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Quran Majeed Encyclopedia Part 384
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कुरआन मजीद की इनसाइक्लोपीडिया
भाग-384 तारीख़:26/06/2020
*★☆★☆ईमान यानी विश्वास-236★★☆★*
*_★घमंडी★_*
'घमंड' अरबी शब्द तकब्बुर' का हिन्दी अनुवाद है ! घमंड एक ऐसा रोग है कि यदि किसी मनुष्य को लग जाए तो वह सत्य और असत्य में अन्तर नहीं कर सकता ! इसी लिए अल्लाह ऐसे व्यक्ति को पसन्द नहीं करता जो घमंडी हो ! कुरआन में है -
*_अल्लाह को) ऐसे लोग प्रिय नहीं हैं जो अपने आपको बड़ा समझते हों (अर्थात घमंडी हों )_* 【सूरा-16, अन-नल, आयत-23】
इसके विरुद्ध उन लोगों की प्रशंसा की गई है जो घमंडी नहीं हैं। कुरआन में एक स्थान पर आया है-
*_तुम ईमानवालों की शत्रुता में सब लोगों से बढ़कर यहूदियों' और बहुदेववादियों को पाओगे, और ईमानवालों के लिए मित्रता में सब से निकट उन लोगों को पाओगे जिन्होंने कहा कि हम नसारा (ईसाई) हैं ! यह इस कारण कि उनमें बहुत-से धर्मज्ञाता और संसार त्यागी सन्त पाए जाते हैं, और इस कारण कि वे घमंड नहीं करते !_* 【सूरा-5, अल-माइदा, आयत-82】
अर्थात् जब इनको सत्य बात बताई जाती है, तो स्वीकार कर लेते हैं ! परन्तु इसका यह अभिप्राय नहीं कि यहूदियों में कोई सत्य स्वीकार करनेवाला नहीं था ! उनमें बहुत-से लोग ऐसे थे जिन्होंने सत्य को स्वीकार किया ! यहूदियों के एक विद्वान अब्दुल्लाह-बिन-सलाम थे, जिनकी प्रशंसा करते हुए पवित्र कुरआन में कहा गया है -
*_बनी-इसराईल में से एक गवाह ने ऐसी ही 'किताब' की गवाही भी दे दी ! और वह ईमान भी ले आया और तुम घमंड में पड़े रह गए !_*
【सूरा-46, अल-अहक़ाफ़, आयत-10】
आगे.........
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_निवेदन (गुज़ारिश) इस दर्स में कोई फेर-बदल न करे क्योकि अल्लाह आपके हर हरकत को देख रहा है !_
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