Ghusal kin halaton me wajib hota hai?
Ghusal kya hai aur ise kaise karte hai?
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❀कुरआन मजीद की इनसाइक्लोपीडिया
Ghusal kya hai aur ise kaise karte hai?
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Iman Ka Byan |
भाग-378 तारीख़:20/06/2020
*★☆★☆ईमान यानी विश्वास-230★★☆★*
*_★गुस्ल★_*
गुस्ल का मतलब 'स्नान' है ! कुरआन में स्नान करने का वर्णन केवल एक स्थान पर आया है -
*_ऐ ईमानवालो ! जब तुम नशे में हो तो नमाज़ के निकट न जाओ,जब तक कि तुम यह न जान लो कि क्या कह रहे हो और नापाकी की दशा में भी नमाज़ के निकट न जाओ,जब तक कि गुस्ल न कर लो !_*
*_ऐ ईमानवालो ! जब तुम नशे में हो तो नमाज़ के निकट न जाओ,जब तक कि तुम यह न जान लो कि क्या कह रहे हो और नापाकी की दशा में भी नमाज़ के निकट न जाओ,जब तक कि गुस्ल न कर लो !_*
【सूरा 1, अन-निसा, आयत-43】
अर्थात् संभोग करने के पश्चात् या किसी अन्य नापाकी की हालत में गुस्ल किए बिना नमाज़ पढ़ना वर्जित है ! हाँ, अगर पानी न मिले तो तयम्मुम' किया जा सकता है ! सहीह हदीसों से ज्ञात होता है कि
जिन दशाओं में गुस्ल करना अनिवार्य है, वे ये हैं-
जिन दशाओं में गुस्ल करना अनिवार्य है, वे ये हैं-
*1.* _वीर्य का किसी भी दशा में निकलना, चाहे संभोग करने की दशा में या स्वप्न दोष (एहतिलाम) की मर्द का लिंग स्त्री की योनि में समा जाने की दशा में !_
*2.* _मर्द का शर्मगाह स्त्री की शर्मगाह में समा जाने की दशा में,चाहे वीर्य निकले या न निकले ! जैसा कि सहीह हदीस में आया है-_
_मर्द का शर्मगाह पत्नी की शर्मगाह से मिले तो गुस्ल अनिवार्य हो जाता है !_
सहीह मुस्लिम, 349 !
एक दूसरी हदीस में आया है कि वीर्य चाहे गिरे या न गिरे, गुस्ल अनिवार्य है !
देखिए : सहीह मुस्लिम, 348 !
*3.* _जब स्त्री का मासिक धर्म ख़त्म हो तो उस पर स्नान करना और गन्दगी दूर करना अनिवार्य है !_
देखिए : बुखारी, 306 तथा मुस्लिम, 262 !
स्त्री स्नान किए बिना न तो क़ुरआन पढ़ सकती है, और न नमाज़ पढ़ सकती है ! कुछ गुस्ल अनिवार्य तो नहीं हैं, परन्तु उनका करना उत्तम है ! जैसे :
★ जुमे के दिन का गुस्ल !
★ईद के दिन का गुस्ल !
★एहराम पहनने से पहले का गुस्ल !
★मक्का में प्रवेश करते समय गुस्ल !
★अरफात में 'वुकूफ करने से पहले गुस्ल !
★ इस्तिहाज़ा (अर्थात मासिक धर्म के बाद भी बीमारी के कारण खून का आते रहना और इस हालत में नमाज़ अनिवार्य है) में हर नमाज़ के लिए गुस्ल !
★इस्लाम धर्म स्वीकार करने से पहले गुस्ल !
★बेहोशी से होश में आने के बाद गुस्ल !
★ईद के दिन का गुस्ल !
★एहराम पहनने से पहले का गुस्ल !
★मक्का में प्रवेश करते समय गुस्ल !
★अरफात में 'वुकूफ करने से पहले गुस्ल !
★ इस्तिहाज़ा (अर्थात मासिक धर्म के बाद भी बीमारी के कारण खून का आते रहना और इस हालत में नमाज़ अनिवार्य है) में हर नमाज़ के लिए गुस्ल !
★इस्लाम धर्म स्वीकार करने से पहले गुस्ल !
★बेहोशी से होश में आने के बाद गुस्ल !
ये वे अवसर चा अवस्थाएं हैं जिनमें गुस्ल करना उत्तम बताया गया है, परन्तु जुमे के दिन के गुस्ल को कुछ विद्वानों ने अनिवार्य ठहराया है !
आगे.........
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_निवेदन (गुज़ारिश) इस दर्स में कोई फेर-बदल न करे क्योकि अल्लाह आपके हर हरकत को देख रहा है !_
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