हुआ
ख़ूब खाओ-पियो
और
अल्लाह का शुक्र अदा करते रहो।
मगर
उन्होंने ज़ुल्म और नाशुक्री का रास्ता इख़्तियार किया।
अल्लाह ने उनसे सारी नेमतें छीन लीं
और उन्हें एक गुज़री हुई कहानी बनाकर रख दिया।

तुम इन मिसालों से सबक़ लो
और सब्र करने वाले
और शुक्र करने वाले बनो।

तुम्हारे पास
हिदायत की किताब आ गई है।
उसकी पैरवी करो,
उसको छोड़कर
अपने बाप-दादा के तरीक़े पर मत चलो।

आज
तुम्हारे लीडर
दिन-रात एक करके
तुम्हें बहकाने में लगे हैं
और तुम आँखें बंद करके
उनके पीछे भाग रहे हो।

कल
क़यामत के दिन
ये मुकर जाएंगे
और तुमसे कहेंगे कि
हमने तुम्हें सीधे रास्ते से नहीं रोका,
तुमने तो ख़ुद
मुजरिमों वाला रास्ता इख़्तियार किया।

दुनिया का ऐशोआराम
तुम्हें आख़िरत से ग़ाफ़िल ना कर दे।

याद रखो
कोई अपने माल
और औलाद से
अल्लाह से क़रीब नहीं होता है।
अल्लाह के क़रीब वह होता है
जो ईमान लाये
और अच्छे काम करे।

लोगों
अल्लाह की हम्द बयान करो,
अल्लाह के एहसानात को याद करो,
अल्लाह के रसूल को झुठलाओ नहीं,
अल्लाह का वादा पूरा होकर रहेगा।

कहीं ऐसा न हो कि
दुनिया की ज़िन्दगी
और दुनिया के धोखेबाज़
तुम्हें धोखे में डाल दें।

देखो
शैतान तुम्हारा दुश्मन है
तुम उसे दुश्मन ही समझो।

जो कुफ़्र के रास्ते पर चलेगा
वह सख़्त अज़ाब से दो-चार होगा।
और
जो ईमान लाएगा
और अच्छे काम करेगा
उसके लिए बड़े ईनाम हैं।

बदनसीब है वह
जो ज़िन्दगी भर बुरे कामों को
अच्छा समझकर करता रहा।

अगर तुम्हें इज़्ज़त चाहिए
तो याद रखो
इज़्ज़त
अल्लाह के पास से मिलती है।

अल्लाह से इज़्ज़त चाहते हो
तो अल्लाह के पास
पाकीज़ा बातें
और अच्छे अमल भेजो।

अल्लाह को न देखते हुए
अल्लाह से डरो,
नमाजों का एहतिमाम करो,
पाकीज़ा सिफ़त बनो,
किसी के उकसाने पर
गुनाहों का बोझ न उठाओ।

याद रखो
क़यामत के दिन
कोई किसी का बोझ नहीं उठाएगा।

जहालत की तारीकी (अंधेरे) में न रहो,
इल्म वाले बनो,
इल्म से
दिल में अल्लाह का डर पैदा होता है।

अल्लाह की किताब की तिलावत करो,
नमाज़ क़ायम करो,
खुले और छुपे
अल्लाह का दिया
अल्लाह की राह में ख़र्च करो।
यह ऐसी तिजारत है
जिसमें कभी घाटा नहीं है।

अल्लाह की किताब मिलने के बाद
कुछ लोग
इसे बिलकुल नज़रअंदाज़ कर देते हैं
और इस तरह
ख़ुद, अपने ऊपर ज़ुल्म करते हैं।

कुछ लोग
नेकी की राह इख़्तियार करते हैं
और कुछ लोग
भलाई की दौड़ में आगे रहते हैं।
सबका अंजाम यकसां नहीं होगा।

अब
तुम अपने बारे में फ़ैसला कर लो।
अल्लाह ने तुम्हारे पास क़ुरआन भेजा है।
यह हिकमत का ख़ज़ाना है।
जो लोग नसीहतों पर ध्यान देते हैं
और अल्लाह को न देखते हुए
अल्लाह से डरते हैं
वे इससे फ़ायदा उठाते हैं।
उनके लिए बेहतरीन अंजाम है।

अल्लाह के रसूलों का तरीक़ा यह है कि
झुठलाने वाले, झुठलाते रहें,
धमकियाँ देने वाले, धमकियाँ देते रहें
और
तोहमतें लगाने वाले, तोहमतें लगाते रहें,
वे अपने मक़ाम पर जमे रहते हैं
और पूरी ज़िम्मेदारी
और लगन के साथ
अल्लाह का पैग़ाम पहुंचाते रहते हैं।
वे किसी से
अपनी मेहनत
और दावत का बदला नहीं मांगते।

उनका पैग़ाम
और उनका किरदार
दोनों गवाही देते हैं कि
वे सीधे और सही रास्ते पर हैं।

अनुवाद : Taiyyab Ahmad

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