Jo log Nikah ki Istatat nahi Rakhte wah Roza rakhe.
*सहीह बुखारी शरीफ*
*किताबुस्सोम*
*रोजे के बयान में*
*हदीस नंबर 1905*
*बाब:--- जो आदमी जवानी की वजह से बदकारी का डर रखे, तो वह रोजे रखे।
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अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि. से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ थे। आपने फरमाया जो आदमी निकाह की कुदरत रखता हो, वह निकाह करे। क्योंकि यह आदमी की निगाह को नीचा रखता है और शर्मगाह को बदकारी से बचाता है और जो आदमी इसकी कुदरत न रखता हो वह रोजा रखे, क्योंकि यह उसके लिए खस्सी करने का हुक्म रखता है। यानी कुव्वत शहवानिया (सैक्सी ताकत) कमजोर कर देता है।
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वजाहत :-- चन्द रोजे रखने के बाद शोहवत के कमजोर होने का अमल शुरू होता है, क्योंकि शुरू में हरारते गरिजी के जोश से शोहवत ज्यादा मालूम होती है।
(औनुलबारी, 2/775)
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