Kaisi Kasam Kha Sakte hai?
Quran Majeed ka Tarjuma Para 07
पारा – 7, ख़ुलासा क़ुरआन
क़ुरआन-ए-मजीद का पैग़ामे अमल
डॉ. मुहिउद्दीन ग़ाज़ी
अल्लाह के नेक बंदों की शान यह होती है कि
जब क़ुरआन की आयतें सुनते हैं
तो हक़ जानने की ख़ुशी में उनकी आँखों से आँसू जारी हो जाते हैं,
वे बेसाख़्ता पुकार उठते हैं,
ऐ हमारे रब!
हम तुझ पर ईमान लाए,
तू हमें हक़ के गवाहों में लिख ले।
अल्लाह ने तुम्हें हलाल और बेहतरीन रिज़्क़ अता किया है,
उसे खाओ और अल्लाह की नाराज़गी से बचो,
आगाह रहो कि
हलाल और पाकीज़ा चीज़ों को हराम कहना भी जुर्म है।
ग़लत बात की क़सम मत खाओ
और क़सम खाली है
तो उस पर अमल न करो
और उसका कफ़्फ़ारा अदा करो
और ग़लत क़समें खाने से परहेज़ करो।
शराब, जुआ, और पाँसे के तीर
सब गंदे और शैतानी काम हैं,
इनसे दूर रहो।
शैतान चाहता है कि
इस तरह तुम्हारे दरमियान दुश्मनी और कीना (अदावत) पैदा हो जाए
और अल्लाह के ज़िक्र और नमाज़ से तुम्हें ग़ाफ़िल कर दे।
अल्लाह और उसके रसूल की बात मानो
और एहतियात करो।
ईमान की हिफाज़त करो,
नेक काम करो,
अल्लाह की नाराज़गी से बचो
और बेहतर से बेहतर तरीक़ा इख़्तियार करो।
हराम महीनों में ख़ुश्की का शिकार न करो,
इसमें तुम्हारा इम्तिहान है,
इससे साबित होता है कि
बंदे अल्लाह से कितना डरते हैं,
अल्लाह सामने नहीं है
फिर भी उससे कितना डरते हैं।
पाक चीज़ों से दिलचस्पी रखो
और नापाक चीज़ों से परहेज़ करो,
इन दोनों के फ़र्क़ को समझने की कोशिश करो,
इस तरह अल्लाह की नाराज़गी से बचे रहोगे।
अल्लाह ने जिन चीज़ों का ज़िक्र नहीं किया है,
उनकी कुरेद में न पड़ो,
अल्लाह ने जो बताया है
उस पर ध्यान दो,
इसी में तुम्हारी भलाई है।
जानवरों को देवताओं के नाम पर आज़ाद छोड़ देने का हुक्म
अल्लाह ने नहीं दिया है,
यह अल्लाह पर झूठ बांधना है,
याद रखो दीन वह है
जो अल्लाह की किताब में है,
दीन वह नहीं है
जो तुम्हारे बाप-दादा से तुम्हें मिला है।
अपने ईमान की हिफाज़त करो,
दूसरों की गुमराही तुम्हें सीधे रास्ते से न हटा दे।
वसीयत के सिलसिले में मोहतात (होशियार) रहो।
अगर तुम किसी वसीयत के गवाह हो
तो अपनी गवाही का सौदा मत करो,
और न गवाही को छिपाओ
चाहें इससे तुम्हारे किसी रिश्तेदार का फ़ायदा क्यों न जुड़ा हो,
