Jo Shakhs Islam Qubul Nahi kare Aur Mohammad Sallahu Alaihe Wasallam ko Nahi mane to wah Hindu Hai hi Nahi.
जो शख्स इसलाम क़ुबूल नहीं करे, मोहम्मद ﷺ को और उनके धर्म को नहीं माने वह हिन्दू भी नहीं है।
पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय
जो शख्स इसलाम क़ुबूल नहीं करे, मोहम्मद ﷺ को और उनके धर्म को नहीं माने वह हिन्दू भी नहीं है।
पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय
अंतिम ऋषि, नाराशंस, कल्की अवतार
सत्य हमेशा स्पष्ट होता है। यह बात और है कि हम उसे न समझ पाएँ या कुछ लोग हमें इससे दूर रखने का कुप्रयास करें।
Islam |
अब यह बात छिपी नहीं रही कि वेदों, उपनिषदों और पुराणों में इस दृष्टि के अन्तिम पैग़म्बर (संदेष्टा) हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के आगमन की भविष्यवाणियां की गई हैं। मानवतावादी सत्य गवेषी विद्वानों ने ऐसे अकाट्य प्रमाण पेश कर दिए, जिससे सत्य खुलकर सामने आ गया है।
वेदों में जिस उष्ट्रारोही (ऊँट की सवारी करनेवाले) महापुरुष के आने की भविष्यवाणी की गई है, वे मुहम्मद (सल्ल.) ही है। वेदों के अनुसार उष्ट्रारोही का नाम ‘नराशंस’ होगा। ‘नराशंस’ का अरबी अनुवाद ‘मुहम्मद’ होता है। ‘नराशंस’ के बारे में वर्णित समस्त क्रियाकलाप हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के आचरणों और व्यवहारों से आश्चर्यजनक साम्यता रखते हैं। पुराणों और उपनिषदों में कल्कि अवतार की चर्चा है, जो हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ही सिद्ध होते हैं। कल्कि का व्यक्तित्व और चारित्रिक विशेषताएं अंतिम पैग़म्बर (सल्ल.) के जीवन-चरित्र को पूरी तरह निरूपित करती हैं। यही नहीं उपनिषदों में साफ़ तौर से हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) का नाम आया है और उन्हें अल्लाह का रसूल (संदेशवाहक) बताया गया है। पुराण और उपनिषदों में यह भी वर्णित है कि ईश्वर एक है। उसका कोई भागीदार नहीं है। बौद्धों और जैनियों और ईसाईयों के धर्मग्रन्थों में भी हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के बारे में भविष्यवाणियां की गई हैं।
वेदों में जिस उष्ट्रारोही (ऊँट की सवारी करनेवाले) महापुरुष के आने की भविष्यवाणी की गई है, वे मुहम्मद (सल्ल.) ही है। वेदों के अनुसार उष्ट्रारोही का नाम ‘नराशंस’ होगा। ‘नराशंस’ का अरबी अनुवाद ‘मुहम्मद’ होता है। ‘नराशंस’ के बारे में वर्णित समस्त क्रियाकलाप हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के आचरणों और व्यवहारों से आश्चर्यजनक साम्यता रखते हैं। पुराणों और उपनिषदों में कल्कि अवतार की चर्चा है, जो हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ही सिद्ध होते हैं। कल्कि का व्यक्तित्व और चारित्रिक विशेषताएं अंतिम पैग़म्बर (सल्ल.) के जीवन-चरित्र को पूरी तरह निरूपित करती हैं। यही नहीं उपनिषदों में साफ़ तौर से हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) का नाम आया है और उन्हें अल्लाह का रसूल (संदेशवाहक) बताया गया है। पुराण और उपनिषदों में यह भी वर्णित है कि ईश्वर एक है। उसका कोई भागीदार नहीं है। बौद्धों और जैनियों और ईसाईयों के धर्मग्रन्थों में भी हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के बारे में भविष्यवाणियां की गई हैं।
*पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय का निर्णय*
पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय ने लिखा है कि जो व्यक्ति इस्लाम स्वीकार न करे और मुहम्मद (सल्ल.) और उनके धर्म को न माने, वह हिन्दू भी नहीं है, इसलिए कि हिन्दुओं के धार्मिक ग्रन्थों में कलकी अवतार और नराशंस के इस धरती पर आ जाने के बाद उनको और उनके दीन को मानने पर बल दिया गया है। इस प्रकार जो हिन्दू भी अपने धार्मिक ग्रन्थों में आस्था रखता है, अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्ल.) को माने बिना मरने के बाद के जीवन में नरक की आग,उसके सर्वकालिक प्रकोप का हक़दार होगा।
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धन्यवाद
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