Tauheed Aur Shirk Kya Hai ise Kaise Samjhe?
Shirk Kise Kahte Hai, iski Kitni Qismein Hai?
توحید کیا ہوتا ہے؟ توحید کی قسمیں
شرک کیا ہوتا ہے اسکی سزا کیا ہے؟
आओ हक़ की तरफ और आओ तौहीद की तरफ।
अक़ीदा तौहीद इस्लाम की बुनियाद है , अगर किसी की तौहीद में ज़रा सा भी खलल आ जाएगा तो अल्लाह तआला उसकी पूरी ज़िंदगी के अमाल बर्बाद कर देगा अगरचे वह कोई वली , नबी ही क्यो न हो ।
चुनांचे सूरह अनाम आयत: 88 में अल्लाह तआला ने 18 नबियों का नाम लेकर ज़िक्र किया है कि वह भी शिर्क करते तो जो अमल करते थे सब जाया हो जाते ,और सूरह जुमर में रसूलअल्लाह ﷺ से फ़रमाया : आय पैगम्बर आप की तरफ वही ( कलाम अल्लाह ) भेजी जाती है और आप से पहले नबियों पर भी यह वही भेजी गई है के अगर आपने शिर्क किया तो आपके अमाल जाया हो जाएंगे और आप ख़ासारे पाने वालों में से हो जाएंगे ( सूरह जुमर आयत : 65 )
अल्लाह रबुल इज़्ज़त ने सूरह निशा में इरशाद फ़रमाया के बेशक अल्लाह शिर्क माफ़ नही करेगा इसके सिवा जो चाहेगा जिसके लिए चाहेगा माफ़ कर देगा ।
शिर्क इतना बड़ा गुनाह है के अल्लाह इसको माफ़ नही करेगा और जो इस हाल में मरेगा के अल्लाह के साथ शिर्क करता हो अल्लाह ने उस पर जन्नत को हराम कर दिया उसका ठिकाना जहन्नम है ( सूरह मायदा आयत :72 )
शिर्क इतना बड़ा गुनाह है के अल्लाह इसको माफ़ नही करेगा और जो इस हाल में मरेगा के अल्लाह के साथ शिर्क करता हो अल्लाह ने उस पर जन्नत को हराम कर दिया उसका ठिकाना जहन्नम है ( सूरह मायदा आयत :72 )
लिहाजा अंजामे बढ़ से बचने के लिए जरुरी है के इंसान को तौहीद और शिर्क की पहचान हो _________
★ *शिर्क और तौहीद* ★
शिर्क का लुगवि मायने होता है शरीक करना , और शरई ऐतबार से शरीक का मतलब होता है , के अल्लाह तआला की ज़ात या फिर शिफ़ाअत में किसी को शरीक करना !
*कैसे समझा जाये की किसी शख्स ने अल्लाह के साथ किसी को शरीक किया है ??
अल्लाह का क्या शिफ़ाअत है इसे जाने बगैर शिर्क नहीं समझ सकते है !
★ तौहीद का मतलब होता है एक जान ना और एक कहना अल्लाह को उसकी ज़ात सिफ़ात उसकी इबादत और उसके हक़ूक़ में मुंफरीद यकता और बेमिशाल मान ना !
*तौहीद के 3 किस्मे है* ॥
1 *तौहीद रबुबियत
2 *तौहीद अस्मा व शिफ़ाअत
3 *तौहीद उलूहियात या तौहीद ए इबादह !
2 *तौहीद अस्मा व शिफ़ाअत
3 *तौहीद उलूहियात या तौहीद ए इबादह !
