Quran Majeed Tarjuma Hindi me Para 8
पारा – 8, ख़ुलासा क़ुरआन
क़ुरआन-ए-मजीद का पैग़ामे अमल
डॉ. मुहिउद्दीन ग़ाज़ी
शैतान
इंसानों में भी होते हैं
और जिन्नों में भी,
उनकी ख़ुशनुमा बातों से
धोखा न खाओ,
ये नबियों के दुश्मन होते हैं
और अपनी ख़ुशनुमा बातों से लोगों को धोखा देते हैं।
तुम अल्लाह के फ़ैसले पर राज़ी रहो,
और उसकी किताब को थामे रहो,
उसमें हक़ है,
मुकम्मल सच्चाई (सम्पूर्ण सत्य)
और इंसाफ़ है,
उसकी बातों को कोई बदल नहीं सकता है।
दुनिया वालों की बातों में न आओ,
ये तुम्हें गुमराह कर देंगे
ये महज़ गुमान की पैरवी करते हैं,
और तुम्हारे पास यक़ीन की रोशनी है।
जिन हलाल जानवरों पर अल्लाह का नाम लिया जाए उन्हें इतमिनान से खाओ
और उन्हें हराम मत समझो।
गुनाह मत कमाओ,
खुले गुनाहों से भी बचो
और छुपे गुनाहों से भी।
जिन जानवरों पर अल्लाह का नाम न लिया जाए
उन्हें मत खाओ।
शैतानों की बातें मत सुनों
वे तुम्हें शिर्क में धकेल देंगे।
तुम ज़िंदगी की हक़ीक़त (वास्तविकता) से नाआशना (अनभिज्ञ) थे,
अल्लाह ने तुम्हें अपनी किताब देकर ज़िंदगी अता कर दी,
अब तुम लोगों के दरमियान रौशनी के साथ चल रहे हो
जबकि दूसरे लोग अँधेरों में भटक रहे हैं।
अल्लाह की इस नेमत का शुक्र अदा करो
और उसका हक़ अदा करो।
इन्सानो...!
अल्लाह ने तुम्हारे लिए बेशुमार बाग़ उगाए,
तुम उनके फल खाओ,
और कटाई के वक़्त
उनका हक़ अदा करो
और हद से आगे न बढ़ो।
अल्लाह ने तुम्हारे लिए मवेशी पैदा किए हैं,
यह अल्लाह का दिया हुआ रिज़्क़ है,
उन्हें इतमिनान से खाओ
और शैतान के बहकावे में मत आओ।
उन तमाम चीजों को हलाल समझो, जिन्हें अल्लाह ने हलाल किया है।
उनमें से कुछ चीज़ें
यहूदियों पर, उनकी सरकशी की वजह से हराम कर दी गई थीं,
तुम अल्लाह के मुक़ाबले में सरकशी न करो।
अल्लाह के साथ किसी को शरीक न करो,
माँ-बाप के साथ बेहतर सुलूक (व्यावहार) करो,
अपनी औलाद को मुफ़लिसी (ग़रीबी) के डर से क़त्ल न करो,
हम तुम्हें भी रोज़ी (रिज़्क़) देते हैं,
और उन्हें भी देंगे।
बेशर्मी खुली हो
या छुपी, उसके क़रीब मत जाओ।
जिस जान को अल्लाह ने मोहतरम क़रार दिया है
उसे नाहक़ क़त्ल न करो।
यतीमों (अनाथों) के माल की बेहतर देख-रेख करो,
उसे बुरी नज़र से मत देखो।
नाप-तौल में कमी न करो,
जब बात कहो
इंसाफ़ की कहो
चाहें मामला अपने रिश्तेदार का ही क्यों न हो।
अल्लाह के अहद को पूरा करो,
अल्लाह का रास्ता सीधा रास्ता है,
बस उसी पर चलो।
उसका रास्ता छोड़कर
किसी और रास्ते पर न चलो,
वरना अल्लाह के रास्ते से दूर भटकते रहोगे।
ये अल्लाह की नसीहतें हैं,
इन पर अमल करोगे
तो अल्लाह की नाराज़गी (अज़ाब) से बच जाओगे।
