Islam me Auraton ko Parde ka Kyu Hukm Hai? (Part 01)
सवाल: इस्लाम औरतों को पर्दे में रख कर उनका अपमान क्यों करता है?
जवाब: इस्लाम में औरतों की जो सूरतेहाल है, उस पर सेक्युलर मीडिया का ज़बरदस्त हमला होता है।
वे पर्दे और इस्लामी लिबास और इस्लामी क़ानून को औरतों की गुलामी (दासता) की मिषाल के रूप में पेश करता हैं इससे पहले कि हम पर्दे के मज़हबी अहकाम (धार्मिक निर्देश) के पीछे मौजूद कारणों पर विचार करें, इस्लाम से पूर्व के समाज में औरतों की हालत पर गौर करते हैं।
अतीत में औरतों का अपमान किया जाता था और उनका इस्तेमाल सिर्फ काम-वासना के लिये किया जाता था। यह कोई मनगढंत इल्ज़ाम नहीं है बल्कि ऐतिहासिक सच्चाई है। इतिहास से लिए गये
निम्नलिखित उदाहरण इस तथ्य की पूरी तरह से व्याख्या करते हैं कि आदिकाल की सभ्यता में औरतों का स्थान इस सीमा तक गिरा हुआ था कि उनकों बुनियादी इन्सानी अज़मत (प्राथमिक मानव सम्मान) तक नहीं दिया जाता था।
01. बेबिलोनिया सभ्यता: औरतें अपमानित की जातीं और बेबिलोनिया के क़ानून में उनको हर हक़ और अधिकार से महरूम (वञ्चित) रखा जाता था। अगर कोई शख़्स किसी औरत का क़त्ल कर देता तो उस गुनाहगार आदमी को सज़ा देने के बजाए उसकी बैकुसूर बीवी को मौत के घाट उतार दिया जाता था।
TO BE CONTINUE
In sha'Allah way Of Jannah Institute
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