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Hajj Pichhle Gunaho Ko Mita Deti Hai. (Hindi)

Hajj Ki Ahmiyat Aur Fazilat.
जब हज़रत अमर बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हु ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से बैअत करते समय गुनाहों की माफ़ी की शर्त लगाई तो आप ने इरशाद फ़रमाया:
أما علمت أن الإسلام يهدم ما كان قبله، وأن الهجرة تهدم ما كان قبلها، وأن الحج يهدم ما كان قبله*(صحيح مسلم:١٢١)
*क्या तुम नहीं जानते कि इस्लाम पिछले गुनाहों को मिटा देता है और हिजरत पिछले गुनाहों को मिटा देती है और हज पिछले गुनाहों को मिटा देता है।*
✍ हज करने वाला गुनाहों से पाक हो जाता है:
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशाद है:
*من حج فلم يرفث ولم يفسق رجع كيوم ولدته أمه*(صحيح البخاري:1521 صحيح مسلم:1350)
*जिसने हज किया और (हज के दौरान) बुरी बात नहीं की और बुरा काम नहीं किया वह (गुनाहों से) ऐसे (पाक साफ़ होकर) वापस लौटेगा जैसे उस दिन था जिस दिन उसकी मां ने उसको जन्म दिया था।*
✍ हज्जे मबरुर का बदला जन्नत है:
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशाद है:
*العمرة إلى العمرة كفارة لما بينهما والحج المبرور ليس له جزاء إلا الجنة*(صحيح البخاري:1773 صحيح مسلم:1349)
*एक उमरह दूसरे उमरह तक उन गुनाहों का क्फ्फ़ारह होता है जो दोनों के दरमियान सरज़द होते हैं, और हज्जे मबरुर का बदला तो जन्नत है।*
*नोट:
हज्जे मबरुर वह हज है जो अल्लाह की रिज़ा के लिए मसनून तरीक़े पर किया जाए |
✍ ईमान और जिहाद के बाद सबसे अफ़ज़ल अमल हज्जे मबरुर है:
हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि *रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा गया कि कौनसा अमल सबसे अफ़ज़ल है? तो आप ने फ़रमाया: अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाना, फिर पूछा गया कि उसके बाद कौनसा? तो आप ने फ़रमाया: अल्लाह की राह में जिहाद करना, फिर पूछा गया कि उसके बाद कौनसा? तो आप ने फ़रमाया: हज्जे मबरुर।*(सहीह बुख़ारी:26 सहीह मुस्लिम:83)
✍ हज गुनाहों के साथ ग़रीबी को भी दूर करता है:
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशाद है:
*تابعوا بين الحج والعمرة فإنهما ينفيان الفقر والذنوب كما ينفي الكير خبث الحديد والذهب والفضة*(سنن الترمذي:810)
*हज और उमरह करते रहा करो क्योंकि यह दोनों ग़रीबी और गुनाहों को वैसे ही दूर कर देते हैं जैसे भट्टी लोहे के ज़ंग और सोने चांदी के मेल कुचैल को दूर कर देती है।*
✍ हज बुज़्रुग, कमज़ोर और औरत का जिहाद है:
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशाद है:
*جهاد الكبير والضعيف والمرأة الحج والعمرة*(مسند أحمد:9459)
बुज़्रुग, कमज़ोर और औरत का जिहाद हज व उमरह है।
हाजी अल्लाह का मेहमान होता है और उसकी दुआ क़बूल होती है:
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशाद है:
الغازي في سبيل الله والحاج والمعتمر وفد الله، دعاهم فأجابوه وسألوه فأعطاهم*(صحيح الترغيب والترهيب:1108)
अल्लाह की राह में जिहाद करने वाले और हज व उमरह करने वाले अल्लाह के मेहमान होते हैं, अल्लाह ने उनको बुलाया तो आए और उन्होंने अल्लाह से मांगा तो उसने उनको अता फ़रमाया।*
*नोट:
मालूम हुआ कि तौफ़ीक़ देना अल्लाह के इख़्तियार में हैं और हाजी को हज व उमरह की तौफ़ीक़ देने वाला अल्लाह है और अल्लाह ही की तौफ़ीक़ से हज व उमरह पूरा होता है।
इसलिए यह समझना या कहना ग़लत है कि हुज़ूर या सरकार (यानी नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जिसको बुलाते हैं वही हज व उमरह और ज़ियारत को जाते हैं या जब हमारे फ़ुलां वली या पीर साहिब की आज्ञा होगी तब ही हम हज व उमरह और ज़ियारत को जा सकेंगे।
✍ हाजी जब हज के लिए रवाना होता है तो उसकी सवारी के हर क़दम पर एक नेकी लिखी जाती अहि और एक गुनाह माफ़ किया जाता है...(देखिए: सहीह जामे सग़ीर:1360)
✍ हाजी के गुनाह अगर रेत के ज़र्रों, या बारिश के क़तरों, या समुद्र की झाग के बराबर हों तो भी माफ़ कर दिए जाते हैं | (देखिए: सहीह तरग़ीब व तरहीबी:1112)
✍ अल्लाह हाजी को और वह जिनके लिए (हज के दौरान) दुआ करता है उन सब को माफ़ कर देता है | (देखिए: सहीह तरग़ीब व तरहीबी:1112)
................. जारी..............
आप का भाई:  इफ्तिख़ार आलम मदनी
इस्लामिक गाइडेंस सेंटर  जुबैल सऊदी अरब

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