अल्लाह की किताब
बरकत वाली किताब है,
इसमें रौशन दलील है,
हिदायत (मार्गदर्शन) और रहमत है,
इस पर अमल करो
और तक़वा (परहेज़गारी) की रविश इख़्तियार करो।
याद रखो
जो अल्लाह के पास नेकी लेकर जाएगा
उसे दस गुना बदला मिलेगा
और जो बुराई लेकर जाएगा
उसे बुराई का ही बदला मिलेगा।
तय कर लो
तुम्हें सीधे रास्ते पर ही चलना है,
उस दीन पर अमल करना है
जो बिलकुल ठीक दीन है,
इब्राहीम जिस तरह अपने रब की तरफ़ यकसू (एकाग्रचित्त) थे
उसी तरह यकसू हो जाना है।
तुम्हारी नमाज़,
तुम्हारी क़ुरबानी,
तुम्हारा जीना
और तुम्हारा मरना
सब कुछ अल्लाह के लिए हो
और ख़ुदा की ख़ालिस (विशुद्ध) बंदगी (इबादत) में तुम सबसे आगे रहो।
तुम्हारे पास अल्लाह की किताब है,
तुम्हारे दिल में उससे कोई उलझन न रहे,
उसके ज़रिये लोगों को ख़बरदार करो
और ख़ुद याद'दिहानी हासिल करो।
उसी की पैरवी करो,
रब को छोड़कर
दूसरों को सरपरस्त न बनाओ,
और रब की किताब को छोड़कर,
दूसरों की रहनुमाई (मार्गदर्शन) क़ुबूल न करो।
आख़िरत की तैयारी करो,
उस दिन सबके आमाल ठीक-ठीक तौले जाएंगे,
जिनके आमाल में वज़न होगा
वही कामयाब होंगे,
सो तुम वज़नी आमाल का एहतिमाम करो।
अल्लाह ने तुमको
ज़मीन में इख़्तियारात (अधिकारों) के साथ
ख़ुसूसी तौर पर बसाया है,
तुम्हें जीने का समान दिया,
फ़रिश्तों के ज़रिये
तुम्हारा सम्मान किया,
इस पर अल्लाह का शुक्र अदा करो,
और अपनी ज़िम्मेदारियाँ अदा करो।
तकब्बुर (घमंड) करने वालों के लिए
अल्लाह के यहाँ कोई जगह नहीं।
इबलीस की मिसाल
तुम्हारे सामने रहे,
तकब्बुर (घमंड) से दिल को पाक रखो,
शैतान तुम्हारा पुराना दुश्मन है,
उसने तुम्हें बहकाने का तहय्या (प्रण) कर रखा है,
उससे हमेशा होशियार रहो,
उसने तय किया है कि
तुमसे नाशुक्री करवाएगा,
रब की नाशुक्री तबाही का रास्ता है,
नाशुक्री से बचो
और शुक्रगुज़ारी के रास्ते तलाश करो।
बहकाने वाले
हमेशा ख़ैरख़्वाही के भेस में आते हैं,
सब्ज़बाग़ दिखाते हैं
और क़समें खाते हैं,
तुम बहकाने वालों से कभी धोखा मत खाओ,
इबलीस ने किस-किस तरह आदम और हव्वा को बहकाया,
उससे सबक़ हासिल करो।
जैसे ही ग़लती का एहसास हो जाए,
आदम और हव्वा की तरह फ़ौरन तौबा करो,
इबलीस की तरह ग़लती पर ढिठाई का रास्ता मत इख़्तियार करो।
यह दुनिया आरज़ी (अस्थाई) है,
इस दुनिया में ख़ैर (भलाई)
और शर (बुराई) की जंग हमेशा जारी रहेगी,
न शर से समझौता करो
और न दुनिया को अब्दी (स्थायी) समझो।
अल्लाह ने तुम्हें लिबास की नेमत अता की है,
यह तुम्हारा इम्तियाज़ है,
तुम बेलिबासी मत इख़्तियार करो।
याद रखो
तक़वा बेहतरीन लिबास है,
इससे शख़्सियत बे-ऐब
