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Maujuda Daur me Musalmano ki jimmedariyan. (Part 05)

Muslim Hukmarano ko Apni Deeni Jimmedariyan samajhni chahiye.
western culture ke gande tarike se aaj puri duniya pareshan ho chuki hai lihaja isse Musalmanon ko kis Tarah fayeda uthana chahiye?

मौजूदा आलमी हालात में उम्मते मुस्लिमा की ज़िम्मादारीयाँ
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            ख़ुतबाते हरम (05)
        यक़ीनन हर मुसलमान पर उम्मीद है कि दीने इस्लाम का मुस्तक़बिल रौशन है क्योंकि यह वादए रब्बानी है जो पूरा होकर रहेगा: *"हम पर ज़रुरी है कि मोमिनों की मदद करें।"*
( कुरआनः अर् रुमः 30/47 )
    रसूले अकरम सल्ल० ने बशारत दी है:
*"यह दीन वहाँ तक पहुँचेगा जहाँ तक शाम और सहर के उलट फेर का सिससिला जारी है, अल्लाह तआला रुए ज़मीन पर कोई कच्ची झोंपड़ी या पुख़्ता मकान ऐसा नहीं छोड़ेगा जिसमें दीन दाख़िल न हो, इज़्ज़तदार की इज़्ज़त के साथ और ज़लील की ज़िल्लत के साथ, ऐसी इज़्ज़त जो अल्लाह की तरफ़ से इस्लाम की वजह से दी जाएगी और ऐसी ज़िल्लत जो कुफ़्र की वजह से मुसल्लत कर दी जाएगी।"*
(मुस्नद अहमदः 4/103, वलमुस्तदरक लिल हाकिमः 4/430 )
    यह बाते ख़्याल व ख़्वाब की नहीं बल्कि यह वादए हक़ है जिसकी बुनियाद सच्ची ख़बर पर है लेकिन इसका कतअन यह मतलब नहीं कि मुसलमान इस पर तकिया करके बैठे रहें बल्कि उन्हें खुद सच्चा और खरा मुसलमान बनने और दूसरों को भी सच्चा और खरा मुसलमान बनाने के लिए दावत व तबलीग़ की ज़बरदस्त मेहनत करनी होगी। मुस्लीम हुक्मरानों को चाहिए कि वह अपनी दीनी ज़िम्मादारीयोँ को समझें और शरीअते इलाहिया को अमलन नाफ़िज़ करें और तमाम मुसलमानों को चाहिए कि इस वक़्त जबकि लोग हक़ के प्यासे और सच्चाई के मुतलाशी हैं, माद्दी रेलपेल और चकाचौंध से उक्ता चुके हैं, खुसूसन मग़रिबी (western Countries) मुमालिक के मुआशरे अपनी ही भड़कीली तहज़ीब से आजिज़ आ चुके हैं,
ऐसी हालत में पूरा मौका है कि हम इससे भरपूर फ़ायदा उठाएँ। दाइयाने दीन, सुलहाए उम्मत और दानिशवराने मिल्लत को चाहिए कि वह आगे बढ़ें और दावती ज़िम्मेदारियों को अस्रे हाज़िर के तक़ाज़ों के मुताबिक पूरा करें, खुसूसन इस वक़्त बिलादुल हरमैन में इसका एहतिमाम हो तो आलमी सतह पर बेहतरीन असर देखने में आएगा, दुनिया भर के लोगों की हौसला अफ़ज़ाई होगी कि कुछ लोग हैं, जो इनके मसाइल पर ग़ौर करते और मुआमलात पर तवज्जोह देते हैं, इसी तरह उन तमाम शर पसंदों को लगाम देने की ज़रुरत है जो गंदे पानी में शिकार खेल रहे हैं, अपने गुमराहकुन ख़यालात का प्रचार कर रहे हैं और बातिल तसव्वुरात फैलाना चाहते हैं।
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