Jo Zulm Ka Rasta Ikhtiyar kare Usse Door raho.
Ahle kitab (Yahudi, Christian) Se Ache Andaj me Batchit karo.
पारा - 21, ख़ुलासा क़ुरआन
क़ुरआन-ए-मजीद का पैग़ामे अमल
डॉ. मुहिउद्दीन ग़ाज़ी
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अल्लाह ने
तुम्हारे पास किताब भेजी है,
उसे पढ़ो और पढ़ाओ
और नमाज़ों का एहतिमाम करो।
बे'हयाई
और बुराई के कामों से दूर रहो।
इसके लिए
नमाज़ से मदद हासिल करो।
अल्लाह की याद बहुत बड़ी चीज़ है।
अहले किताब से
अच्छे अन्दाज़ से गुफ़्तगू करो।
जो ज़ुल्म का रास्ता इख़्तियार करें
उनसे दूरी रखो।
उन्हें बताओ कि
हमारा और तुम्हारा रब एक है
और हम उसी के फ़रमाँबरदार हैं।
हम
उन किताबों पर भी ईमान रखते हैं
जो तुम्हारे पास आईं
और
इस किताब पर भी ईमान रखते हैं
जो हमारे पास आई है,
और हम तुम्हें भी इस बात की दावत देते हैं।
ईमान वालो,
सिर्फ़ अल्लाह की बंदगी करो।
उसकी राह में सरगर्म रहो।
उसके दीन पर जमे रहो
और उसी पर भरोसा रखो।
तुम्हारे रब की ज़मीन
बहुत कुशादा (फैली) है
और जन्नत का ऐशोआराम तुम्हारा मुंतज़िर है।
अपने ईमान पर क़ायम रहो
और अच्छे काम करते रहो।
अल्लाह की राह में
जद्दो'जहद करते रहो,
अल्लाह तुम्हारे लिए
बहुत सी राहें खोल देगा।
जिंदगी
बेहतर से बेहतर तरीक़े से गुज़ारो,
अल्लाह को अपने साथ पाओगे।
ईमान पर क़ायम रहो,
अल्लाह तुम्हारी मदद करेगा।
यह अल्लाह का वादा है।
अक़्ल व होश रखने वालों के लिए
अल्लाह की बेशुमार निशानियाँ हैं,
लेकिन
जिन्हें ज़ुल्म का रास्ता पसंद है
वे ख़्वाहिशात की पैरवी करते हैं
और इल्म पर
ख़्वाहिशात को तरजीह देते हैं।
इस्लाम दीन-ए-फ़ितरत है।
यही सीधा दीन है,
तुम इस्लाम की तरफ़ यकसू (एकाग्रचित्त) हो जाओ।
अल्लाह से लौ लगाओ।
उसकी नाराज़गी से बचने की फ़िक्र करो।
नमाज़ो का एहतिमाम करो।
शिर्क करने वालों से कोई रिश्ता न रखो,
जिन्होंने अपने दीन को टुकड़े-टुकड़े कर दिया
और एक-एक टुकड़े को लेकर उसी में मग्न हो गए।
जब अल्लाह ख़ुशहाली दे
तो आपे से बाहर मत हो जाओ
और तंगी लाये
तो मायूसी में मत डूब जाओ।
देखो
अल्लाह जिसे चाहता है
ज़्यादा रोज़ी (रिज़्क़) देता है
और जिसे चाहता है
नपी-तुली रोज़ी देता है।
तुम,
सब्र व शुक्र की रविश (तरीक़ा) इख़्तियार करो।
रिश्तेदरों के हुक़ूक़ (अधिकार) अदा करो।
मिसकीनों और बेसहारा लोगों पर ख़र्च करो।
सूद (ब्याज) से परहेज़ करो
और ज़कात की अदायगी में ख़ुशी महसूस करो।
सूदी क़र्ज़े देकर
तुम लोगों से सूद तो ले लोगे
लेकिन
अल्लाह के यहाँ कुछ नहीं पाओगे।
ज़कात अदा करोगे
तो अल्लाह के यहाँ
कई गुना पाओगे।
ख़ुश्की और तरी में
जो कुछ बिगाड़ है
उसे देख कर सबक़ हासिल करो।
यह इन्सानों के हाथों की कमाई है।
बुरे कामों के बुरे नतीजे देखो
और अपनी रविश (तरीक़ा) दुरुस्त करो।
कुफ़्र का रास्ता न इख़्तियार करो।
सही और सीधे दीन की तरफ़
यकसू (एकाग्रचित्त) हो जाओ।
ईमान की हिफ़ाज़त करो
और नेकियों के आदी बनो।
अल्लाह तुम्हें अपने फ़ज़्ल से नवाज़ेगा।
हवाओं को देखो,
अल्लाह ने
अपनी रहमत तुम तक पहुंचाने के लिए
कैसे-कैसे इंतिज़ामात किए हैं।
उसका फ़ज़्ल हासिल करो
और उसका शुक्र अदा करो।
क़ुरआन मजीद में
हर बात को अच्छी तरह समझा दिया गया है।
तुम उस पर जमे रहो।
यक़ीन रखो कि
अल्लाह का वादा पूरा होकर रहेगा।
कमज़ोरी न दिखाओ कि
यक़ीन न करने वाले
तुम्हें किसी भी तौर से बे'वज़न
और हल्का पाएँ।
अल्लाह की किताब से रिश्ता जोड़ो।
यह हिदायत भी है
और रहमत भी।
नमाज़ों का एहतिमाम करो
और ज़कात की अदायगी करो।
आख़िरत पर यक़ीन रखो।
अच्छाइयों के साथ
अच्छी ज़िंदगी गुज़ारो।
अल्लाह की हिदायत
और कामयाबी तुम्हारे साथ होगी।
