The Married women's Act Of England and Islam
The Married women's Act and Islam
Islam Ne Auraton kya Kya Huqooq diya hai?
Islam me Khawateen Ka Kya Muqam Hai?
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*इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल.)*
★अध्याय .२★ ⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙
*महान परिवर्तन*
इस प्रकार पैग़म्बरे-इस्लाम हृदयों में ऐसा ज़बरदस्त परिवर्तन करने में सफल हो गए कि सबसे पवित्र और सम्मानित समझे जानेवाले अरब ख़ानदानों के लोगों ने भी इस नीग्रो गुलाम की जीवन-संगिनी बनाने के लिए अपनी बेटियों से विवाह करने का प्रस्ताव किया।
इस्लाम के दूसरे ख़लीफ़ा और मुसलमानों के अमीर (सरदार) जो इतिहास में उमर महान (फ़ारूक़े आज़म) के नाम से प्रसिद्ध हैं, इस नीग्रो को देखते ही तुरन्त खड़े हो जाते और इन शब्दों में उनका स्वागत करते, ‘‘हमारे बड़े, हमारे सरदार आ गए।’’ धरती पर उस समय की सबसे अधिक स्वाभिमानी क़ौम, अरबों में क़ुरआन और पैग़म्बर मुहम्मद ने कितना महान परिवर्तन कर दिया था। यही कारण है कि जर्मनी के एक बहुत बड़े शायर गोयटे ने पवित्र क़ुरआन के बारे में अपने उद्गार प्रकट करते हुए एलान किया है- ‘‘यह पुस्तक हर युग में लोगों पर अपना अत्यधिक प्रभाव डालती रहेगी।’’ इसी कारण “जॉर्ज बर्नाड शॉ” का भी कहना है- ‘‘अगर अगले सौ सालों में इंग्लैंड ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप पर किसी धर्म के शासन करने की संभावना है तो वह इस्लाम है।’’
*इस्लाम: नारी-उद्धारक*
इसलाम की यह लोकतांत्रिक विशेषता है कि उसने स्त्री को पुरुष की दासता से आज़ादी दिलाई। “सर चाल्र्स ई.ए. हेमिल्टन” ने कहा है- ‘‘इस्लाम की शिक्षा यह है कि मानव अपने स्वभाव की दृष्टि से बेगुनाह है। वह सिखाता है कि स्त्री और पुरुष दोनों एक ही तत्व से पैदा हुए, दोनों में एक ही आत्मा है और दोनों में इसकी समान रूप से क्षमता पाई जाती है कि वे मानसिक, आध्यात्मिक और नैतिक दृष्टि से उन्नति कर सकें।’’
*स्त्रियों को सम्पत्ति रखने का अधिकार*
अरबों में यह परम्परा सुदृढ़ रूप से पाई जाती थी कि विरासत का अधिकारी तन्हा वही हो सकता जो बरछा और तलवार चलाने में सिद्धस्त हो। लेकिन इस्लाम अबला का रक्षक बनकर आया और उसने औरत को पैतृक विरासत में हिस्सेदार बनाया। उसने औरतों को आज से सदियों पहले सम्पत्ति में मिल्कियत का अधिकार दिया। उसके कहीं बारह सदियों बाद 1881ई. में उस इंग्लैंड ने, जो लोकतंत्र का गहवारा समझा जाता है, इस्लाम के इस सिद्धान्त को अपनाया और उसके लिए ‘दि मैरीड वीमन्स एक्ट’ (विवाहित स्त्रियों का अधिनियम) नामक क़ानून पास हुआ। लेकिन इस घटना से बारह सदी पहले पैग़म्बरे-इस्लाम यह घोषणा कर चूके थे- ‘‘औरत-मर्द युग्म में औरतें मर्दों का दूसरा हिस्सा हैं। औरतों के अधिकार का आदर होना चाहिए।’’ ‘‘ इस का ध्यान रहे कि औरतें अपने निश्चित अधिकार प्राप्त कर पा रही हैं (या नहीं)।’’…
जारी है………
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प्रोफ़ेसर के.एस.रामा कृष्णा राव
भूतपूर्व अध्यक्ष, दर्शण-शास्त्र विभाग राजकीय कन्या विद्यालय,मैसूर (कर्नाटक)
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