Hajj Zindagi Me Kitni Bar Karni Chahiye?
हज ज़िन्दगी में सिर्फ़ एक बार फ़र्ज़ है ।
जब नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने भाषण में फ़रमाया कि :
"أيها الناس! قد فرض الله عليكم الحج فحجوا"
*ऐ लोगो! तुम पर अल्लाह ने हज फ़र्ज़ किया है इसलिए तुम हज करो* तो एक आदमी ने पूछा:
"أ كل عام يا رسول الله"
*क्या हर साल ऐ अल्लाह कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम!* तो आप ख़ामोश रहे, यहां तक कि जब उसने तीन बार यही सवाल दोहराया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया:
"لو قلت نعم لوجبت ولما استطعتم"
*अगर मैं कह देता कि हां तो (हर साल) वाजिब हो जाता और तुम इसकी ताक़त नहीं रख पाते*। (सहीह मुस्लिम:1337)
मालूम हुआ कि हज एक मुसलमान की ज़िन्दगी में सिर्फ़ एक बार फ़र्ज़ है । और बेशक यह अल्लाह तआला का अपने बन्दों पर फ़ज़ल व करम और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अपनी उम्मत पर शफ़क़त व मेहरबानी है, वरना हर साल हज करना मुसलमानों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता, क्योंकि अक्सर मुसलमानों का हाल यह है कि वे ज़िन्दगी में एक बार भी हज नहीं कर पाते हैं और करने वालों में भी अक्सरियत उनकी होती है जो बड़ी मुश्किल से कर पाते हैं, तो फिर भला उनके लिए हर साल हज करना कैसे मुमकिन हो पाता ।
✍ एक से ज़्यादा हज करना नफ़ल और मसनून अमल है और शरीअत में इसकी भी बड़ी ताकीद और फ़ज़ीलत आई है ।
हज कब फ़र्ज़ हुआ:
हज सन 9 हिजरी में फ़र्ज़ हुआ । और यह वही साल है जिसमें नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास कसरत से वुफ़ूद आए जिसके कारण आप दीन की दावत और तालीम में कुछ ज़्यादा ही व्यस्त हो गए और हज को नहीं जा सके, और अपनी जगह हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु को अमीरे कारवां बना कर सहाबा किराम को हज के सफ़र पर रवाना किया |
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कब और कितनी बार हज किया :
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सन 10 हिजरी में हज किया और यही आपकी ज़िन्दगी का पहला और आख़िरी हज साबित हुआ, इसलिए इस हज को "हज्जतुल वदा" यानी *अलविदाई हज* भी कहते हैं, क्योंकि इसके लग भग तीन महीने के बाद सन 11 हिजरी में आपकी वफ़ात हो गई और आपको ज़िन्दगी में दोबारा हज का मौक़ा नहीं मिल पाया, गोया आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी ज़िन्दगी में एक ही बार हज किया ।
जब नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने भाषण में फ़रमाया कि :
"أيها الناس! قد فرض الله عليكم الحج فحجوا"
*ऐ लोगो! तुम पर अल्लाह ने हज फ़र्ज़ किया है इसलिए तुम हज करो* तो एक आदमी ने पूछा:
"أ كل عام يا رسول الله"
*क्या हर साल ऐ अल्लाह कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम!* तो आप ख़ामोश रहे, यहां तक कि जब उसने तीन बार यही सवाल दोहराया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया:
"لو قلت نعم لوجبت ولما استطعتم"
*अगर मैं कह देता कि हां तो (हर साल) वाजिब हो जाता और तुम इसकी ताक़त नहीं रख पाते*। (सहीह मुस्लिम:1337)
मालूम हुआ कि हज एक मुसलमान की ज़िन्दगी में सिर्फ़ एक बार फ़र्ज़ है । और बेशक यह अल्लाह तआला का अपने बन्दों पर फ़ज़ल व करम और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अपनी उम्मत पर शफ़क़त व मेहरबानी है, वरना हर साल हज करना मुसलमानों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता, क्योंकि अक्सर मुसलमानों का हाल यह है कि वे ज़िन्दगी में एक बार भी हज नहीं कर पाते हैं और करने वालों में भी अक्सरियत उनकी होती है जो बड़ी मुश्किल से कर पाते हैं, तो फिर भला उनके लिए हर साल हज करना कैसे मुमकिन हो पाता ।
✍ एक से ज़्यादा हज करना नफ़ल और मसनून अमल है और शरीअत में इसकी भी बड़ी ताकीद और फ़ज़ीलत आई है ।
हज कब फ़र्ज़ हुआ:
हज सन 9 हिजरी में फ़र्ज़ हुआ । और यह वही साल है जिसमें नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास कसरत से वुफ़ूद आए जिसके कारण आप दीन की दावत और तालीम में कुछ ज़्यादा ही व्यस्त हो गए और हज को नहीं जा सके, और अपनी जगह हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु को अमीरे कारवां बना कर सहाबा किराम को हज के सफ़र पर रवाना किया |
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कब और कितनी बार हज किया :
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सन 10 हिजरी में हज किया और यही आपकी ज़िन्दगी का पहला और आख़िरी हज साबित हुआ, इसलिए इस हज को "हज्जतुल वदा" यानी *अलविदाई हज* भी कहते हैं, क्योंकि इसके लग भग तीन महीने के बाद सन 11 हिजरी में आपकी वफ़ात हो गई और आपको ज़िन्दगी में दोबारा हज का मौक़ा नहीं मिल पाया, गोया आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी ज़िन्दगी में एक ही बार हज किया ।
Hajj Ki Adayegi Me Der Na KAre.
................. जारी ..............
आप का भाई: इफ्तिख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
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आप का भाई: इफ्तिख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर जुबैल सऊदी अरब
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