Wah Sirf Masjid hi nahi balki Parliament thi jaha se sare System Chalaye jate they.
أَعـــــــــــــــــــــــوذ بالله من الشيطان الرجيم.
بســــــــــــــــــــــــــــــــــــم الله الرحمن الرحيم.
أَعـــــــــــــــــــــــوذ بالله من الشيطان الرجيم.
بســــــــــــــــــــــــــــــــــــم الله الرحمن الرحيم.
Friday, June. 19, 2020._
पार्ट-260 सीरत ए नबी ﷺ
पार्ट-260 सीरत ए नबी ﷺ
Seerat Un Nabi |
पहला मरहला_
*★नए समाज का गठन- 2★*
*★नए समाज का गठन- 2★*
_उस ज़मीन में मुश्रिकों की कुछ क़बें थीं ! कुछ वीराना भी था ! खजूर और ग़रक़द के कुछ पेड़ भी थे ! अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुशरिकों की कब्रे उखड़वा दी, वीराना बराबर करा दिया और खजूरों और पेड़ों को काट कर क़िबले की ओर लगा दिया ! (उस वक़्त किबला बैतुल मक़दिस था) दरवाज़े के बाजू के दोनों पाए पत्थर के बनाए गए, दीवारें कच्ची ईंट और गारे से बनाई गईं ! छत पर खजूर की शाखाएं और पत्ते डलवा दिए गए और खजूर के तनों के खम्भे बना दिए गए ! ज़मीन पर रेत और छोटी-छोटी कंकरियां (छर्रिया) बिछा दी गई ! तीन दरवाज़े लगाए गए ! क़िब्ले की दीवार से पिछली दीवार तक एक सौ हाथ लम्बाई थी, चौड़ाई भी उतनी या उससे कुछ कम थी ! बुनियाद लगभग तीन हाथ गहरी थी !_
_आपने मस्जिद के बाजू में कुछ मकान भी बनाए, जिनकी दीवारें कच्ची ईंट की थीं, और छत खजूर की कड़ियां देकर खजूर की शाखा और पत्तों से बनाई गई थी ! यही आपकी बीवियों के हुजरे (कोठरी) थे ! इन हुजरों की तामीर पूरी हो जाने के बाद आप हज़रत अबू अय्यूब अंसारी रजि० के मकान से यहीं आ गए !_
सहीह बुखारी 1/71,555,560, जादुल मआद,2/96 !
_मस्जिद सिर्फ नमाज़ अदा करने के लिए न थी, बल्कि यह एक युनिवर्सिटी थी, जिसमें मुसलमान इस्लामी शिक्षाओं और हिदायतों का सबक़ हासिल करते थे और एक महफ़िल थी, जिसमें मुद्दतों अज्ञानतापूर्ण संघर्षो और खिंचावों, नफ़रतों और आपसी लड़ाइयों से दो चार रहने वाले कबीले के लोग अब मेल-मुहब्बत से मिल-जुलकर रह रहे थे, साथ ही यह एक सेंटर था, जहां से इस छोटी-सी स्टेट की सारी व्यवस्था चलाई जाती थी और विभिन्न प्रकार की मुहिमें भेजी जाती थीं ! इसके अलावा इसकी हैसियत एक पार्लियामेंट की भी थी जिसमें मज्लिसे शूरा और प्रशासन की सभाएं हुआ करती थीं !_
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ان شـــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــاء الـــلـــه.
جـــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــزاکـم الــلــه خـــیـرا.
ان شـــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــــاء الـــلـــه.
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