कुछ लोग
ग़फ़लत में डाल देने वाली बातें करते हैं।
वे अल्लाह के रास्ते से भटकाना चाहते हैं,
वे अल्लाह की आयतों का मज़ाक़ उड़ाते हैं।
उनके लिए रुसवाई का अज़ाब है।
तुम ईमान लाओ,
अच्छे काम करो,
जन्नत की नेमतें
तुम्हारा इंतिज़ार कर रही हैं।
अल्लाह के शुक्रगुज़ार बनो।
यही सबसे बड़ी दानाई है।
उसके साथ शिर्क न करो,
यह सबसे बड़ा ज़ुल्म है।
माँ-बाप के साथ अच्छा सुलूक करो।
अल्लाह का शुक्र अदा करो
और माँ-बाप के एहसानमंद रहो।
अगर वे दबाव डालें कि
अल्लाह के साथ किसी को शरीक ठहराओ
तो उनके दबाव में मत आओ।
अलबत्ता
उनके साथ अच्छा बर्ताव करते रहो।
अल्लाह वालों का रास्ता इख़्तियार करो।
अल्लाह हर चीज़ से वाक़िफ़ है
और सब कुछ उसके क़ब्ज़े क़ुदरत में है।
नमाज़ का एहतिमाम रखो।
नेकी का हुक्म दो
और बुराई से रोको।
जो मुसीबत तुम्हें पहुँचे
उस पर सब्र करो।
अज़ीमत के काम करने का शौक़ रखो,
लोगों से बेरुख़ी इख़्तियार न करो,
ज़मीन में अकड़ कर न चलो,
अकड़ना और इतराना
अल्लाह को पसंद नहीं है।
अपनी चाल अच्छी रखो
और बेज़रूरत आवाज़ ऊंची न करो।
अल्लाह ने तुम्हें इंसान बनाया है
इसका ख़याल रखो।
जो अल्लाह का फ़रमाँबरदार हो
और उसकी तरफ़ यकसू (एकाग्रचित्त) हो
और अच्छे कामों से ज़िंदगी को आबाद रखे,
समझो
उसने मज़बूत सहारा पकड़ लिया।
उन लोगों कि तरह न बनो
जो मुसीबत में घिरे होते हैं
तो अल्लाह को पुकारते हैं
और उसकी फ़रमाँबरदारी के
सौ-सौ वादे करते हैं
और मुसीबत टल जाती है
तो सब कुछ भूल जाते हैं।
तुम हर हाल में
अल्लाह की नाराज़गी से बचो
और उस दिन से डरते रहो
जिस दिन
कोई किसी के काम नहीं आयेगा।
क़यामत ज़रूर आएगी
और अल्लाह का वादा
पूरा होकर रहेगा।
इसलिए
दुनिया की ज़िंदगी से धोखा न खाओ
और न बहकाने वालों के फ़रेब में आओ।
अल्लाह की आयतों पर
सच्चे दिल से
जो लोग ईमान रखते हैं,
वे जब अल्लाह की आयतें सुनते हैं
तो सजदे में गिर पड़ते हैं।
अपने रब की हम्द व तसबीह करते हैं
और तकब्बुर नहीं करते।
वे इबादत के आशिक़ होते हैं,
उनके पहलू बिस्तरों पर टिकते नहीं।
वे हर हाल में अल्लाह को पुकारते हैं
और अल्लाह ने जो दौलत दी है
उस में से ख़र्च करते हैं।
उनके लिए
अल्लाह ने आँखों की ऐसी ठंडक छिपा रखी है
जिसका कोई तसव्वुर नहीं कर सकता।
बुरे लोग
और अच्छे लोग
बराबर नहीं हो सकते।
तुम ईमान लाओ
और अच्छे काम करो,
अल्लाह की जन्नत
तुम्हारे इंतिज़ार में है।
अल्लाह की नाराज़गी से बचो,
अल्लाह के ना'फ़रमानों
और मुनाफ़िक़ों के चक्कर में न पड़ो।
अल्लाह की हिदायात पर
अमल करो,
अल्लाह पर भरोसा रखो,
अल्लाह से ज़्यादा भरोसे के लायक़
और कौन हो सकता है?
अल्लाह ने रिश्ते बनाए हैं।
उन रिश्तों के मुक़ाबले में
तुम अपनी तरफ़ से रिश्ते न बनाओ।
पहले तुमसे जो ग़लतियाँ हुई हैं
वो माफ़ की जाती हैं।
अब जान-बूझ कर
दोबारा वही ग़लतियाँ मत करो।
नबी का हक़ पहचानो।
वह तुम्हें हर-एक से ज़्यादा अज़ीज़ (प्रिय) होने चाहिए।
नबी की बीवियों का एहतिराम करो
और उन्हें अपनी माँ समझो।
मुश्किल हालात में
जब दीन के दुश्मन
दीन को मिटाने के दर पे हों,
अल्लाह के वादों पर शक करना
और फ़रार की राहें तलाश करना
मुनाफ़िक़ों का तरीक़ा रहा है।
अहले ईमान का तरीक़ा यह है कि
जब दुश्मन के लशकरों को देखते हैं
तो कहते हैं कि
अल्लाह और उसके रसूल ने
हमसे बिलकुल सच्चा वादा किया था।
ऐसे मुश्किल हालात में
उनका ईमान
और इताअत का जज़्बा
और बढ़ जाता है।
ईमान वाले
अल्लाह से सच्चा अहद करते हैं
और ज़रा भी कमज़ोरी नहीं दिखाते।
सुन लो
सच्चे लोगों को
उनकी सच्चाई का
भरपूर बदला मिलेगा।
अनुवाद : Taiyyab Ahmad
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