Aala Hazrat Ahmad Rja Khan Sahab ka Fatwa
Jab Aala Hazrat Tajiya nikalne ya banane se Mana karte hai FIR India, Pakistaan aur Sari Duniya kee Barelavi Taziyadari Kyu karte hai?
Kya Muharram ka mahina gam aur matam ka mahina hai?
Taziyadari Karna Haraam hai.
Taziya Dekhna Bhi Haraam Hai.
Taziyadari Karna Haraam hai.
Taziya Dekhna Bhi Haraam Hai.
आला हज़रत अहमद रज़ा खां रहमातुल्ला साहब बरेलवी का फ़तवा
1- अलम, ताजिया, अबरीक, मेहंदी, जैसे तरीके जारी करना बिदअत है, बिदअत से इस्लाम की शान नहीं बढती, ताजिया को हाजत पूरी करने वाला मानना जहालत है, उसकी मन्नत मानना बेवकूफी,और ना करने पर नुकसान होगा ऐसा समझना वहम है, मुसलमानों को ऐसी हरकत से बचना चाहिये!
{हवाला : रिसाला मुहर्रम व ताजियादारी, पेज 59}
{हवाला : रिसाला मुहर्रम व ताजियादारी, पेज 59}
2. ताजिया आता देख मुहं मोड़ ले , उसकी तरफ देखना भी नहीं चाहिये!
{हवाला : इर्फाने शरीअत, पहला भाग पेज 15}
{हवाला : इर्फाने शरीअत, पहला भाग पेज 15}
3. ताजिये पर चढ़ा हुआ खाना न खाये, अगर नियाज़ देकर चढ़ाये या चढ़ाकर नियाज़ दे तो भी उस खाने को ना खाए उससे परहेज करें!
{हवाला : पत्रिका ताजियादारी ,पेज 11}
{हवाला : पत्रिका ताजियादारी ,पेज 11}
मसला : किसी ने पूछा हज़रत क्या फरमाते हैं?इन अमल के बारे में:-
सवाल 1- कुछ लोग मुहर्रम के दिनों में न तो दिन भर रोटी पकाते है और न झाड़ू देते है , कहते है दफ़न के बाद रोटी पकाई जाएगी!
सवाल 2- मुहर्रम के दस दिन तक कपड़े नहीं उतारते!
सवाल 3- माहे मुहर्रम में शादी नहीं करते!
अलजवाब:- तीनों बातें सोग की है और सोग हराम है
{हवाला : अहकामे शरियत ,पहला भाग, पेज 171}
{हवाला : अहकामे शरियत ,पहला भाग, पेज 171}
हज़रत मौलाना मुहम्मद इरफ़ान रिज्वी साहिब बरेलवी का फ़तवा!
ताजिया बनाना और उस पर फूल हार चढ़ाना वगेरह सब नाजायज और हराम है!
{हवाला :इरफाने हिदायत , पेज 9}
ताजिया बनाना और उस पर फूल हार चढ़ाना वगेरह सब नाजायज और हराम है!
{हवाला :इरफाने हिदायत , पेज 9}
हज़रत मौलाना अमजद अली रिज्वी साहिब बरेलवी का फ़तवा!
अलम और ताजिया बनाने और पीक बनने और मुहर्रम में बच्चों को फ़क़ीर बनाना बद्दी पहनाना और मर्सिये की मज्लिस करना और ताजियों पर नियाज़ दिलाने वगैरह खुराफ़ात है उसकी मन्नत सख्त जहालत है ऐसी मन्नत अगर मानी हो तो पूरी ना करें!
{ हवाला : बहारे शरियत , हिस्सा 9, पेज 35 , मन्नत का बयान }
ताजियादारी आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा बरेलवी की नज़र में!
ये ममनूअ् है, शरीअत में इसकी कुछ असल नहीं और जो कुछ बिदअत इसके साथ की जाती है सख्त नाजायज है, ताजियादारी में ढोल बजाना हराम है!
{हवाला : फतावा रिजविया , पेज 189, जिल्द 1, बहवाला खुताबते मुहर्रम }
ये ममनूअ् है, शरीअत में इसकी कुछ असल नहीं और जो कुछ बिदअत इसके साथ की जाती है सख्त नाजायज है, ताजियादारी में ढोल बजाना हराम है!
{हवाला : फतावा रिजविया , पेज 189, जिल्द 1, बहवाला खुताबते मुहर्रम }
क्या अब भी हमारे मुसलमान भाई ताजिया के जुलूस जैसी खुराफात से बचने की कोशिस नही करेंगे?
Bilkul sahi
ReplyDeleteIn bato se kuchh logo ko mirchi lagegi
ReplyDeleteRight
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