Islam Me Ek Se Jyada Biwi Rakhne Ki Ijazat Kyu Hai? (Part 20)
सवाल: मुस्लिमों को एक से ज़्यादा बीवियां रखने की इजाज़त क्यों है? यानी इस्लाम एक से ज़्यादा शादी करने की इजाज़त क्यों देता है।?????
अकेली औरत जब बुढ़ापे की उम्र को पहुँचती है तब उसे अपनी भूल का अहसास होता है लेकिन उस वक्त का अहसास करना उसके कोई काम नहीं आता। कई बार माँ-बाप भी ऐसी सूरतेहाल बनने के ज़िम्मेदार पाए जाते हैं। लड़की कह देती है कि अब मैं दोबारा शादी नहीं करूंगी,
पहली शादी करके मैंने कौनसी खुशी हासिल कर ली? और माँ बाप अच्छे और दीनदार रिश्ते सामने आने पर भी मौन साधकर बैठ जाते हैं।
इसके मुताल्लिक़ वे आगे लिखी गई हदीष पर गौर करें,
‘जब औरत के लिये ऐसा रिश्ता सामने आ जाए जिसके दीन अख़लाक़ को तुम पसन्द करते हो तो उससे निकाह कर दो वरना ज़मीन पर बड़ा फ़ित्ना और फ़साद पैदा हो जाएगा।' (तिर्मिजी)
*दूसरी सूरत पर अगर हम गौर करें तो पाएंगे कि इसके नतीजे भयानक सामने आए हैं। अच्छे रिश्तों की किल्लत होने के कारण मुस्लिम में भी दहेज प्रथा ने जड़ें जमा ली है। देश के कई इलाक़ों में शादी से पहले लड़के के घरवालों की तरफ से बाकायदा नक़द रुपयों, सामान, गाड़ी, घर आदि की मांग की जाती है और ये माँगें पूरी न किये जाने की सूरत में हज़ारों-लाखों लडकि अकेलेपन की ज़िन्दगी बिताने के लिये मजबूर हैं।*
کتابیں جیست کا رنگین باب بیت گیا
جہیز بن نہ سکا اور شباب بیت گیا
किताबे-जीस्त का रंगीन बाब बीत गया,
जहेज़ बन न सका और शबाब बीत गया।
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