Kahi India Ko bhi Spaain To Nahi Banaya Ja Raha Hai?
Agar Hindustan Ko Hachana hai to Musalmanon ko Bachao.
India me Muslimo ke Sath kya ho raha hai NRC ke Jariye?
Kya Yaha bhi Spain Wala Modal to nahi apnaya Ja Raha Hai?
Sadhwi Pragya Thakur, B.J.P Leader |
स्पेन दोहराया जा रहा है हिन्दुस्तान में मुस्लिम मुक्त भारत कैसे बनाया जाय?
(दलित वाइस , एडिटोरियल 16-3- 1999)
मुसलमान 712 AD से 1492 तक लगभग 780 साल स्पेन के शासक रहे , मगर अब वहां कोई मुस्लिम नहीं है, जबकि स्पेन के हर जिन्दगी के शोबे में इस्लाम की झलक है।स्पेन की भाषा में अरबी शब्द हैं, इसके संगीत में अरबी धुन हैं, स्पेन का कल्चर में, यूरोप से ज्यादा अरबों का असर पाया जाता है। स्पेन की भाषा में अरबी का "अल" उपसर्ग अक्सर मिलता है । जब 1492 में स्पेन का आखिरी मुस्लिम सूबा ग़रनाता , हाथ से निकल गया , तब 120 साल बाद 1612 में , आखिरी मुस्लिम काफ़िला स्पेन को छोड़ते ही , स्पेन मुस्लिमों से खाली हो गया।
इस पर एक मार्के की बात यह है कि , जब स्पेन से मुसलमान हिजरत कर रहा था , तब लगभग सारे सिविलाइज्ड दुनियां पर मुस्लिम शासन था । उस्मानी खिलाफत ने कुस्तुनतुनियां पर कब्जा़ कर लिया था, अब्बासीद खलीफा ईरान पर हाकिम था, मुग़ल भारत पर हुकमरां थे, बावजूद इसके स्पेन से मुस्लिमो कि हुकूमत खत्म हो गई, मगर किसी मुस्लिम मुल्क ने इसे बचाने की कोई कोशिश नहीं की। स्पेन की कहानी को हिन्दू नाज़ियों (आर एस एस ) ने 1930-40 में गौर से पढा, ताकि ये इण्डिया में भी यह दोहरा सकें ,
मुसलमानों ने भी इस मामले को समझने की कोशिश की ताकि हिन्दू नाज़ियो (RSS) के मनसूबे को फेल किया जा सके, 1981 की जनगणना में मुस्लिम 11.35% आबादी रखते हुए एक बडा़ अल्पसंख्यक वर्ग है जो हिन्दू नाज़ी के उच्च जाति के लिये एक बडा़ सिर दर्द है। मगर आज के मुसलमान बिल्कुल इन बातों से अनजान हैं।
यह लेखन इस मसले पर एक छोटा सी कोशिश है , मुस्लिम स्कोलर्स को इस पर और अध्ययन करना चाहिये और आम मुस्लिम के सामने इसे लाना चाहिये।
यह लेखन इस मसले पर एक छोटा सी कोशिश है , मुस्लिम स्कोलर्स को इस पर और अध्ययन करना चाहिये और आम मुस्लिम के सामने इसे लाना चाहिये।
Delhi Riots |
भारत की तरह ही ,स्पेन में भी तीन कैटेगरी के मुसलमान थे।
(1)मूल अरबों के उत्तराधिकारी
(2)अरब बाप और स्पेनिश मां के बच्चे
(3) इस्लाम में आये क्रिश्चन ।
(1)मूल अरबों के उत्तराधिकारी
(2)अरब बाप और स्पेनिश मां के बच्चे
(3) इस्लाम में आये क्रिश्चन ।
ग़रनाता की हार के फौरन बाद ओरिजनल अरबी नस्ल , अपनी जान बचाने , मराकश और ट्युनिसीया हिजरत कर गये , क्योंकि उन्हें सम्पत्ति रखने का अधिकार भी नहीं था, जिनमें से कई रास्ते में शहीद हो गये , जिन पर क्रिश्चन लुटेरों ने हमला कर दिया । बचे अरब नजा़द लोग जो स्पेन में रह गये वो विदेशी करार दिये गये और उन्हें देश का लुटेरा कहा जाने लगा ( जैसा भारत में हो रहा है N R C के जरिए)
दूसरे और तीसरे कैटगरी ( अरब बाप और स्पेनी मां के सन्तान , और लोकल क्रिश्चन से कनवर्टेड मुस्लिम) स्पेन में रहने को पसंद किये , फर्डिनन्ड के इस वादे को यकीन कर कि सब को पूरी मज़हबी आजा़दी मिलेगी ( भारत में भी 1947 में यही यक़ीन दिलाया गया, कि पूरी मज़हबी आजा़दी मिलेगी और अल्पसंख्यकों को अधिकार मिलेगा)
