Deen-E-Islam hame kya Sikhata hai?
Islam Dharm hame kya sikh deta hai?Islam dharm Auraton ke bare me kya kahta hai?
`इस्लाम धर्म``
*इस्लाम कहता है कि हमें एक ईश्वर को पुजना चाहिए जो हम सबका मालिक हैं। जिसका कोई रंग हैं ना कोई रूप हैं। जिसे किसी ने नहीं बनाया पर उसने हर चीज़ को बनाया।*
– इस्लाम कहता है कि तुम्हारी मेहनत की कमाई से 2.5% गरीबों को देना हर हालत में जरूरी हैं।
-इस्लाम कहता है कि तुम लोगों की मदद करोगे तो खुदा तुम्हारी मदद करेगा। और जो कुछ भी तुम अपने लिए चाहते हो वही सबके लिए भी चाहो तो ही एक सच्चे मुसलमान बन सकते हो।
– इस्लाम कहता है कि तुम एक महीने तक सुबह से शाम भूखे और प्यासे रहो ताकि तुम्हें एहसास हो सकें कि भूख और प्यास क्या होती हैं।
-इस्लाम कहता है कि तुम्हारे घर बेटी पैदा हो तो दुखी मत होना क्योंकि बेटियाँ तो खुदा की रहमत (इनाम) हैं और जो व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बेटी की परवरिश करें और उसकी अच्छे घर में शादी कराएँ तो वो जन्नत (स्वर्ग) में जायेगा।
नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया: जिसके पास तीन लड़कीयां हों, और वो उनके होने पर सब्र करे, उनको अपनी कमाई से खिलाए पिलाए और पहनाए, तो वो उस शख़्स के लिए क़यामत के दिन जहन्नुम से आड़ (ढाल) होंगी।
_*Sunan ibne majah: jild 5, kitab Al-dab 33, hadith no. 3669*_
*Grade Sahih*
*Grade Sahih*
– इस्लाम कहता है कि सबसे अच्छा आदमी वो हैं जो औरतों के साथ सबसे अच्छा सुलूक करता हैं।
– इस्लाम कहता है कि विधवाएं मनहूस नहीं होती इन्हें भी एक बेहतर जीवन जीने का पूरा अधिकार है। इसलिए विधवाओ और उनके बच्चों को अपनाओ. (मतलब उनसे शादी करो और इसलाम में विधवा औरत अपनी मर्जी से दुबारा शादी कर सकती है)
– इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों जब नमाज पढ़ो तो एक दूसरे से कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहो क्योंकि तुम सब आपस मे बराबर हो तुम में से कोई छोटा या बड़ा नहीं हैं।
– इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों अपने पड़ोसियों से अच्छा बर्ताव करो चाहे तुम उन्हें जानते हो या न जानते हो। और खुद खाने से पहले अपने पड़ोसी को खाना खिलाओ।
– इस्लाम कहता है कि शराब और जुआ सारी बुराइयों की जड़ है। इनसे अपने आप को दूर रखे।
– इस्लाम कहता है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले पहले उसकी मजदूरी दे दो और कभी किसी गरीब और अनाथ की बददुआ न लेना नहीं तो बरबाद हो जाओगे।
नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया: अगर किसी शख़्स का ज़ुल्म किसी दूसरे की इज़्ज़त पर हो या किसी तरीक़े (से ज़ुल्म किया हो) तो आज ही, उस दिन (कयामत) के आने से पहले माफ़ करा ले जिस दिन ना दीनार होंगे, ना दिरहम, बल्कि अगर उस का कोई नेक अमल होगा तो उस के ज़ुल्म के बदले में वही ले लिया जाएगा और अगर कोई नेक अमल उस के पास नहीं होगा तो उस के (मज़लूम) साथी की बुराईयां उस पर डाल दी जाएँगी।
_*Bukhari sharif: jild 3, kitab Al-Mazalim 46, hadith no. 2449*_
– इस्लाम कहता है कि अपने आप को जलन (ईर्ष्या) से दूर रखो क्योंकि ये तुम्हारे (नेकियों) अच्छे कामों को ऐसे बरबाद कर देती हैं जैसे दीमक लकड़ी को।
– इस्लाम कहता है कि सबसे बड़ा जिहाद ये है कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को मारे और अपने आप से लड़े।
– इस्लाम कहता है कि अगर खुश रहना चाहते हो तो किसी अमीर को मत देखो बल्कि गरीब को देखो तो खुश रहोगे। और लोगों से अच्छा बर्ताव करना सबसे बड़ा पुण्य का काम हैं।
-इस्लाम कहता है कि हमेशा नैतिकता और सच्चाई के रास्ते पर चलो। बोलों तो सच बोलों, वादा करो तो निभाओ और कभी किसी का दिल मत दुखाओ।
– इस्लाम कहता है कि सबसे बुरी दावत वह हैं जिसमें अमीरों को तो बुलाया जाता हैं, परन्तु गरीबों को नहीं बुलाया जाता हैं।
– पानी को ज़रूरत तक ही इस्तेमाल (उपयोग) करना और बिना वजह पानी का दुरूपयोग करना गुनाह (पाप)
– रास्ते में अगर कोई तक़लीफ़ देने वाली वस्तु (पत्थर,कील) होतो उसे किनारे करना जिससे दुसरो को पीड़ा न हो।
– इस्लाम कहता है कि अन्जान महिलाओ पर नज़र पड़े तो आँखें नीची कर लो क्योंकी गैर महिलाओ को बुरी नजर से देखना गुनाह(पाप) है।
रसूल अल्लाह सलल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: "किसी ग़ैर महरम औरत को हाथ लगाना ये इस से बेहतर है के किसी शख़्स के सर के अंदर लोहे की कील ठोक दी जाये।"
*मुअजमुल अल कबीर अल तबरानी: जील्द 20, हदीस नं. 487*
*सही अल जामी: हदीस नं . 5045*
*ग्रेडः सही*
*मुअजमुल अल कबीर अल तबरानी: जील्द 20, हदीस नं. 487*
*सही अल जामी: हदीस नं . 5045*
*ग्रेडः सही*
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