Tauba Karne se Allah Hame Muaaf kar deta hai.
*तौबा राहें नजात*
*ख़ुतबाते हरम* ( 11 )
"हर क़िस्म की हम्द अल्लाह के लिए है जो गुनाहों को मुआफ़ करने वाला, तौबा क़बूल करने वाला, सख़्त सज़ा देने वाला, ताक़तवर है, उसके सिवा कोई इबादत के लाइक़ नहीं और उसी की तरफ़ लौट कर जाना है। मैं शहादत देता हुँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के क़ाबिल नही, न उसका कोई हमसर है, न कोई उसका शरीक है और न कोई उसके मुशाबा है और मैं गवाही देता हुँ कि हज़रत मुहम्मद सलल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के बन्दे और रसूल है, आप बशीर, नज़ीर और सिराजे मुनीर हैं। अल्लाह की लामहदूद रहमतें और सलामतें हों आप पर, आपकी आल और असहाब पर और उनके नक़्शे क़दम पर चलने वालों पर।"
*हम्द व सलात के बादः*
लोगों! अल्लाह का तक़वा इख़्तियार करो, उससे मग़फ़िरत तलब करो, उसकी जानिब में तौबा करो और छोटे गुनाहों से भी बचो क्योंकि यही बड़े गुनाहों की तरफ़ ले जाते हैं और यहीं सग़ीरा गुनाह इन्सान को खोखला कर डालते हैं, जैसा कि रसूले अकरम सल्ल० वज़ाहत फ़रमाई है। *(मुस्नद अबी दाऊद अलतयालिसीःहदीस नं.400, व मुस्नद अहमदः 1/400, 401)*
मुअज़्ज़ज़ भाईयों! हमें रसूले अकरम सल्ल० का उस्वए हसना पेशे नज़र रखना चाहिए कि आप की शख़्शियत इतनी अज़ीम थी कि अल्लाह तआला ने आपके अगले पिछले गुनाहों को मुआफ़ कर दिया था, इसके बावजूद आप सल्ल० एक एक मजलिस में सौ सौ बार इस्तिग़फ़ार किया करते थे। आप सल्ल० अल्लाह तआला से अर्ज़ किया करते थे: *"ऐ मेरे रब! मेरी मग़फ़िरत फ़रमा दे और मेरी तौबा क़बूल कर, बेशक तू बहुत ज़्यादा मुआफ़ करने वाला, निहायत मेहरबान है।"* ( सुनन अबी दाऊदः हदीस नं.1516, व जामिउत्तिर्मिजी:हदीस 3434 )
खुद बनफ़्से नफ़ीस आप सल्ल० ने इर्शाद फ़रमाया: *"अल्लाह की क़सम! बेशक मैं एक दिन में सत्तर मर्तबा से ज़्यादा अल्लाह की मग़फ़िरत तलब करता हूँ और उसकी तरफ़ तौबा करता हूँ।"
( सही बुख़ारी: हदीस नं . 6307 )
दरुद व सलाम पढ़िये रसूले अकरम, हादिये उमम, ख़ैरुल अनाम पर। सलल्लाहु अलैहि व सल्लम।
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