शुरुआती दिनों में क्रिश्चनों ने इन मुसलमानों पर जो हमले किये उसे अस्थायी दौर कह कर माफ कर दिया गया ( भारत में भी 1947 के मुस्लिम के विरुद्ध फसादात की तुलना इससे की जा सकती है)
मगर स्पेन में ये हमले रुके नहीं , कुछ वक़्त छोड़कर बीच बीच में लगातार यह हमले 50 साल तक जारी रहे , कुछ हमलों का प्रतिकार मुसलमानों ने भी किया , गली मुहल्ले में लडा़ई हुए , मगर बाद में यह एक तरफा हो गये , और मुसलमानों को ही नुकसान उठाना पडा़ । पुलिस भी क्रिश्चनों का साथ देने लगी।
( भारत में भी हाल के दिनों में पुलिस भी मुसलमानों को मारने में शामिल है मसलन गुजरात दंगा 2002, हाल ही में हुए दिल्ली हिंसा जिसमें मस्जिद को भी जला दिया गया 24 अप्रैल 2020)
मगर स्पेन में ये हमले रुके नहीं , कुछ वक़्त छोड़कर बीच बीच में लगातार यह हमले 50 साल तक जारी रहे , कुछ हमलों का प्रतिकार मुसलमानों ने भी किया , गली मुहल्ले में लडा़ई हुए , मगर बाद में यह एक तरफा हो गये , और मुसलमानों को ही नुकसान उठाना पडा़ । पुलिस भी क्रिश्चनों का साथ देने लगी।
( भारत में भी हाल के दिनों में पुलिस भी मुसलमानों को मारने में शामिल है मसलन गुजरात दंगा 2002, हाल ही में हुए दिल्ली हिंसा जिसमें मस्जिद को भी जला दिया गया 24 अप्रैल 2020)
स्पेन में संगठित क्रिश्चन गिरोह , मुसलमानों का कत्ल कर रहे थे और फर्डीनन्ड ने मुसलमानों को पब्लिक स्पेस से बेदखल करना शुरु कर दिया , उसने निम्नलिखित काम करना शुरु किया
*अरबी को सरकारी काम काज से हटा दिया।*
*मस्जिदों से लगे स्कूल में , हिसाब, सांइस , इतिहास (तारीख) , दर्शन शास्त्र की पढा़ई बन्द करवादी , सिर्फ मज़हबी पढाई करने का आदेश दिया ।*
*इतिहास को तोडा़ मरोडा़ गया ,और मुसलमानों को जा़लिम और लुटेरा, बदमाश, अय्याश दिखाया गया , स्पेन में मुसलमानो के योगदान को पुस्तकों से हटा दिया गया ।*
*मुसलमानो के घर और मस्जिदों की लगातार तलाशी ली जाती ,कि वहां हथियार जमा हैं और गुप्त मिटिंग चल रही है ।*
*मूल अरबी मुस्लिमों को , क्रिश्चन का दुशमन और देश को बर्बाद करने वाला बताया जाने लगा ।*
*क्रिश्चन से मुस्लिम बने के सन्तानों को कहा गया कि उनके बाप दादा को डरा धमका कर मुसलमान बनाया गया था , और अब कोई डराने वाला है नहीं ,इसलिये वे फिर से क्रिश्चन बन जायें।*
*मस्जिदों से लगे स्कूल में , हिसाब, सांइस , इतिहास (तारीख) , दर्शन शास्त्र की पढा़ई बन्द करवादी , सिर्फ मज़हबी पढाई करने का आदेश दिया ।*
*इतिहास को तोडा़ मरोडा़ गया ,और मुसलमानों को जा़लिम और लुटेरा, बदमाश, अय्याश दिखाया गया , स्पेन में मुसलमानो के योगदान को पुस्तकों से हटा दिया गया ।*
*मुसलमानो के घर और मस्जिदों की लगातार तलाशी ली जाती ,कि वहां हथियार जमा हैं और गुप्त मिटिंग चल रही है ।*
*मूल अरबी मुस्लिमों को , क्रिश्चन का दुशमन और देश को बर्बाद करने वाला बताया जाने लगा ।*
*क्रिश्चन से मुस्लिम बने के सन्तानों को कहा गया कि उनके बाप दादा को डरा धमका कर मुसलमान बनाया गया था , और अब कोई डराने वाला है नहीं ,इसलिये वे फिर से क्रिश्चन बन जायें।*
*ऐसे मुसलमान जो अरब बाप और लोकल स्पैनिश मां के सन्तान थे , उनका मजा़क उडा़या गया और उन्हें दोगला कहा गया , उन्हें भी क्रिश्चन बनने की तरगी़ब दी गयी।*
*इस्लामिक तरीके से की गयी शादियों का कोर्ट में रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया ।*
