एक ईश्वर के प्रति निष्ठा और समर्पण है भारत की सनातन धरोहर
एकेश्वरवाद भारत की पुरातन और सनातन धरोहर है, जिसे वेदान्ती जी चाहे व्यवहार में न लाते हों लेकिन जानते सब हैं। यही वह ज्ञान है जो आदि में विश्व को भारत ने दिया था और बाद में दर्शन और काव्य के तले दबकर रह गया है। अगर मुसलमान हिन्दू भाईयों को याद दिलाते तो वे हरगिज़ इन्कार न करते बल्कि स्वीकार करते क्योंकि एक तो इन्कार का भाव भारतीय मनीषा में है ही नहीं। यहां तो केवल स्वीकार का भाव है
लेकिन कोई बताए तो सही।
दूसरी बात यह है कि एकेश्वरवाद का जो पाठ उन्हें याद दिलाया जाएगा वह उनके लिए न तो नया है और न ही अपरिचित, बल्कि दरअस्ल वह उनकी दौलत है जो आज हमारे पास बतौर अमानत है। जिसकी अमानत है, उसे आप देंगे तो वह आपका अहसान मानेगा, बुरा हरगिज़ न मानेगा।* अगर आपने उनकी अमानत उन तक नहीं पहुंचाई तो फिर खुदा आपसे भी छीन लेगा
No comments:
Post a Comment