और ख़ूबसूरत हो जाती है,
इस लिबास को हमेशा साथ रखो।
शैतान और उसके साथी
तुम्हें उस नज़र से देखते हैं
जिस नज़र से तुम उन्हें नहीं देखते,
इसलिए उनसे बेइंतिहा होशियार रहो।
तुम अपने ईमान की हिफ़ाज़त करो,
तुम्हारा ईमान
शैतानों से तुम्हारी हिफ़ाज़त करेगा।
याद रखो
अल्लाह बेहयाई की बातों का हुक्म नहीं देता
और इंसाफ़ का हुक्म देता है,
जहाँ भी
बेहयाई और नाइंसाफ़ी नज़र आए,
समझ जाओ कि
यहाँ शैतान की कोई चाल है,
हर तरह की बेहयाई
और नाइंसाफ़ी से दूर रहो,
हर इबादत में अपना रुख़ सही रखो,
और ख़ालिस (विशुद्ध) अल्लाह की बंदगी करो।
हर इबादत के मौक़े पर
लिबास, जो तुम्हारी ज़ीनत (ख़ूबसूरती) है,
उससे अपने आप को सजाओ,
पाकीज़ा रोज़ी (रिज़्क़) खाओ
और फ़िज़ूलख़र्ची से बचो,
पाकीज़ा रिज़्क़ और लिबास,
अल्लाह की नेमतें हैं,
उनसे ख़ुद को महरूम न करो
और न उन्हें हराम ठहराओ।
बेशर्मी, खुली हो या छुपी,
वह हराम है,
गुनाह और नाहक़ ज़्यादती हराम है,
अल्लाह के साथ शिर्क हराम है
और बे जाने-बूझे
अल्लाह की तरफ़ कोई बात मनसूब करना हराम है।
दुनिया में कोई कितना ही बड़ा पीर या रहनुमा हो,
उसके कहने पर ग़लत रास्ता इख़्तियार मत करो,
क़यामत के दिन ये सब हाथ उठा लेंगे।
ईमान वालों को
उनके अच्छे आमाल के बदले में जन्नत मिलेगी।
इसलिए जितना ज़्यादा हो सके
अच्छे आमाल का ज़ख़ीरा जमा करते रहो।
अल्लाह ने
रसूल के साथ हक़ भेज कर
सीधा रास्ता दिखाया है,
इस नेमत की क़द्र करो।
दीन को
खेल और तफ़रीह मत बनाओ,
आख़िरत के दिन को मत भूलो,
किसी सिफ़ारिश के भरोसे से न रहो,
ज़्यादा से ज़्यादा अमल की फ़िक्र करो।
अपने रब को पुकारो
गिड़गिड़ाते हुए और चुपके-चुपके,
अल्लाह ने जो हदें तय की हैं,
उनकी पाबंदी करो,
उनसे आगे मत बढ़ो,
ज़मीन में इस्लाह (सुधार) का काम करो,
फ़साद बरपा न करो।
अल्लाह को पुकारो
उसी से डरते हुए
और उसी से उम्मीद लगा कर,
अच्छी से अच्छी
साफ़-सुथरी ज़िंदगी इख़्तियार करो।
अच्छी ज़मीन की तरह बनो
जो बारिश से फ़ायदा उठती है
और ख़ूब फल-फूल लाती है।
शुक्रगुज़ार बनो
और अल्लाह की किताब से अपनी ज़िंदगी को ख़ुशनुमा बनाओ।
तमाम नबियों ने
तौहीद (एकेश्वरवाद) की दावत दी,
तुम भी तौहीद (एकेश्वरवाद) की दावत के अलंबरदार बनो।
नबियों की रुदाद से
सबक़ हासिल करो,
वह कितनी ज़िम्मेदारी के साथ
रब का पैग़ाम पहुंचाते,
अपनी क़ौम की ख़ैरख़्वाही में बेक़रार रहते,
उनकी मुख़ालिफ़तों (विरोध) पर सब्र करते
और उन्हें हर तरह से समझाने की कोशिश करते,
नबियों के रास्ते पर चलने का पक्का इरादा करो।
अनुवाद : तय्यब अहमद
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