*इस्लामिक कानून , गैर कानूनी घोषित किया गया ।*
( भारत में भी स्पेन के मुसलमानों पर किया गया सब प्रयोग , और अधिक सूक्षमता और समयानुसार लागू किया जा रहा है? यहां भी इतिहास को अपने तरीके से लिखा जा रहा है और मुस्लिम बादशाहों को डाकू, लुटेरा, डरपोक और ज़ालिम अय्याश राजा बताया जा रहा है, मुगल बादशाहों को गद्दार और हिन्दू विरोधी बताया जाता है यह तक के उसके नाम पे जो जगह थे उसे भी बदला जा रहा है जैसे इलाहाबाद अब प्रयागराज वगैरह वगैरह)
* स्पेन में लगातार मुस्लिमों का मजा़क उडा़या गया, उनकी निन्दा की गयी, उनके घर और दुकान जलाये या तोड़े गये , ताकि उन्हें आर्थिक तौर पर तोड़ा जा सके ।
*मुसलमान से क्रिश्चन बनाने को बाजाब्ता , समारोह कर के पब्लिक में दिखाया गया ।*
( भारत में भी हर रंग के हिन्दू नाज़ी , आर्य समाज, रामकृषण मिशन , विश्व हिन्दू परिषद , जैसे संगठन यही कर रहे हैं, मुस्लिम से हिन्दू बनाने के लिए पैसे की लालच, नौकरी की चाहत दिखा कर और तरह तरह से उसके उपर दबाव डाल कर, जब इससे भी नहीं होता तो उसका ब्रेन वाश किया जाता है, उसे दीन से दूर किया जाता है और दुनिया की दिखावे वाली हकीकत की खुशखबरी दी जाती है, सारी चीजों को साइंस से जोड़कर, आधुनिकता की दलील देकर, आजादी का नाम देकर, कभी अमेरिका और इंग्लैंड की मिशाल पेश कर के हमें गुमराह किया जाता है इसे हम स्वीट पॉयजन (Sweet Poision) कह सकते है।
*मुसलमान से क्रिश्चन बनाने को बाजाब्ता , समारोह कर के पब्लिक में दिखाया गया ।*
( भारत में भी हर रंग के हिन्दू नाज़ी , आर्य समाज, रामकृषण मिशन , विश्व हिन्दू परिषद , जैसे संगठन यही कर रहे हैं, मुस्लिम से हिन्दू बनाने के लिए पैसे की लालच, नौकरी की चाहत दिखा कर और तरह तरह से उसके उपर दबाव डाल कर, जब इससे भी नहीं होता तो उसका ब्रेन वाश किया जाता है, उसे दीन से दूर किया जाता है और दुनिया की दिखावे वाली हकीकत की खुशखबरी दी जाती है, सारी चीजों को साइंस से जोड़कर, आधुनिकता की दलील देकर, आजादी का नाम देकर, कभी अमेरिका और इंग्लैंड की मिशाल पेश कर के हमें गुमराह किया जाता है इसे हम स्वीट पॉयजन (Sweet Poision) कह सकते है।
शुरुआती दौर में मुस्लिमों ने अपने धर्म को बचाये रखने के लिये अन्दरुनी तौर पर काम किया, उन्होंने अरबी तालीम अपने बच्चों के लिये घरों और मस्जिदों में देना शुरु किया, और अपना इतिहास ज़बानी तौर पर अगली पीढ़ी को बताने का काम किया, मगर आगे चल कर वे सुस्त पड़ गये। जब शादियां सरकारी एजेन्सी के द्वारा कराना ज़रुरी कर दिया गया तब , मुसलमान , शुरुआती दौर में दो तरह के शादी समारोह करते, पहली सरकारी एजेन्सी में फिर इस्लामी तरीके से घरों में , मगर बाद में घर के समारोह सरकार ने बैन कर दिये , अब जबकि आम मुसलमान जनता , मुस्लिम लीडरों के हाथ से निकल गये , तो खास मुस्लिम तबका़, तुर्की, ट्यनिस , मराक़श, और मिस्र की तरफ जाने लगे , जहां उन्हें सहानुभूति और पनाह मिली। गरीब मुस्लिम तबका़ जो सबसे कमजोर और मजबूर था उसे अपने मकसद में कामयाब होने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा, नहीं इनकी कोई रहनुमाई करने वाला था ना कोई रहबर ( *यही सब भारत में बिल्कुल इसी तरह हो रहा है , अमीर अंग्रेज़ीदां मुस्लिम ब्राह्मण बनने की फिराक़ में है, वे हिन्दु अपर कास्ट की नक़ल में लगा हैं और मुस्लिम मुहल्लों के बजाए हिन्दुओं के काॅलोनियों में रहना पसंद करता है, गरीब मुस्लिम जो 95% है गंदी बस्तियों और स्लम में रहते हैं, और यही इस्लाम के असली पैरोकार हैं , और ये ही मुस्लिम विरोधी दंगों में मारे जाते हैं)
