Geebat Kaisa Gunah hai, Iske bare me islam kya kahta hai?
Kisi ki burai karna aur use haqeer samajhna kaisa gunah hai?
Imaan matlab Yakin Viswas 231
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❀कुरआन मजीद की इनसाइक्लोपीडिया❀
भाग-379 तारीख़:21/06/2020
*★☆★☆ईमान यानी विश्वास-231★★☆★*
*_★गीबत★_*
गीबत का अर्थ किसी की पीठ पीछे निन्दा करना है ! यह एक सामाजिक बिगाड़ और रोग है,जिसकी इस्लाम में कठोर शब्दों में निन्दा की गई है ! कुरआन में है-
*_ऐ ईमान लाने वालो ! बहुत से गुमानों से बचो, क्योंकि कतिपय गुमान गुनाह होते हैं। और न टोह में पड़ो और न तुम में से कोई किसी की पीठ पीछे निन्दा करे - क्या तुम में से कोई इसको पसन्द करेगा कि वह मरे हुए भाई का मांस खाए? वह तो तुम्हें अप्रिय होगी ही। - और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह तौबा क़बूल करने वाला, अत्यन्त दयावान है !_*
【सूरा-49, अल-हुजुरात, आयत-12 】
_किसी की पीठ पीछे निन्दा करने में वैसे ही मज़ा आता है जैसे मांस खाने में, परन्तु अगर वह मांस किसी मुर्दे का हो विशेष रूप से अपने सगे मरे हुए भाई का तो जो घृणा इस मांस के खाने में होगी वहीं घृणा पीठ पीछे निन्दा करने में होनी चाहिए ! अब ग़ीबत करनेवाला स्वयं निणर्य कर ले कि क्या वह लोगों की पीठ पीछे निन्दा करके अपने मुर्दा भाई का मांस खाना पसन्द करेगा ? यहाँ पीठ पीछे निन्दा करने की उपमा मरे हुए भाई का मांस खाने से इस लिए दी गई कि जिस प्रकार मृत भाई अपने बचाव में कुछ नहीं कर सकता उसी प्रकार, जिसकी ग़ीबत की जा रही है वह कुछ नहीं कर सकता !_
_यह तो उस अवस्था में है जब वह बुराई, जो पीठ पीछे की जा रही है, उसमें पाई जा रही हो और अगर उसकी निन्दा किसी ऐसी बुराई के बारे में की जाए जो उसमें पाई ही न जाती हो, तो यह तोहमत (मिथ्यारोपण) कहलाता है, जो ग़ीबत से भी अधिक बड़ा पाप है !_
कुरआन जहाँ मनुष्यों को ग़ीबत जैसी सामाजिक बुराई से रोकता है, वहीं उन्हें पारस्परिक प्रेम-भावना की शिक्षा भी देता है-
*_पुण्य कर्मों और तक़वा (ईस-परायणता) में एक दूसरे की सहायता करते रहो,पाप तथा अत्याचार में सहायता न करो,अल्लाह से डरते रहो ! निश्चय ही अल्लाह कठिन यातना देने वाला है !_* 【सूरा-5, अल-माइदा, आयत-2】
आगे.........
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_निवेदन (गुज़ारिश) इस दर्स में कोई फेर-बदल न करे क्योकि अल्लाह आपके हर हरकत को देख रहा है !_
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