■ 1- तौहीद रबूबियत से मुराद है अल्लाह को कायनात की हर चीज़ का ख़ालिक़ मालिक राज़ीक़ और तमाम उमूर की तदबीर करने वाला जान ना (कुरान 10:31)
■ 2- तौहीद उलूहियात से मुराद है अल्लाह ही हक़ीक़ी और अकेला माबूद है ! यही वो तौहीद है जिसको मुशरिकीन मक्काह और हर दौर के मुशरिक मन ने से इनकार करते है जैसे "नमाज़ रोज़ा हज क़ुरबानी दुवा नज़र नियाज़ ..... सिर्फ अल्लाह के लिए हो " (क़ुरआन 2:163)
■ 3- तौहीद अस्मा व शिफ़ाअत से मुराद है अल्लाह ने क़ुरआन में अपने आप को मौसूफ़ किया या नबी सल्ललाहो अलैहि व सल्लम ने हदीस में ज़िकर किया अल्लाह के अस्मा व शिफ़ाअत में किसी को शरीक न किया जाये जैसे अल्लाह ने कहा आय इब्लीस तुझे उसे सजदह करने से किस चीज़ ने रोका जिसे मैंने अपने हाथो से पैदा किया क़ुरआन 38:75
रहमान अर्श पे कायम है 20:5
अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम से कलाम किया 4:164
अल्लाह आसमानी दुनिया पर नुज़ूल फ़रमाता है( मुस्लिम 758)
उस (अल्लाह ) जैसी कोई चीज़ नहीं 26:11
रहमान अर्श पे कायम है 20:5
अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम से कलाम किया 4:164
अल्लाह आसमानी दुनिया पर नुज़ूल फ़रमाता है( मुस्लिम 758)
उस (अल्लाह ) जैसी कोई चीज़ नहीं 26:11
अल्लाह के अस्मा व सिफ़त को हकीकत पे मोहमूल करते हुवे किसी किसम की तावील कैफियत तातील और तमसील के बगैर ईमान लाना तौहीद अस्मा व सिफ़त है !
जिसने अल्लाह के साथ किसी को शरीक किया , अल्लाह ने उसपर ज़न्नत हराम कर दिया उसका ठिकाना जहन्नम है और जालिमो का कोई मददगार न होगा क़ुरआन 5:72
*शिर्क के दो अक़साम*
★ *शिर्क ए अकबर* ★ *शिर्क ए असगर*
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★ *शिर्क ए अकबर*
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★ *शिर्क ए अकबर*
■ *वजूद मे शिर्क- जो शख्स अल्लाह तआला के सिवा किसी को वाजिबुल वजूद ( हमेशा से होना या हमेशा से रहना ) ठहराये वो मुशरिक है !
■ *ख़ालिकीयत मे शिर्क* - जो शख्स अल्लाह के सिवा किसी को हकीकतन खालिक ( बनाने वाला पैदा करने वाला ) जाने या कहे या मानें वो मुशरिक हैं !
■ *इबादत मे शिर्क - सिर्फ अल्लाह तआला ही इबादत के लायक है जो शख्स अल्लाह तआला के सिवा किसी दूसरे को मुस्तहिक़ ए इबादत माने या ठहराये या अल्लाह के सिवा किसी दूसरे की इबादत करे वो मुशरिक है !
■ सिफ़ात मे शिर्क - अल्लाह तआला की जीतने भी सिफते है वो जाती है जैसे आलिम यानी इल्म वाला , कादिर यानी कुदरत वाला , इख़्तियार वाला , रज़्ज़ाक़ यानी रोज़ी देने वाला वगैरह , अगर अल्लाह तआला के सिवा किसी के लिए एक जर्रे पर कुदरत , या इख़्तियार , या इल्म साबित करना , अगर बिज़्ज़ात हो यानी खुद अपनी जात से हो तो ये शिर्क है !
■ *मुख्तलिफ अंदाज़ से शिर्क - इसी तरह अल्लाह तआला के सिवा किसी दूसरे को इल्म कुदरत या किसी इख़्तियार मे अल्लाह तआला के बराबर , या बढ़कर मानना , या वो जरूरी अक़ीदे जो तौहीद के बुनियाद पर हो उन अक़ीदों के खिलाफ अक़ीदा रखना शिर्क है !
【 जरूरी नुक़्ता 】 शिर्क अकबर करने वाला मुशरिक है इसके करने से बेशक करने वाला इस्लाम व ईमान से खारिज़ हो जाएगा !