पहले दौर में जो बीज स्पेन में डाला गया , वह दूसरे दौर आते आते फल देने लगा , अब मुसलमानों की कोई राजनितिक लीडरशिप नहीं थी, कोई उनको बचाने वाला नहीं बचा, कोई दूरदृष्टि वाला व्यक्ति भी नहीं बचा जो हालात को संभाल सके , धार्मिक लीडर और इमाम , जो इतने जानकार भी नहीं थे, अपनी हर मुमकिन कोशिश की , मगर सरकार, क्रिश्चन एजेंसी, और दिये गये लालच, प्रोपगेंडा के आगे इनका बस ना चला। उन्हें एक राजनितिक कयादत चाहिये थी और एक शस्त्र संस्था की ज़रुरत थी जो मौजूद नहीं था। कुछ लोगों ने मिस्र और तुर्की से मदद मांगना चाहते थे , मगर उनके बीच के मुस्लिम जो सरकार के दलाल थे, उनके बारे में सरकारी तंत्र को खबर कर देते थे , और उन्हें सजा़ दिलवाते। खुद के लडा़के नहीं रहने से बाहरी मुस्लिम हुकुमत उनकी मदद नहीं कर सकती थी। जो लोग तुर्की और मिस्र में बस गये थे, वे वहां की सरकारों को मशविरा देते कि स्पेन के अन्दरुनी मामलों में दखल देने से वहां मुसलमानों की हालत और बिगड़ेगी ।
एक अहमद शाह अबदाली की ज़रुरत थी , जो वहां थे नहीं।
एक अहमद शाह अबदाली की ज़रुरत थी , जो वहां थे नहीं।
आहिस्ता आहिस्ता , आम मुसलमान स्पेन के मुख्यधारा में शामिल हो गया, और मौलवी और इमाम , अब बिना काम के हो गये , वे भी स्पेन से हिजरत करने लगे , और 1612 में इन जियाले मुस्लिमों का आखिरी जत्था स्पेन छोड़कर चले गये ।
*भारत में भी मुसलमान राजनितिक लीडर , हिन्दू पार्टी कर दूमछल्ले बने हुए हैं जिन्हें हिन्दू उच्च जाति के लोग चलाते हैं सिर्फ चंद आलिम ही है जो मुसलमानों की इस्लामिक पहचान बचाने में लगे हुये हैं वरना हर कोई अपने निजी फायदे के लिए अपनी हमदर्दी दिखाते है, कभी इसलाम के नाम पे तो कभी मुस्लिम इत्तेहाद के नाम पे मगर हकीकत तो यह है के यह लोग खुद सियासी पार्टियों की चमचागिरी करते है, इन्हें सिर्फ पैसे से मतलब होती है। दौलत, शोहरत, घर, गाड़ी और बंगला इसी से इन्हें मतलब है इसके अलावा कुछ नहीं। कुछ लीडरान खुद को मुस्लिमो का मसीहा बने बैठे है लेकिन इन बेईमान, वादा खिलाफ और बेवफा लोगो को कभी अपना वोट देकर अपना वोट जाया नहीं करे, इसे सिर्फ अपने सियासी कैरियर को बनाना है ताकि अगली इलेक्शन में फिर कुर्सी मिल सके, अगर यह लोग इतना ही मुस्लिमो के हमदर्द है तो गुजरात दंगे के वक्त कहा थे?
मुजफ्फर नगर दंगे के वक़्त कहां थे उस वक़्त तो अखिलेश यादव की सरकार थी और इनके ही चमचे बने फिरते है बहुत सारे मुस्लिम कुत्ते वह उस वक़्त क्या कर रहे थे?
कोई JDU, SP, BSP, BJP...... काम नहीं आने वाला है यह लोग इनके मेम्बर बनते है और इंतेखाब के वक़्त गली मुहल्ले में आकर लोगो से वोट देने को कहते है और कुर्सी मिलने के बाद कहा चली जाती है इनकी वह सारे वादे जो हाथ जोड़कर किए थे? इन झूठे लोगो के बहकावे में नहीं आए और अगर यह आप के मुहल्ले में वोट मांगने आते है तो इन्हें जूता लेकर दौराइए, ऐसे मुनाफिकों की हमे अपना रहबर नहीं बनाना है।
मुझे रहजनों से गीला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है
..
