Khutba Kaise Diya Jata Hai? Khutba me Kaun Kaun Si Duayein Padhi Jati Hai?
खुत्बा रहमतु-ल-लिलआलमिन ﷺ
इन्नल हम्दु लिल्लाह नहमदुहू वनस्तईनुहू वनस्तग्फिरहू व नऊजू बिल्लाहि मिन शुरूरि अनफुसिना व सयिआति आमालिना मंय यहादि-हिलल्लाहू फ़ला मुज़िल-ल लहू व मंय युज़लि-ल फ़ला हादि-य लहु वअशहदू अल्ला इला-ह इल्लल्लाहु वहदहू ला शरी-क लहू वअशहदू अन-न मुहम्मद अब्दुहू वरसूलुहू अम्मा बअदु:
फ़इन-न ख़ैरल हदीसि किताबुल्लाहि वख़ैरल हदायि हदयु मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व शर्रल उमूरि मुह-द-सातुहा वकुल-ल बिदअतिन ज़लालतुन
[हदीस] मुस्लिम 867-868 तिर्मिजी 1105 अबू दाऊद 2118
इब्ने माजा 1896
"या अय्युहन-नासुत्-तकू रब्बकुमल् लज़ी ख़-ल-क-कुम मिन् नफसिंव वाहिदतिवं व ख़-ल-क मिन्हा जौज़हा वबस-स मिन्हुमा रिजालन कसीरंव वनिसाअन वत्तकुल्लाहल्ल्ज़ी तसाअलू-न बिहि वल अरहामि इन्नलल्ला-हका-न अलैकुम रकीबन
[कुरान सूरह निसा आयत 1]
"या अय्युहल्लज़ी-न आमनुतकुल्ला-ह हक़-क़ तुक़ातिहि वला तमुतुन-न इल्ला वअन्तुम मुस्लिमू-न"
[कुरान सूरह आले इमरान आयत 102]
"या अय्यहल्लज़ी-न आमनु तकुल्ला-ह वकूलू क़ौलन सदीदन युसलिह लकुम आमालकुम व यग्फिर लकुम जुनूबकुम वमंय युतिइल्ला-ह वरसूलहू फ़कद फ़ा-ज़ फ़ौज़न अज़ीमन्
[कुरान सूरह अल-अहज़ाब 70-71]
बिलाशुबह सब तारीफें अल्लाह के लिए है हम उसकी तारीफ़ करते हैं उसी से मदद मांगते हैं और हम उससे अपने गुनाहों की बख्शिश चाहते हैं हम अपने नफ्स की शरारतों से और नफ़्स की बुराईयों से अल्लाह की पनाह तलब करते हैं जिसे अल्लाह राह दिखाए उसे कोई गुमराह नहीं कर सकता और जिसे वह अपने दर से दुत्कार दे उसके लिए कोई रहबर नही हो सकता और मैं गवाही देता हूँ कि माबूद बरहक सिर्फ अल्लाह तआला हैं वह अकेला हैं उसका कोई शरीक नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उसके बन्दे और उसके रसूल हैं
यकीनन तमाम बातों से बेहतर बात अल्लाह की बात हैं और तमाम तरीकों से बेहतर तरीका मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हैं और तमाम कामों से बदतरीन काम वे हैं जो अल्लाह के दीन में अपनी तरफ से निकालें जाए और हर बिदअत दीन में नया काम गुमराही हैं
ऐ लोगों अपने रब से डरो जिसने तुम्हें एक जान से पैदा किया और फिर उस जान से उसकी बीवी को बनाया और फिर इन दोनों से बहुत से मर्द और औरतें पैदा की और उन्हें ज़मीन पर फैलाया अल्लाह से डरते रहो जिसके नाम पर तुम एक दूसरे से सवाल करते हो और रिश्तों का कत्ल करने से डरो बेशक अल्लाह तुम्हारी निगरानी कर रहा हैं
ऐ ईमान वालों अल्लाह से डरो जैसा कि इससे डरने का हक़ हैं और तुम्हे मौत न आए मगर इस हाल में कि तुम मुस्लिम हो
ऐ ईमान वालों अल्लाह से डरो और ऐसी बात कहो जो सीधी और सच्ची हो अल्लाह तुम्हारे आमाल की इस्लाह करेगा और तुम्हारे गुनाहों को माफ फरमाएगा और जिस शख्स ने अल्लाह और उसके रसूल की इताअत की तो उसने बड़ी कामयाबी हासिल की
तंबीहातः
(1) सही मुस्लिम,सुनन नसाई और मसनद अहमद में इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहु अन्हु और इब्ने मसऊद रज़िअल्लाहु अन्हु की हदीस में खुत्बा का आगाज "इन्नल हम-द लिल्लाह" से हैं लिहाजा "अल् हमदु लिल्लाहि कि बजाए "इन्नल हम-द लिल्लाहि कहना चाहिए
(2) "नूमिनु बिहि वनतवक्कलु अलैहि" के अल्फ़ाज़
सही हदीसों में मौजूद नहीं हैं
(3) सही हदीसों में "नशहदु " जमा का सीग़ा नहीं बल्कि
"अशहदु" वाहिद का सीगा हैं
(4) यह खुत्बा निकाह,जुमा और आम वाअज़ व इरशाद व तदरीस के मौके पर पढ़ा जाता हैं इसे खुत्बा-ए-हाजत कहते हैं इसे पढ़ कर आदमी अपनी हाजत और ज़रूरत बयान करे
[हदीस: दारमी 2198]
अस्सलाम वालेकुम
ReplyDeleteKhutba dene ke bad jab imam baitha hai baithkar uthta hai tab ab Jo dua padhi jaati hai aur darood Sharif padha jata hai yah duaaen kahan milenge kaise milenge
Dowa
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