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★ *शिर्क ए असगर* - कोई शख्स अपनी इबादत या नेकी के काम मे इखलास ना करें , बल्कि रिया कारी करे यानी कि दूसरों को दिखावे के लिए करे ताकि लोग उसे नेक ईमानदार इबादत गुजार समझे उसकी इबादत सिर्फ अल्लाह तआला के लिए ना हो , बल्कि दिखावा करने के लिए हो ! रियाकारी पर मुश्तमिल हरगिज क़बूल नही होती बल्कि ठुकरा दी जाती है ! रियाकारी की नीयत से इबादत करने वाला सवाब पाने के बजाए अज़ाब का हकदार होता है !
शिर्क ए असगर से मुताल्लिक़ हदीस हजरत महमूद बिन लबीद रदियल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है की बेशक रसूल अल्लाह सल्लल्लालाहो अलैहे वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया के : खौफ करने वाली जो चीजे है उनमें सबसे ज्यादा डरने वाली चीज जिसका मैं तुम पर खौफ करता हूँ वो शिर्के असगर है !
अर्ज़ किया की शिर्के असगर क्या है ? आपने इरशाद फ़रमाया की "रियाकारी" "बेशक अल्लाह तआला फरमाएगा की आज के दिन बन्दों को अपने अमलों का बदला दिया जा रहा है जाओ उनके पास जिनको दिखाने के लिए दुनिया मे अमल करते थे और देखो क्या उनके पास कोई बदला ऒर भलाई पाते हो "!
◆( शोआबुल ईमान - दारुल कुतुबुल इल्मिया बैरुत लेबनान , जिल्द 5 , हदीस न- 6831 सफ़ा-333 )◆
अर्ज़ किया की शिर्के असगर क्या है ? आपने इरशाद फ़रमाया की "रियाकारी" "बेशक अल्लाह तआला फरमाएगा की आज के दिन बन्दों को अपने अमलों का बदला दिया जा रहा है जाओ उनके पास जिनको दिखाने के लिए दुनिया मे अमल करते थे और देखो क्या उनके पास कोई बदला ऒर भलाई पाते हो "!
◆( शोआबुल ईमान - दारुल कुतुबुल इल्मिया बैरुत लेबनान , जिल्द 5 , हदीस न- 6831 सफ़ा-333 )◆
• हजरत सद्दाद बिन औस रदियल्लाहो तआला अन्हो से रिवायत है कि उन्होंने कहा कि मैंने हुजूर अक़दस सलल्लालाहो अलैहे वासल्लम को ये फरमाते सुना कि : "जिसने रियाकारी से नमाज़ पढ़ी , उसने शिर्क किया जिसने रियाकारी से रोज़ा रखा उसने शिर्क किया , जिसने रियाकारी से सदका दिया उसने शिर्क किया"
( मिश्कातुल मसाबिह , सफ़ा 455 - रज़ा अकेडमी मुम्बई )
( मिश्कातुल मसाबिह , सफ़ा 455 - रज़ा अकेडमी मुम्बई )
【जरूरी नुक़्ता】 रियाकारी यानी लोगो को दिखाने के लिए जो अमल किया जाता है , उसको हुजूर ए अक़दस मोहम्मद सल्लल्लालाहो अलैहे वसल्लम ने शिर्क फ़रमाया है , लेकिन शिर्क ऐसा नही की जिस से ईमान खत्म हो जाये , इसीलिए इसको शिर्क ए असगर फ़रमाया ! शिर्क ए असगर का अमल बेशक काबिले मज़म्मत है ऐसा करने वाला सख्त से सख्त अज़ाब का हकदार है उसका अमल दरबारे इलाही मे ना-काबिल ए क़ुबूल है उसका अमल उसके मुंह पर मार दिया जाएगा !ऐसा अमल करनेवाला को सवाब के बदले अज़ाब मिलेगा वो सख्त गुनाहगार है.
jo text aapne likha hai website pe kya usko copy kar sakte hain?
ReplyDeleteG Kar sakte hai, behtar hoga ke aap Website ka content link ke sath copy kare taki yah pata chal sake ke kaha se yah liya gaya hai.
ReplyDeleteJazakallah khair
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