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Islam Me Ek Se Jyada Biwiyaan Rakhne Ki Izazat Kyu? (Part 22)

QŪŘÃŇ'Ŝ ŤẸÃČĤŜĮŇĞ ĤŪMÃŇĮŤЎ
(28-03-19)
सवाल- एक से ज्यादा बीवियां रखने की इजाज़त क्यो?*************************
सवाल: मुस्लिमों को एक से ज़्यादा बीवियां रखने की इजाज़त क्यों है? यानी इस्लाम एक से ज़्यादा शादी करने की इजाज़त क्यों देता है।?????Part 22
अगर कोई मर्द किसी औरत को दूसरी बीवी का दर्जा देना चाहे; जो कि उसकी पहली बीवी को मंजूर न हो और ऐसी सूरत में यह अन्देशा हो किमर्द अपनी बीवी को तलाक़ देने पर आमादा हो जाए तो बीवी को चाहिये कि वो सौतन के मुद्दे पर समझौता कर ले। इसी तरह मर्द को चाहिये कि वो अपनी पहली बीवी को यक़ीन दिलाए कि उसके हुकूक़ में कोई हक़तलफ़ी नहीं होगी।*
अल्लाह के रसूल (सल्लल लाहु अलैहि व सल्लम) ने इर्शाद फ़र्माया,*
*'किसी औरत के लिये यह जाइज़ नहीं कि अपनी किसी (सौतन) बहन को तलाक़ देने की शर्त इसलिये लगाए ताकि उसके हिस्से का प्याला भी खुद उण्डेल ले. उसे वही मिलेगा जो उसके मुक़द्दर में होगा'
(बुख़ारी)
इस्लाम का नज़रिया इस मुद्दे पर एकदम स्पष्ट है। हर औरत के नसीब का रिज़्क़ निर्धारित है।
कोई औरत यह न सोचे कि सौतन के आ जाने से उसके खाने-खर्चे में कमी हो जाएगी अक्षर ऐसा होता है कि अगर कोई आदमी अच्छी नीयत से दूसरी शादी करता है तो अल्लाह तआला उसके घर में पहले से  ज़्यादा खुशहाली भर देता है। कुछ हदीषों में यह भी हवाला मिलता है कि शादी के बाद औरत अपने मर्द के लिये खुशहाली का ज़रिया बनती है।*
*बयान की गई तमाम तफ़सीलात का लब्बे-लुबाब (सारांश) को ध्यानपूर्वक पढ़िये और इस्लाम को बुरा कहने के बजाय उन पर गौर करें।*

01.मर्द को एक बीवी के होते हुए दूसरी-तीसरीया चौथी शादी करने की इजाज़त है लेकिन वह ऐसा तभी कर सकता है जब उन शर्तों को पूरा करे जो इस्लाम ने बीवियों के प्रति लाज़िम (अनिवार्य) की हैं।
02. जो कोई मर्द इस्लामी शर्तों को पूरा न कर सके या जिसमें इन्साफ़ करने की क्षमता न हो, वो एक ही बीवी पर बस करे, दूसरी के बारे सोचे नही
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