स्पेन में हुये प्रयोग को , हिन्दुस्तान में , ज़्यादा उर्जा और गति से किया जा रहा है। उर्दू इस देश में इस्लामिक माना गया , जैसे स्पेन में अरबी को माना गया था , योजनाबद्ध तरीके से उर्दू को खत्म किया गया । मुसलमान मदरसे से ऐच्छिक तौर पर जुड़े हुए हैं, अंग्रेज़ी दां मुस्लिम तबका़ आम मुस्लिम से दूर है। हम ने इसे तबलीग़ी जमात के आलमी इज्तेमा में बंगलोर में देखा (दलित व्याइस ,मार्च 15 1985)
*भारत में भी मुसलमान राजनितिक लीडर , हिन्दू पार्टी कर दूमछल्ले बने हुए हैं जिन्हें हिन्दू उच्च जाति के लोग चलाते हैं सिर्फ चंद आलिम ही है जो मुसलमानों की इस्लामिक पहचान बचाने में लगे हुये हैं वरना हर कोई अपने निजी फायदे के लिए अपनी हमदर्दी दिखाते है, कभी इसलाम के नाम पे तो कभी मुस्लिम इत्तेहाद के नाम पे मगर हकीकत तो यह है के यह लोग खुद सियासी पार्टियों की चमचागिरी करते है, इन्हें सिर्फ पैसे से मतलब होती है। दौलत, शोहरत, घर, गाड़ी और बंगला इसी से इन्हें मतलब है इसके अलावा कुछ नहीं। कुछ लीडरान खुद को मुस्लिमो का मसीहा बने बैठे है लेकिन इन बेईमान, वादा खिलाफ और बेवफा लोगो को कभी अपना वोट देकर अपना वोट जाया नहीं करे, इसे सिर्फ अपने सियासी कैरियर को बनाना है ताकि अगली इलेक्शन में फिर कुर्सी मिल सके, अगर यह लोग इतना ही मुस्लिमो के हमदर्द है तो गुजरात दंगे के वक्त कहा थे?
मुजफ्फर नगर दंगे के वक़्त कहां थे उस वक़्त तो अखिलेश यादव की सरकार थी और इनके ही चमचे बने फिरते है बहुत सारे मुस्लिम कुत्ते वह उस वक़्त क्या कर रहे थे?
कोई JDU, SP, BSP, BJP...... काम नहीं आने वाला है यह लोग इनके मेम्बर बनते है और इंतेखाब के वक़्त गली मुहल्ले में आकर लोगो से वोट देने को कहते है और कुर्सी मिलने के बाद कहा चली जाती है इनकी वह सारे वादे जो हाथ जोड़कर किए थे? इन झूठे लोगो के बहकावे में नहीं आए और अगर यह आप के मुहल्ले में वोट मांगने आते है तो इन्हें जूता लेकर दौराइए, ऐसे मुनाफिकों की हमे अपना रहबर नहीं बनाना है।
मुझे रहजनों से गीला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है
..
स्पेन में हुये प्रयोग को , हिन्दुस्तान में , ज़्यादा उर्जा और गति से किया जा रहा है। उर्दू इस देश में इस्लामिक माना गया , जैसे स्पेन में अरबी को माना गया था , योजनाबद्ध तरीके से उर्दू को खत्म किया गया । मुसलमान मदरसे से ऐच्छिक तौर पर जुड़े हुए हैं, अंग्रेज़ी दां मुस्लिम तबका़ आम मुस्लिम से दूर है। हम ने इसे तबलीग़ी जमात के आलमी इज्तेमा में बंगलोर में देखा (दलित व्याइस ,मार्च 15 1985)
वे मुस्लिम मुल्कों में नहीं जाते , वे सिर्फ अपने मनोवैज्ञानिक खो़ल में क़ैद होकर , अलग थलग पड़ गये है । कोई भी कोशिश जो मुस्लिमों के जान और माल बचाने को किया जाता है , इसे साम्प्रदायिक घोषित कर दिया जाता है । जो मुस्लमान , हिन्दू उच्च जातियों के साथ प्यार की पेंगें बढा़ता है , वह " राष्ट्रवादी मुसलमान" कहलाता है । गरीब मुसलमान जनता और अमीर शिक्षित मुस्लिमों के बीच खाई बढ़ती जा रही है । मुस्लिमों का नरसंहार अब मुस्लिम नेताओं द्वारा भी एक सामान्य घटना मानी जाने लगीं है। जब कभी इन ज्यादतियों को अन्तराष्ट्रीय मंच पर उठाया जाता है , तब इसे भारत के अन्दरुनी मामले में दखल घोषित किया जाता है।
इतिहास से मुस्लिम के नाम जिन्होंने देश के लिये जान दी थी , को हटाया जा रहा है। टीपू सुल्तान जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ते जान दी , उन्हे नयी पीढ़ी जानती ही नहीं , जबकि अपने पेंशन के लिये लड़ने वाला तात्या टोपे, और अपने गोद लिये बच्चे की गद्दी के लिये लड़ने वाली लक्षमी बाई , को बढा़ चढा़ कर किताबों में पढा़या जा रहा है ।.
