Ek Se Jyada Biwi Rakhne Ki Ijazat Islam Kyu Deta Hai? (Part 21)
सवाल एक से ज्यादा बीवियां रखने की इजाज़त क्यो
सवाल: मुस्लिमों को एक से ज़्यादा बीवियां रखने की इजाज़त क्यों है? यानी इस्लाम एक से ज़्यादा शादी करने की इजाज़त क्यों देता है।???
इसके अलावा मुस्लिम समाज में विधवा-तलाक़शुदा औरतों की हालत भी बहुत बुरी है। क्यों न हो; जब कुँआरी लड़कियों के लिये अच्छे रिश्ते जुटाना माँ-बाप के लिये दुश्वार है तो सय्यिबा (विधवा/तलाक़शुदा) के लिये बराबरी के और अच्छे रिश्ते कहाँ से आएंगे?
नतीजतन एक ओर जवाँ उम्र विधवाएं: विधवा पेंशन पाने के लिये सरकारी दफ्तरों में चक्कर काटती हुई देखी जा सकती हैं वहीं दूसरी ओर तलाक़शुदा औरतें पूरे-पूरे दिन फैमिली कोर्ट की दीवारें, इस उम्मीद में तकती रहती हैं कि कोर्ट उन्हें उनके तलाक़शुदा शौहर से गुज़ारा भत्ता दिला देगा
जिन कुँआरी लड़कियों को उचित रिश्ते न मिल रहे हों या दूसरे लफ़्ज़ों में यह कहा जाए कि उनके माँ-बाप उनके जोड़ का रिश्ता खरीद पाने में सक्षम न हो, उनका क्या किया जाए? इसी तरह जो औरतें कम उम्र में विधवा हो गई हों या उनके शौहरों ने उन्हें तलाक़ दे दी हो; तो वे क्या करें और उनके रिश्तेदार क्या करें? उनके नसीब को कोसें या उनके बेबस चेहरे को देख देखकर रंजीदा हों।
अगर किसी औरतं का शौहर मर जाए या उसका शौहर उसे तलाक़ दे दे तो दीगर औरतें उस पर अफ़सोस जताती है कि बेचारी के साथ बहुत बुरा हुआ। लेकिन जब ऐसी ही किसी औरत को सौकन बनाकर घर लाने से हर औरत कतराती है और तंगदिल हो जाती है। सारी हमदर्दी भूलकर एक औरत दूसरी औरत की दुश्मन बन जाती है।
आइये हम देखें कि इस्लाम इसके बारे में क्या कहता है?
कुरआन मजीद में अल्लाह तआला इर्शाद फ़र्माता है,
‘अगर किसी औरत को अपने शौहर की तरफ़ से ज़्यादती या बेरुख़ी का अन्देशा हो तो इस बात में कोई हरज नहीं है कि दोनों आपस में सुलह कर लें और सुलह करनाही बेहतर है; मन तंगदिली की ओर झुक जाते हैं।'
(अन् निसा : 128)
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