देखो अल्लाह की नाराज़गी से बचो, और अल्लाह की बात सुनो।
ईसा की पुकार पर हवारी (हज़रत ईसा अलैहि. के पैरोकार) दौड़ पड़े,
तुम भी अपने नबी के साथ यही तरीक़ा अपनाओ।
ईसा ने तौहीद की दावत दी थी,
लेकिन उनके बाद के लोगों ने
ख़ुद उनको माबूद (पूज्य) बनाकर अल्लाह के साथ शिर्क किया,
तुम इस फ़ितने से अल्लाह की पनाह माँगो।
हमेशा याद रखो कि
तुम अल्लाह की निगरानी में हो,
सच्चाई का रास्ता इख़्तियार करोगे
तो बहुत बड़ी कामयाबी मिलेगी।
अल्लाह की हम्द (तारीफ़) करो,
उसने आसमान और ज़मीन पैदा किए हैं,
उसी ने अंधेरे उजाले बनाए हैं,
इसके बाद शिर्क की क्या गुंजाइश रह जाती है।
उसी ने तुमको मिट्टी से बनाया
और तुम्हारी मौत का दिन तय किया,
फिर शक की गुंजाइश कहाँ बचती है।
आसमान और ज़मीन उसकी निगरानी में हैं,
वह तुम्हारे बातिन (छुपे)
और ज़ाहिर (खुले) सब को जानता है,
तुम्हारी सारी कमाई उसके इल्म में है,
और फिर उससे बेखौफ़ कैसे रह सकते हो।
अल्लाह की निशानियाँ हर तरफ़ बिखरी हुई हैं,
तुमसे कहीं ज़्यादा ताक़तवर क़ौमों के बुरे अंजाम की तारीख़ (इतिहास) गवाही दे रही है,
फिर भी हक़ को झुठलाना
और अल्लाह की आयतों का मज़ाक़ उड़ाना कहाँ की अक़्लमंदी है,
झुठलाने वाले हर हाल में झुठलाएँगे,
मज़ाक़ उड़ाने वाले
हर दौर में मज़ाक़ उड़ाते रहे हैं,
तुम उन सब से बेपरवाह होकर,
तौहीद (एकेश्वरवाद) का पैग़ाम सुनाते रहो।
सारी मुखालिफ़त के जवाब में
तुम कह दो कि
मैं शिर्क नहीं कर सकता,
मैं ख़ालिस (विशुद्ध) ख़ुदा परस्ती में सबसे आगे रहूँगा,
मुझे बड़े दिन के अज़ाब से डर लगता है,
मैं अपने रब कि नाफरमानी नहीं कर सकता।
तुम हर तरह के शिर्क से इनकार का एलान कर दो
और कह दो कि
सबसे बड़ी गवाही तो अल्लाह की गवाही है,
उसी ने यह क़ुरआन भेजा है
और मुझे हुक्म मिला है कि
इसके ज़रिए लोगों को ख़बरदार कर दूँ।
देखो
बहुत बड़ा ज़ुल्म यह है कि
अल्लाह की तरफ़ कोई झूठ बात जोड़ी जाए,
और यह भी बहुत बड़ा ज़ुल्म है कि
अल्लाह की तरफ़ से जो दीन आया है उसे झुठलाया जाए।
अल्लाह के साथ शिर्क करने वाले
और अल्लाह की आयतें झुठलाने वाले
जब अपने रब के सामने खड़े किए जाएंगे,
तो उनका क्या हाल होगा...?
और जब वे जहन्नम की आग के पास खड़े किए जाएंगे
तो उनकी क्या कैफ़ियत होगी...?