मुसलमानों को , साईंस , मेडिसिन , कला और संगीत में शायद ही कोई एवार्ड दिया जाता है , कांग्रेस के बड़े मुस्लिम नेता, मौलाना आजा़द, किदवाई , सैयद महमूद , हुमांयूं कबीर जैसों के नाम पर भी कोई रोड़ या मुहल्ला नहीं है , जबकि उच्च हिन्दु जातियों के छुटभैयों के नाम पर दर्जनों रोड और गली हैं । इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है
(भारतीय इतिहास से छेड़ छाड़ , दलित व्याइस ,अप्रैल 16,1985)।
इतिहास से मुस्लिम के नाम जिन्होंने देश के लिये जान दी थी , को हटाया जा रहा है। टीपू सुल्तान जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ते जान दी , उन्हे नयी पीढ़ी जानती ही नहीं , जबकि अपने पेंशन के लिये लड़ने वाला तात्या टोपे, और अपने गोद लिये बच्चे की गद्दी के लिये लड़ने वाली लक्षमी बाई , को बढा़ चढा़ कर किताबों में पढा़या जा रहा है ।.
मुसलमानों को , साईंस , मेडिसिन , कला और संगीत में शायद ही कोई एवार्ड दिया जाता है , कांग्रेस के बड़े मुस्लिम नेता, मौलाना आजा़द, किदवाई , सैयद महमूद , हुमांयूं कबीर जैसों के नाम पर भी कोई रोड़ या मुहल्ला नहीं है , जबकि उच्च हिन्दु जातियों के छुटभैयों के नाम पर दर्जनों रोड और गली हैं । इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है
(भारतीय इतिहास से छेड़ छाड़ , दलित व्याइस ,अप्रैल 16,1985)।
रोजा़ना मुसलमानों को मार दिया जा रहा है , उनके घर और दुकान जला दिये जाते हैं । पुलिस, फौज, और प्रशासन के दरवाजे़ मुसलमानों के लिये बन्द कर दिये गये हैं , फिर भी इस्लाम को बचाने दर्जनों ऑर्गनाईजे़शन बन कर खड़े हैं । सब इस्लाम को बचाने में लगे हैं , मगर मुसलमान को बचाने कोई आगे नहीं आ रहा है, ये बहुत चिन्ता की बात है ।
*सत्ताधारी समूह के अध्ययन से पता चलता है कि इनकी नीति , लगभग वही है जो फर्डीनन्ड और इसाबेल (स्पेन) की थी , मगर इतना फर्क है कि ये काफी आधुनिक तरीके से लागू किये जा रहे हैं , क्योंकि 20 वीं सदी के राष्ट्रसंघ और मानवाधिकार घोषणा पत्र तथा अन्तर्राष्ट्रीय पब्लिक ओपनियन ने कुछ सीमा रेखा खींच दी है । योजनाबद्ध तरीके से मुसलमानों के जान और माल पर हमले तथा मुस्लिम विरोधी दंगे ने मुसलमानो के दिल में एक स्थायी डर पैदा कर दिया है , फौज, पारा मिलिटरी और पुलिस के दरवाजे़ मुसलमानों के लिये बन्द कर दिये गये, सरकारी तथा सरकारी प्रतिष्ठानों की नौकरियों में मुस्लिम को लगभग बाहर कर दिया गया ।*
शिक्षा और मास मिडिया टीवी , रेडियो का ब्राह्मणिकरण कर दिया गया। 1947-48 में ही पंजाब, हरियाणा, एमपी, आन्ध्रा और कर्नाटक में रातों रात उर्दू को हटा दिया गया। उर्दू स्कूलों को बन्द कर देना , ये सीधी सीधी मुस्लिम विरोधी कारवाई थी। समान नागरिक संहिता पर लगातार हो हल्ला, ब्राह्मणों द्वारा छेड़ी गयी मनोवैज्ञानिक लडाई का हिस्सा है , समान नागरिक संहिता , भारतीय ( हिन्दू) संस्कृति का अधिक से अधिक बखान , इस मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा है ।
*सत्ताधारी समूह के अध्ययन से पता चलता है कि इनकी नीति , लगभग वही है जो फर्डीनन्ड और इसाबेल (स्पेन) की थी , मगर इतना फर्क है कि ये काफी आधुनिक तरीके से लागू किये जा रहे हैं , क्योंकि 20 वीं सदी के राष्ट्रसंघ और मानवाधिकार घोषणा पत्र तथा अन्तर्राष्ट्रीय पब्लिक ओपनियन ने कुछ सीमा रेखा खींच दी है । योजनाबद्ध तरीके से मुसलमानों के जान और माल पर हमले तथा मुस्लिम विरोधी दंगे ने मुसलमानो के दिल में एक स्थायी डर पैदा कर दिया है , फौज, पारा मिलिटरी और पुलिस के दरवाजे़ मुसलमानों के लिये बन्द कर दिये गये, सरकारी तथा सरकारी प्रतिष्ठानों की नौकरियों में मुस्लिम को लगभग बाहर कर दिया गया ।*
