Allah jise Zalil kar de Use kaun Izzat de sakta hai?
insan aur Muashare Par Gunahon ke Muhallik asraat. (Part 03)
इन्सान और मुआशरे पर गुनाहों के मुहलिक असरात
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*ख़ुतबाते हरम*
*(3)*
बनी इसराईल के ख़िलाफ़ सख़्तगीर क़ौम को क्यों मुसल्लत किया गया: *"इन दोनों वादों मे से पहले के आते ही हम तुम्हारे मुक़ाबले पर अपने ताक़तवर बन्दों को खड़ा कर देंगे, वह तुम्हारे घरों के अंदर घुस जाएँगे, अल्लाह का यह वादा पूरा होना था।"*( कुरआनः बनी इस्राइलः 17/5 )
किसने उनके मर्दों को तहतेग़ किया? बच्चों को और औरतों को पस ज़न्दान किया? किसने उनकी जाएदाद और धन दौलत को आग लगा दी, फिर दोबारा उन पर इसी तरह का अज़ाब मुसल्लत किया गया।
*"और फिर दोबारा जिस जिस पर क़ाबू पाएँगे जड़ से उखाड़ फैकेंगे।"* (कुरआनः बनी इस्राइलः 17/7 )
फिर उन अज़ाबों का सिससिला मुसल्लत किया गया, कभी उनकी हलाकत व खूरेजी की गयी, कभी ज़ालीम हुक्मरानों ने उन्हें बन्दर और ख़िन्ज़ीर की शक्ल में बदल दिया गया और एक से बढ़ कर एक सख़्त ज़िल्लत आमेज़ अज़ाब आया।
*"और वह वक़्त याद करो जब आपके रब ने यह बात बतला दी वह उन यहूदियों पर क़यामत तक उन लोगों को मुसल्लत करता रहेंगा जो उन्हें शदीद तकलीफ़ पहुँचाते रहें।"*
(कुरआनः अल आराफ़ः 7/167 )
इमाम इब्ने क़य्यिम रह० ने बड़ी शर्ह व बस्त से गुनाहों के असरात का ज़िक्र किया है कि दुनिया और आख़िरत में अफ़राद और क़ौमों पर मआसी के क्या क्या नुक़सानात होंगे, यह असरात व नुक़सानात कभी इल्म से महरुमी, रिज़्क़ में बेबरकती, तंगी और जुल्मत की शक्ल में ज़ाहिर होते हैं और कभी क़ल्ब व बदन की कमज़ोरी, इताअत से दूरी और ज़िल्लत की शक्ल में नमूदार होते हैं।
*( वलजवाबुल काफ़ी: स० 61, 62 )*
फ़रमाने इलाही है: *"जिसे अल्लाह ज़लील कर दे उसे कौन इज़्ज़त बख़्श सकता है, बेशक अल्लाह जो चाहे करता है।"* (अल हजः 22/18 )
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