जब वह घड़ी सामने आ जाएगी
तो उन्हें अपने किए पर कितना अफ़सोस होगा।
ऐसे सब लोगों के लिए
दुनिया ही में अपनी रविश (तरीक़ा) दुरुस्त कर लेने का मौक़ा है,
बाद में चिल्लाना-चीख़ना कुछ काम नहीं आएगा।
तुम्हारी दावत को लोग झुठलाएँगे,
इसका ग़म न करो,
सब्र के साथ अपना काम करते रहो,
दावत के नतीजों के लिए जल्दबाज़ी न करो,
लोग जल्दी से हिदायत क़ुबूल कर लें,
इस तमन्ना में कभी ऐत'दाल की राह (दरमियानी रास्ता) से मत हट जाना।
लोगों को
हिकमत के साथ
इस तरह दावत दो कि
वह कुछ सोचने पर मजबूर हो जाएँ,
उन्हें अच्छाई का अच्छा अंजाम बताओ,
और बुराई के बुरे अंजाम से बाख़बर कर दो,
बताओ कि
उन्हें अल्लाह पर ईमान लाना है
और उसी की बंदगी में अपनी जिंदगी गुज़ारनी है,
ऐसा करके
वह हर खौफ़
और हर ग़म से महफ़ूज़ हो जाएंगे।
जो लोग अल्लाह पर ईमान ले आएं,
उन्हें अपनी पलकों पर बिठाओ,
लोगों की बातों में आकर
उन्हें अपने से दूर मत करो,
वे अल्लाह के शुक्र गुज़ार बंदे हैं,
अल्लाह के नजदीक उनका मक़ाम बहुत ऊँचा है।
ईमान लाने वालों को
सलामती का पैग़ाम दो,
अगर उनसे नादानी में कोई गुनाह हो जाए
तो उनको हिम्मत बंधाओ कि
तुम तौबा कर लो
और अपनी ग़लती दुरुस्त कर लो,
अल्लाह की रहमत तुम्हारा इंतिज़ार कर रही है।
तौहीद (एकेश्वरवाद) की दावत देने के लिए
दलीलों का ख़ज़ाना पूरी कायनात (ब्रह्मांड) में रौशन निशानियों की शक्ल में हर तरफ़ बिखरा हुआ है,
उनसे फ़ायदा उठाओ,
लोगों को ग़ौर व फ़िक्र पर आमादा करो,
और जो लोग अक़्ल पर ताला डालकर,
सिर्फ़ कट-हुज्जती (निरर्थक बहसें) करें, उनसे बचो।
हक़ के दुश्मन
तुम्हें दीन से फेरने की कोशिश करेंगे,
लेकिन तुम साफ़ कह दो कि
हम ऐसी नासमझी काम नहीं करेंगे,
हिदायत तो बस अल्लाह की हिदायत है,
वह हमें मिल गई है,
अब तो हम
बस कायनात के मालिक के आगे
अपने सर को झुकाएँगे,
नमाज़ क़ायम करेंगे
और अल्लाह की नाराजगी से बचने की कोशिश करेंगे।
इब्राहीम के किस्से पर ग़ौर करो,
कितने दिलनशीं अंदाज़ में
कायनात की निशानियों के हवाले से
क़ौम को तौहीद की दावत दी।
दावत-ए-दीन की राह में
बहुत डरावे मिलेंगे,
लेकिन जिसके दिल में ईमान बस जाता है
वह किसी से नहीं डरता।
दुनिया में कुफ़्र और शिर्क के अलंबरदारों से न डरो,
तुम्हारे सामने
नबियों का वह मुबारक सिलसिला है
जो सीधे रास्ते पर थे,
जिनकी ज़िंदगी निहायत ख़ूबसूरत ज़िंदगी थी,
जो नेकियों का पैकर थे,
जिन्हें अल्लाह ने सारे इन्सानों पर फ़ज़ीलत (वरीयता) अता की थी,
बस उन्हीं का रास्ता इख़्तियार करो।
तुम्हारे पास यह मुबारक किताब है,
इसके ज़रिए लोगों को ख़बरदार करो,
जो आख़िरत की फ़िक्र करते हैं
और जिन्हें अपनी नमाज़ों की क़ुबूलियत का ख़याल है,
वे इससे फ़ायदा उठाएंगे।
यह लोग
अल्लाह के अलावा जिन देवताओं को पूजते हैं,
उन्हें गलियाँ मत दो,
ऐसा न हो कि
वह हद से आगे बढ़कर
बे जाने-बूझे
अल्लाह को गालियां देने लगें।
दीन की दावत
एक पाकीज़ा अमल है,
उसकी पाकीज़गी का ख़याल रखो।
अनुवाद : तय्यब अहमद
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