शिक्षा और मास मिडिया टीवी , रेडियो का ब्राह्मणिकरण कर दिया गया। 1947-48 में ही पंजाब, हरियाणा, एमपी, आन्ध्रा और कर्नाटक में रातों रात उर्दू को हटा दिया गया। उर्दू स्कूलों को बन्द कर देना , ये सीधी सीधी मुस्लिम विरोधी कारवाई थी। समान नागरिक संहिता पर लगातार हो हल्ला, ब्राह्मणों द्वारा छेड़ी गयी मनोवैज्ञानिक लडाई का हिस्सा है , समान नागरिक संहिता , भारतीय ( हिन्दू) संस्कृति का अधिक से अधिक बखान , इस मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा है ।
Delhi Riots |
मुसलमानों के घोर विरोधी सावरकर जैसे लोगों को हिन्दुस्तान का हीरो घोषित कर, मुस्लिम हस्तियों , के देश की आजा़दी एवं तरक्की में योगदान को नकारा गया। इतिहास को गलत तरीके से फिर लिखने की कोशिश, मुसलमानो के रोज़गार , जैसे बीफ बेचने, को पाप के रुप में प्रचार किया गया , और गाय की रक्षा के सिद्धान्त को पुण्य के तौर पर प्रचारित कर महिमामंडन किया गया ।* मीट के बूचरखानों में मशीन लगा कर , बूचर परिवारों को बेरोज़गार किया गया। मुसलमानों द्वारा आयात एवं निर्यात को तस्करी का नाम दिया गया, और आम भारतीय जनता के निचले तबके को गुमराह कर मुस्लिमों की गलत छवि बनायी गयी।
मुसलमानों के चुनाव क्षेत्र को इस तरह बांटा गया कि , उनके वोट बेअसर हो जाय। धु्र सेकुलर मुस्लिम लीडर को उन पर थोपा गया, जो मूर्तियां पूजते दिखाये गये, और इसे टीवी पर दिखाया गया, बदकिस्मती से सरकार द्वारा किनारे लगा दिये गये मुस्लिम लीडर, हिन्दू आमजन से मदद की उमीद लगाते हैं , जबकि गरीब हिन्दू ( दलित) खुद ज़ुल्म के शिकार हैं और उनके खिलाफ भी दुष्प्रचार हो रहा है।
अब जबकि बीज बो दिया गया है, और फसल का इन्तेजा़र है, जब यह फसल आ जायेगी तो भारत में स्पेन को दोहराया जायेगा , अगर मुसलमानों ने समय रहते इसपर जवाबी कारवाई नहीं की, जो यह अब ज़रुरी हो गया है कि *मुस्लिम प्रबुद्ध वर्ग , उठ खडा़ हो और एक और स्पेन होने से रोके।*
आम मुस्लिम जन ने ही हमेशा इस्लाम की रक्षा की है ना कि, अमीर मुस्लिम जो 5% के करीब हैं ( कुछ अपवाद को छोड़कर) , वे भी उच्च हिन्दू जातियों की तरह शोषक की तरह आचरण करते हैं , वे इस्लाम की बात ज़रुर करते हैं लेकिन अमल नहीं करते और नहीं उसे हराम, हलाल, जायज और ना जायज का ख्याल है और अपने ग़रीब मुस्लिम भाइयों को भूल चुके हैं ।
कृपया समझें कि मजहब अपने मानने वालों की रक्षा नहीं करता , बल्कि उसके मानने वाले ही मजहब की रक्षा करते हैं
*याद रखें अगर भारत में इस्लाम को बचाना है तो मुसलमान को बचाना होगा।*
ख़त्म
*याद रखें अगर भारत में इस्लाम को बचाना है तो मुसलमान को बचाना होगा।*
ख़त्म
*** अनुवादक का नोट
यह निबंध 1999 का है , हम 2019 में रह रहे हैं
और देख रहे हैं कि 2014 के बाद , मुस्लिमों के खिलाफ बोई फसल को काटा जा रहा है , आर एस एस की सरकार बन चुकी है *जो हर जगह से मुसलमानों को बेदखल करना शुरु कर चुकी है, हिन्दुवादी नाज़ी पार्टी एक भी मुसलमान को एमपी एम एल ए का टिकट नहीं देती है, स्पेन की तरह ही मुस्लिम नाम के दलाल , सैयद शाहनवाज़, मुख्तार नक़वी, एम जे अकबर, वसीम रिज़वी , शाज़िया इल्मी, कहकशा परवीन आदि हिन्दु नाज़ी राज की तारीफ कर रहे हैं और टीवी पर आकर बताते हैं कि मुसलमान इस हिन्दू नाज़ी राज में बहुत अमन चैन से है जबकि गाय के नाम पर मुसलमानों का क़त्ल जारी है ।*
