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Maujuda Daur me Musalmano ki jimmedariyan. (Part 07 last)

Maujuda Daur me Musalmano ki jimmedariyan
Maujuda Daur me Musalmano ki jimmedariyan
Kya Islam Terrorism's ka Mazhab hai?
Kya Islam terrorists banna sikhata hai?
Maujuda Daur me Musalmano ki jimmedariyan. (Part 07 last)
Islam ke bare me Media, Social media, Tv Channels aur Newspaper ke jariye kitna Galat bat bataya gaya?
मौजूदा आलमी हालात में उम्मते मुस्लिमा की ज़िम्मादारीयाँ

              ख़ुतबाते हरम (07) last
   लोगो! अल्लाह का तक़वा इख़्तियार करो और जान लो कि बेहतरीन किताब , अल्लाह तआला की किताब है और बेहतरीन रास्ता हज़रत मुहम्मद सल्ल० का रास्ता है और सबसे बुरी बात दीन में नई बात शुरु करना है, हर नई बात बिद्अत और बिद्अत गुमराही है।
   अज़ीज़ भाईयों! इस्लाम एक बड़ी निअमत है जो हमें अता की गई है। इस सच्चे दीन की तरफ़ रहनुमाई करके अल्लाह अज़्ज़ व जल्ल ने हमे एहसाने अज़ीम किया है। यह ऐसी निअमत है कि हमें अपने इल्म और अमल के जरिए और ज़ाहिरी और बातिनी तौर पर हर हाल में उसका शुक्र अदा करना चाहिए क्योंकि यह दीन सरतापा अदल, इन्साफ, सलामती, रहमत,मुहब्बत और उख़ूवत की दावत देता है। आज सारी दुनिया सच्चाई की तलाश में सरगर्दा है, अब यह हमारी ज़िम्मादारी है कि मैदाने दावत व तबलीग़ में कमरबस्ता हो जाएँ, इस मैदान मे काम करने वाले आपस में मन्सूबा बंदी के, बाहमी इख़्तिलाफ़ात का फ़ाएदा सिर्फ़ दुश्मनाने इस्लाम को पहुँचेगा। इस वक़्त दावत व तबलीग़ के मैदान में मेहनत करने की अशद ज़रुरत है। ज़मीन निहायत ज़र ख़ेज़ है, इसमें बीज बोने की ज़रुरत है ताकि इस्लाम की खेती फिर से लहलहाने लगे, इसके लिए बाहमी मशवरें, सही मन्सूबाबंदी और गहरी प्लानिंग करनी होंगी,आज ऐसे दाइयाने दीन की सख़्त ज़रुरत है जो अस्रे हाज़िर के तक़ाज़ों को समझते हों ताकि दुनिया के सामने हम अपने मौक़िफ़ की सच्चाई, मक़ासिद की पाकीज़गी और बुलंद अहदाफ़ उजागर कर सकें क्योंकि इस्लाम की सूरत को बअज़ लादीन और मुन्हरिफ़ ताक़तों ने बिगाड़ने की कोशिश की, दुनिया के सामने इसकी ऐसी भोंडी तसवीर पेश की गोया यह ख़ूँख़ार लोगों का दीन है, हालाँकि हक़ तो यह है कि यह दीन इफ़रात व तफ़रीत से पाक एक एक इंतिहाई मुतवाज़िन, मुअतदिल, सादा और फ़ितरी दीन है।
      दरुद व सलाम पढ़िये नबीये मुकर्रम सल्ल० पर। यह बेहतरीन नेकी और अफ़ज़ल अमल है जिसका अल्लाह तआला ने हमें अपनी किताबे अज़ीज़ में हुक्म दिया है। सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम।
          *(आखरी)*  *LAST*
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