Kya Nabi-E-Akram Sallahu Alaihe Wasallam ne Madina Walo Se Jung ki?
#क्या इस्लाम आतंकवाद की शिक्षा देता है
सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है
नोट यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है.
पार्ट नंबर 14
हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की संक्षिप्त जीवनी
तीन दिन उसी गुफा में ठहरे रहे। जब मुहम्मद (सल्ल0) व हज़रत अबू-बक्र (रज़ि) की तलाश बन्द हो गई तब आप (सल्ल0) व अबू-बक्र (रज़ि0) गुफा से निकलकर मदीना की ओर चल दिए।
कई दिन-रात चलने के बाद 24 सितम्बर सन् 622 ई0 को मदीना से पहले कुबा नाम की एक बस्ती में पहुँचे जहाँ मुसलमानों के कई परिवार आबाद थे। यहाँ मुहम्मद (सल्ल0) ने एक मस्जिद की बुनियाद डाली, जो‘कुबा मस्जिद' के नाम से प्रसिद्ध है।
यहीं पर अली (रज़ि०) की मुहम्मद (सल्ल0) से मुलाक़ात हो गई। कुछ दिन यहाँ ठहरने के बाद पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) मदीना पहुंचे। मदीना पहुंचने पर उनका सब ओर भव्य हार्दिक स्वागत हुआ। अल्लाह के पैग़म्बर (सल्ल0) के मदीना पहुंचने के बाद वहाँ एकेश्वरवादी सत्य-धर्म इस्लाम बड़ी तेज़ी से बढ़ने लगा। हर ओर ला इला-ह इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह' यानी अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं और मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं' की गूंज सुनाई देने लगी।
काफ़िर कुरैश, मुनाफ़िक़ों' (यानी कपटाचारियों) की मदद से मदीना की ख़बर लेते रहते। सत्य-धर्म इस्लाम का प्रवाह रोकने के लिए अब वे मदीना पर हमला करने की योजनाएँ बनाने लगे.
सभी मुस्लिम और गैर मुस्लिम भाइयो से अपील है कि इस पोस्ट को ज़रूर पढ़े ये एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो आपको दी जा रही है
नोट यह पोस्ट किसी को नीचा दिखाने या किसी का अपमान करने के लिए नही है.
पार्ट नंबर 14
हज़रत मुहम्मद (सल्ल0) की संक्षिप्त जीवनी
तीन दिन उसी गुफा में ठहरे रहे। जब मुहम्मद (सल्ल0) व हज़रत अबू-बक्र (रज़ि) की तलाश बन्द हो गई तब आप (सल्ल0) व अबू-बक्र (रज़ि0) गुफा से निकलकर मदीना की ओर चल दिए।
कई दिन-रात चलने के बाद 24 सितम्बर सन् 622 ई0 को मदीना से पहले कुबा नाम की एक बस्ती में पहुँचे जहाँ मुसलमानों के कई परिवार आबाद थे। यहाँ मुहम्मद (सल्ल0) ने एक मस्जिद की बुनियाद डाली, जो‘कुबा मस्जिद' के नाम से प्रसिद्ध है।
यहीं पर अली (रज़ि०) की मुहम्मद (सल्ल0) से मुलाक़ात हो गई। कुछ दिन यहाँ ठहरने के बाद पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) मदीना पहुंचे। मदीना पहुंचने पर उनका सब ओर भव्य हार्दिक स्वागत हुआ। अल्लाह के पैग़म्बर (सल्ल0) के मदीना पहुंचने के बाद वहाँ एकेश्वरवादी सत्य-धर्म इस्लाम बड़ी तेज़ी से बढ़ने लगा। हर ओर ला इला-ह इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह' यानी अल्लाह के अलावा कोई पूज्य नहीं और मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं' की गूंज सुनाई देने लगी।
काफ़िर कुरैश, मुनाफ़िक़ों' (यानी कपटाचारियों) की मदद से मदीना की ख़बर लेते रहते। सत्य-धर्म इस्लाम का प्रवाह रोकने के लिए अब वे मदीना पर हमला करने की योजनाएँ बनाने लगे.
नोट:- मुनाफ़िक़ (Hypocrite) कपटाचारी, कपटी, छली, निफ़ाक़ रखनेवाला। ऐसा व्यक्ति जो अपने को मुसलमान कहता हो किन्तु इस्लाम से उसका सच्चा सम्बन्ध न हो। उसने इस्लाम और मुसलमानों को नुक़सान पहुँचाने के लिए इस्लाम क़बूल किया हो।
HAMARI DUAA ⬇⬇⬇
इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।
WAY OF JANNAH INSTITUTE RAJSTHAN
HAMARI DUAA ⬇⬇⬇
इस पोस्ट को हमारे सभी गैर मुस्लिम भाइयो ओर दोस्तो की इस्लाह ओर आपसी भाईचारे के लिए शेयर करे ताकि हमारे भाइयो को जो गलतफहमियां है उनको दूर किया जा सके अल्लाह आपको जज़ाये खैर दे आमीन।
WAY OF JANNAH INSTITUTE RAJSTHAN
No comments:
Post a Comment