***
इसे ज्यादा से ज़यादा फैलायें ताकि लोग आगाह हों
(ये सम्पादकीय एडिटोरियल "दलित वाॅईस अखबार में आज से 20 साल पहले 16 मार्च 1999 में छपा था मगर अफ़सोस हम 20 से अभी तक बेदार नहीं हुए)
भाईयों अल्लाह के वास्ते कुछ करो।
____________________________
_*हमारी हक़ीक़ी तस्वीर*_
एक बादशाह ने बहुत बड़ा बर्तन बनबाया और लोगों को हुक्म दिया कि हर कोई एक गिलास दूध इस बर्तन में डाले लोग ज़ौक़ दर ज़ौक़ आते रहे और अपने अपने गिलास बर्तन में उडेलते रहे सुबह बादशाह ने देखा बर्तन पानी से भरा हुआ है।*
*तहक़ीक से पता चला कि सबने ये सोच कर पानी का गिलास उडेंला कि बाक़ी लोग तो दूध ही डाल रहे होंगे उसका एक गिलास पानी का पता ही नहीं चलेगा।*
*लिहाज़ा पूरी आबादी ये सोच कर ख़तरात से बेख़बर और मस्त है कि बाक़ी लोग मुल्क बचा लेंगे मैं शामिल न हुआ तो क्या फर्क़ पड़ेगा।*
_*कश्ती डूबने को है मुर्दा क़ौम सो रही है!*_✍
यह निबंध 1999 का है , हम 2019 में रह रहे हैं
और देख रहे हैं कि 2014 के बाद , मुस्लिमों के खिलाफ बोई फसल को काटा जा रहा है , आर एस एस की सरकार बन चुकी है *जो हर जगह से मुसलमानों को बेदखल करना शुरु कर चुकी है, हिन्दुवादी नाज़ी पार्टी एक भी मुसलमान को एमपी एम एल ए का टिकट नहीं देती है, स्पेन की तरह ही मुस्लिम नाम के दलाल , सैयद शाहनवाज़, मुख्तार नक़वी, एम जे अकबर, वसीम रिज़वी , शाज़िया इल्मी, कहकशा परवीन आदि हिन्दु नाज़ी राज की तारीफ कर रहे हैं और टीवी पर आकर बताते हैं कि मुसलमान इस हिन्दू नाज़ी राज में बहुत अमन चैन से है जबकि गाय के नाम पर मुसलमानों का क़त्ल जारी है ।*
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इसे ज्यादा से ज़यादा फैलायें ताकि लोग आगाह हों
(ये सम्पादकीय एडिटोरियल "दलित वाॅईस अखबार में आज से 20 साल पहले 16 मार्च 1999 में छपा था मगर अफ़सोस हम 20 से अभी तक बेदार नहीं हुए)
भाईयों अल्लाह के वास्ते कुछ करो।
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_*हमारी हक़ीक़ी तस्वीर*_
एक बादशाह ने बहुत बड़ा बर्तन बनबाया और लोगों को हुक्म दिया कि हर कोई एक गिलास दूध इस बर्तन में डाले लोग ज़ौक़ दर ज़ौक़ आते रहे और अपने अपने गिलास बर्तन में उडेलते रहे सुबह बादशाह ने देखा बर्तन पानी से भरा हुआ है।*
*तहक़ीक से पता चला कि सबने ये सोच कर पानी का गिलास उडेंला कि बाक़ी लोग तो दूध ही डाल रहे होंगे उसका एक गिलास पानी का पता ही नहीं चलेगा।*
*लिहाज़ा पूरी आबादी ये सोच कर ख़तरात से बेख़बर और मस्त है कि बाक़ी लोग मुल्क बचा लेंगे मैं शामिल न हुआ तो क्या फर्क़ पड़ेगा।*
_*कश्ती डूबने को है मुर्दा क़ौम सो रही है!*_✍
अल्लाह हम सब मुसलमानों को इत्तेहाद व इत्तेफाक की प्लेटफॉर्म पे खड़ा कर दे, जो मुस्लिम हमारेे बीच रहकर हमारा ही जासूसी कर रहे है या अल्लाह तू उसे जलील कर और बर्बाद कर दे, या अल्लाह मुनाफिकों को ऐसी सजा दे के फिर वह आइंदा ऐसा करने की जुर्रत भी ना करे, अल्लाह हमारी मां, बहनों के इज्जत की हिफाज़त फरमा, तू उन्हें बा पर्दा और बा हया बना। या अल्लाह मुसलमानों के अंदरूनी मसाइल को हल कर दे और जब तक रखना ईमान पे रखना और ईमान पे ही खात्मा फरमाना। आमीन सुममा आमीन
(Published By Md Rehan Fazal)
(Published By Md Rehan Fazal)
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